चीन-भारत एलएसी पर सच्ची शांति और अमन-चैन बहाल करने का कदम

चीन और भारत, दोनों देशों द्वारा नियुक्त विशेष प्रतिनिधियों (स्पेशल रिप्रेजेन्टेटिव्स) के बीच 5 जुलाई को हुई वार्ता के बाद लद्दाख में चीन और भारत के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिक टकराव से बचने और तनाव को शिथिल करने के शुरूआती स्वागतयोग्य संकेत दिखाई दे रहे हैं. भारतीय पक्ष से विशेष प्रतिनिधि के बतौर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल थे जबकि चीन की तरफ से विशेष प्रतिनिधि चीनी विदेश मंत्री वांग यी थे.

लाॅकडाउन के सौ दिन और प्रधानमंत्री मोदी का शरारत भरा प्रचार

लाॅकडाउन के 98वें दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर राष्ट्र को सम्बोधित किया. कोविड-19 के शुरू होने के बाद से उनका यह छठा “कोरोना स्पेशल” भाषण था. मगर पहले दिये गये अपने पिछले पांच भाषणों की ही तरह इस बार भी उन्होंने देश में कोविड-19 की स्थिति के बारे में कुछ नहीं कहा और इस वैश्विक महामारी से निपटने के लिये उनकी सरकार क्या कर रही है इसके बारे में तो कत्तई एक शब्द भी नहीं कहा. लाॅकडाउन के प्रथम चरण में अपने चुनाव क्षेत्र वाराणसी के लोगों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई की तुलना महाभारत के युद्ध से की थी.

नियुक्तियों पर रोक उर्फ उत्तराखंड सरकार का बेरोजगारी वर्ष

उत्तराखंड सरकार ने वर्ष 2020-21 में नियुक्तियों पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है. नियुक्तियों पर रोक लगाने के पीछे वही घिसा-पिटा तर्क है कि सरकार का खर्च कम करना है. लेकिन उत्तराखंड सरकार के ‘मितव्ययता’ के फटे ढोल की पोल मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह के 10 जून के पत्रा से ही खुल जाती है. पत्र के बिन्दु संख्या 2 में मुख्य सचिव महोदय नए पदों को सृजित न किए जाने और नियत वेतन, दैनिक वेतन, संविदा आदि के आधार पर कर्मचारी नियुक्ति पर पूर्ण प्रतिबंध की बात कहते हैं.

मजदूर वर्ग के खिलाफ भगवा कारपोरेट जंग

– वी. शंकर   

नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली संघ-भाजपा सरकार ने देश के श्रमजीवी तबके के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है. टेलीविज़न पर हालिया प्रसारित राष्ट्र के नाम अपने सन्देश में मोदी ने लोगों को ‘साहसिक सुधारों’ के लिए तैयार रहने को कहा था. उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और गुजरात की भाजपाई सरकारों ने पहले ही श्रम कानूनों को या तो रद्द कर दिया है अथवा उन्हें भोंथरा बना दिया है. केंद्र की भाजपा सरकार बड़ी चतुराई से कोविड-19 आपदा का इस्तेमाल अपनी जन-विरोधी नीतियां लागू करने के लिए कर रही है.

लाॅकडाउन ने भारत के प्रवासी मजदूरों की दबाई गई सामाजिक सच्चाई की पोल खोल दी है

वश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हमें कोरोनावायरस की आपातकालीन चेतावनी दिये जाने के बाद से अब लगभग चार महीने गुजर गये हैं, और भारत सरकार द्वारा समूचे देश में लाॅकडाउन घोषित किये जाने के बाद भी दो महीने पार हो चुके हैं. इस वायरस का उद्गम स्थल और साथ ही साथ इससे निपटने के लिये लाॅकडाउन की रणनीति का प्रणेता देश चीन है. इसी रणनीति को दुनिया भर में, जरूर काफी हद तक भिन्नताओं के साथ, अपनाया गया. खुद चीन तथा अन्य कुछेक देशों ने इस महामारी से कमोबेश छुटकारा पा लिया है.

हरियाणा की डायरी : ओलावृष्टि से किसानों व तुगलकी फरमानों से जनता को भारी नुकसान

हरियाणा में 2 मई की शाम हुई ओलावृष्टि ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. सुबह जब किसान खेतों में पहुंचे तो अपनी आंखों के सामने बर्बाद हुई फसलों को देखकर उसके माथे पर चिंता की लकीरें खींच गईं. सरसों व गेहूं इस क्षेत्र की प्रमुख फसले हैं. जिले में इस समय 65 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में सरसों तथा 52 हजार हेक्टयेर में गेहूं की फसलें पकने को थीं. लेकिन ओलावृष्टि के कारण जहां खोल खंड के लगभग 100 गांवों में सरसों की फसलें शत-प्रतिशत खराब हो गईं, बावल व कोसली खंडों में भी ओलावृष्टि से काफी नुकसान हो गया है.

लाॅकडाउन की चुनौतियां और हमारी पहलकदमियां

चंदौली जिला (उप्र) की चिट्ठी

19 मार्च को लखनऊ में भाकपा(माले) की राज्य स्थाई समिति की बैठक हुई. उसके बाद 22 मार्च को प्रधानमंत्री द्वारा जनता कर्फ्यू लागू करने का ऐलान हुआ. फर 24-25 मार्च की आधी रात से 21 दिन के लिए लाॅकडाउन की घोषणा हुई. बीच में 23 मार्च को शहीदे आजम भगत सिंह का शहादत दिवस पार्टी कार्यालय मुगलसराय में इंकलाबी नौजवान सभा की जिला संयोजन समिति की बैठक, पार्टी राज्य सचिव कामरेड सुधाकर यादव की उपस्थिति में शहीदे आजम भगत सिंह के चित्र पर माल्यार्पण और ‘मैं नास्तिक क्यों हूं’ लेख का पठन-पाठन कर मनाया गया.

लाॅकडाउन में फंसे मजदूरों को भाकपा(माले) ने पहुंचाया राहत

तमिलनाडु

भाकपा(माले) और ऐक्टू ने पहलकदमी लेते हुए एक टास्क फोर्स का गठन किया है. सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हुए अधिकारियों को अर्जियां भेजी हैं और विभिन्न समुदाय के श्रमिकों को राहत देने के लिए प्रशासन पर दबाव बनाया. भाकपा(माले) और ऐक्टू तमिलनाडु में फंसे प्रवासी मजदूरों के साथ भी व्यापक संपर्क बना रहे हैं.

भाजपा के अविवेकपूर्ण फैसलों, लोकतंत्र विरोधी कदमों और अंधविश्वास का भंडाफोड़ करें! सांप्रदायिक साजिश और सामंती हमलों का प्रतिकार करें!

– कुणाल, बिहार राज्य सचिव, भाकपा(माले)

आज हम बड़ी चुनौतियों के बीच हैं. कोरोना महामारी से उत्पन्न परिस्थितियों से पूरा देश, खासकर, मेहनतकश समुदाय कराह रहा है. इससे निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा दर्शाए गए रुख ने चीजों को और कठिन बना दिया है.