राष्ट्रीय परिस्थिति पर प्रस्ताव

हम ऐसे दौर से गुजर रहे हैं जब संसदीय लोकतंत्र के संवैधानिक आधार और जनता के जीवन और जीविका पर हमले बढ़े हैं। साथ ही कॉरपोरेट द्वारा भारत के प्राकृतिक संसाधनों की बेरोकटोक लूट जारी है। इन दोनों तरह के हमलों की शुरुआत आज से क़रीब तीन दशक पहले उदारीकरण, निजीकरण और भूमंडलीकरण की नव उदारवादी आर्थिक नीतियों और आक्रामक हिंदुत्व के रूप में हुई थी। आक्रामक हिंदुत्व भारतीय राष्ट्रवाद को हिन्दू वर्चस्ववाद के रूप में परिभाषित करता है जिसकी परिणति 2014 में नरेंद्र मोदी को केंद्र में सत्ता में लाने में हुई है। तब से राज्य मशीनरी का इस्तेमाल करके यह दोतरफ़ा अभियान चलाए हुए है। मो

अंतर्राष्‍ट्रीय परिस्थिति पर प्रस्ताव

बहुध्रुवीय वैश्विक संकट और अमेरिकी वर्चस्‍व में गिरावट

आज हम इतिहास के नाज़ुक मोड़ पर खड़े हैं। पूरी दुनिया में फ़ासीवाद उभार के दौर में है। कई देशों में फ़ासीवादी सरकारें सत्तारूढ़ हैं। साथ ही उनके प्रतिवाद आंदोलन भी उभर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर ब्राज़ील में बोल्‍सोनारो की सत्ता के ख़िलाफ़ एक सफल संघर्ष को देखा जा सकता है। नव उदारवाद के विनाशकारी पहलू अब और ज़्यादा साफ़ तौर पर हमारे सामने हैं और अंतर्राष्ट्रीय पूँजीवादी व्यवस्था के अंतर्विरोध भी ज़्यादा स्पष्ट हुए हैं। पिछले दशक में नव उदारवादी प्रयोग को लागू करने वाले घाना, पा

पर्यावरण और जलवायु संकट पर प्रस्ताव

1. आज हम एक ऐसे वैश्विक पर्यावरण और जलवायु संकट के दौर में रह रहे हैं, जिसकी प्रत्यक्ष अनुभूतियाँ लगातार खनिज तेल के बढ़ते प्रयोग के चलते बढ़ा ग्रीन हाउस गैस (GHG) उत्सर्जन, ग्लोबल वार्मिंग और अन्य तमाम रूपों में हो रही हैं ।

फासीवाद विरोधी जनप्रतिरोध का परिप्रेक्ष्य, दिशा एवं कार्यभार पर प्रस्ताव

1. मोदी सरकार को सत्ता में आए आठ साल से ज्यादा हो चुके हैं। अगर इस सरकार का पहला कार्यकाल आगे आने वाली चीजों में बारे में अग्रिम चेतावनी था, तो दूसरे कार्यकाल में चौतरफ़ा हमले तेजी से बढ़े हैं।

सामान्य कार्यक्रम

प्रस्तावना

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) अपने सर्वोच्च वर्ग-लक्ष्य की प्राप्ति के लिये संघर्षरत भारतीय सर्वहारा का सर्वोच्च राजनीतिक संगठन है। इसका गठन जनता के अगुआ दस्तों को लेकर हुआ है और यह लिंग, जाति, धर्म-संप्रदाय, भाषा या राष्ट्रीयता का भेद किये बिना स्वतंत्र नागरिक के रूप में भारतीय जनता के सामंती बेड़ियों और बड़ी पूंजी एवं साम्राज्यवाद की लूट और वर्चस्व से मुक्ति पाने तथा समान अधिकार और तीव्र प्रगति हासिल करने के संघर्ष में नेतृत्व-केंद्र का कार्य करती है।