भाकपा(माले) और ऐक्टू ने पहलकदमी लेते हुए एक टास्क फोर्स का गठन किया है. सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हुए अधिकारियों को अर्जियां भेजी हैं और विभिन्न समुदाय के श्रमिकों को राहत देने के लिए प्रशासन पर दबाव बनाया. भाकपा(माले) और ऐक्टू तमिलनाडु में फंसे प्रवासी मजदूरों के साथ भी व्यापक संपर्क बना रहे हैं.
अनेक मजदूरों को, खासकर चेन्नै सेंट्रल रेलवे स्टेशन के आसपास पफंसे मजदूरों पर पुलिस ने लाठियां बरसाईं. अंत में इनके लिए भोजन और ठहराव की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन राशन की आपूर्ति न के बराबर हो रही है. प्रवासी मजदूर इन कैंपों में नहीं जा पा रहे हैं, क्योंकि वे भीड़भाड़ वाले इन कैंपों में कोरोना के तेज फैलाव की आशंका से डरे हुए हैं. इसीलिए इन प्रवासी मजदूरों को राशन मुहैया कराने का काम कुछ दान देने वाले समूहों, उदार व्यक्तियों और वामपंथी संगठनों के जिम्मे आ गया है. राशन के जरूरतमंद ऐसे ही मजदूर ज्यादातर हमारे संगठन के पास आ रहे हैं.
इनके अलावा होटलों, चाय बागानों, वर्कशाॅपों, निर्माणस्थलों और मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों में काम करने वाले मजदूर तथा कोयंबटूर व तिरुपुर में मौजूद गारमेंट व होजियरी इकाइयों के कामगार भी हमारे संगठन के पास आ रहे हैं, जिन्हें हमारे मदद की जरूरत है. हमने लाॅकडाउन प्रभावित मजदूरों की समस्याओं के निदान के लिए कई किस्म के उपाय किए हैं, जैसे कि:
(1) प्रभावित प्रवासी मजदूरों को राहत देने के लिए सरकार पर दबाव देना (2) कंपनी के प्रबंधकों और ठेकेदारों पर दबाव डालना कि वे अपने श्रमिकों को राशन के साथ-साथ कोरोना अवधि के लिए सवैतनिक छुट्टियां मुहैया कराएं. (3) कुछ दान देने वाली संस्थाओं से संपर्क कर उनसे आर्थिक सहयोग लेना (4) अपने कामरेडों को भी जहां संभव हो सके, उन जगहों पर भेजकर प्रभावित लोगों के बीच भोजन व राशन वितरित करना.
ओडिशा सरकार और उसके बाद भारत सरकार ने मजदूर वर्ग, किसानों, रेवड़ी-खोमचे वालों और गरीबों के लिए कोई योजना बनाए बगैर ही लाॅकडाडन घोषित कर दिया. इस लाॅकडाउन की वजह से झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूर ओडिशा से अपनी अपनी मूल जगहों पर नहीं लौट पाए. अभी जहां वे लाॅकडाउन स्थिति में हैं, वहां उन्हें पर्याप्त भोजन और राशन नहीं मिल रहा है. और उन्हें यह भी नहीं बताया जा रहा है कि वे कोरेना वायरस से कैसे अपना बचाव कर सकते हैं. विभिन्न राजनीतिक दलों एवं ट्रेड यूनियनों की तरफ से दबाव पड़ने पर ओडिशा सरकार ने इन जरूरतमंद लोगों की समस्या को कम करने के लिए कुछ पैकेज की घोषणा की है. आज की स्थिति तक ओडिशा में 54 कोरोना संक्रमित मरीज पाए गए हैं, जिनमें एक की मौत हुई है; 4000 लोगों को आइसोलेशन में रखा गया है. सरकार ने निम्नलिखित पैकेज घोषित किया है:
(1) तीन माह का अग्रिम राशन (2) 92 लाख परिवारों के लिए एक एक हजार रुपये (3) 65 हजार रेवड़ी-खोमचे वालों के लिए तीन तीन हजार रुपये (4) 22 लाख निर्माण मजदूरों के लिए 1500 रुपये (प्रत्येक) (5) निजी अस्पतालों के जरिये 1000 बेड वाला कोरोना अस्पताल खोला जाना (6) तीन अस्पतालों को कोरोना जांच केंद्र बनाना (7) राज्य के अंदर और बाहर के प्रवासी मजदूरों की समस्याओं के निराकररण के लिए कंट्रोल रूम बनाना 8. मनरेगा मजदूरी में 20 रुपये प्रति दिन की वृद्धि.
हालांकि सरकार ने लाॅकडाउन के दौरान गरीब परिवारों के लिए राशन देने की घोषणा की है, लेकिन सरकार सभी परिवारों को राशन वितरित नहीं कर पा रही है, सरकार विभिन्न राज्यों में फंसे 1,50,000 ओडिया प्रवासी मजदूरों और ओडिशा में मौजूद विभिन्न राज्यों के प्रवासी 30,000 मजदूरों को भी राशन नहीं दे पा रही है. लाॅकडाउन के चलते किसानों और खेत मजदूरों को भी दिक्कतें हो रही हैं और खेतों में खड़ी फसलें खेतों में ही सड़ रही हैं.
भाकपा(माले) और ऐक्टू ने माकपा, भाकपा औा फाॅरवर्ड ब्लाॅक के साथ मिल कर इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए ओडिशा के मुख्यमंत्री को 10-सूत्री मांगपत्र सौंपा है.
ऐक्टू ने भुवनेश्वर, जगतपुर (कटक), जगतसिंहपुर, धनकनाल, झारसुगुडा और सुंदरगढ़ में फंसे विभिन्न राज्यों के प्रवासी मजदूरों के बीच भोजन और राशन मुहैया करवायाइन मजदूरों की मदद के लिए ऐक्टू ने श्रम अधिकारियों और जिला प्रशासन को भी सहयोग दिया.
ऐक्टू ने दूसरे राज्यों में फंसे ओडिशा के मजदूरों की सहायता के लिए भी ऐक्टू राष्ट्रीय लाॅकडाउन राहत टीम के साथ सक्रिय सहयोग किया. ऐक्टू ने ओडिशा के मुख्यमंत्री और श्रम सचिव से मांग की है कि वे नियोजकों को अधिसूचना भेजकर उन्हें लाॅकडाउन के दौरान मजदूरों की छंटनी न करने, उनकी मजदूरी में कटौती व करने और ईंट भट्ठा मजदूरों को भोजन मुहैया करने का निर्देश जारी करें. ओडिशा सरकार ने नियोजकों को ऐक्टू व अन्य केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की इन सिफारिशों को लागू करने का निर्देश भेजा है.
चाय बागान के इलाकों में लाॅकडाउन के बाद मुख्य समस्या यह है कि यहां के मजदूरों को साप्ताहिक अथवा पाक्षिक मजदूरी नहीं मिल पा रही है. ऐक्टू से जुड़े मजदूर संघ ने उन्हें फौरन मजदूरी और राशन मुहैया कराने के लिए सरकार और श्रम आयोग पर दबाव डाला है.
जोरहाट जिले में कुछ जगहों पर भाकपा(माले) के कामरेडों ने पैसे, चावल और अन्य खाद्य सामग्रियां इकट्ठा किया और मजदूरों बीच वितरण किया. हमारे दबाव डालने पर अब प्रशासन उन गरीबों को 1000 रुपये नगद देने को बाध्य हुआ है. जिनके पास राशन कार्ड नहीं है, उनके जन धन खाते में भी प्रशासन ने 500 रुपये डाले हैं. लेकिन एटीएम न होने अथवा काफी दूर पर एटीएम होने की वजह से गांव के गरीब यह पैसा नहीं निकाल पा रहे हैं.
डिब्रूगढ़ के धुलियाजान में हमने लगभग 260 परिवारों की सूची बनाई है जिके पास रास राशन कार्ड नहीं है, और यह सूची सरकार के पास भेजी. हमारे प्रयासों की बदौलत ही इस सूची में शामिल सभी लोगों को राशन मिल पाया.
विश्वनाथ जिले बेहाली में भाकपा(माले) कार्यकर्ता ब्रांच स्तर पर सर्वेक्षण चलाकर अत्यंत गरीब परिवारों को चिन्हित कर रहे हैं और ब्रांच के इलाके से ही राहत सामग्री इकट्ठा कर इन परिवारों में वितरित किया जा रहा है.
नवगांव जिले में कुछ जगहों पर हमने सरकारी अधिकारियों से मांग की है कि वे ऐसे लोगों की सूची जारी करें जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं, ताकि राशन वितरण में कोई भेदभाव नहीं किया जा सके.
सरकार द्वारा बिना कार्ड वालों समेत तमाम गरीबों को मुफ्त राशन देने का आदेश निर्गत किए जाने के बावजूद मिर्जापुर जिले में पतेहरा ब्लाॅक के हरदीमिश्रा गांव में प्रधान कोटेदार ने राशन-आधार-जाॅब कार्ड विहीन लोगों को मुफ्त राशन वितरित करने से इन्कार कर दिया. जिनके पास मनरेगा जाॅब कार्ड था, उन्हें भी राशन लेने के लिए उसकी कीमत चुकानी पड़ी. ग्राम प्रधान ने जनता या उनके प्रतिनिधियों द्वारा वह सूची लेने से भी इन्कार कर दिया जिसमें कार्डविहीन गरीबों के नाम शामिल थे.
इन वंचित परिवारों ने भाकपा(माले) की राज्य कमेटी सदस्य और खेग्रामस की जिला अध्यक्ष जीरा भारती को अपना हाल बताया. कामरेड जीरा ने कलक्टर से बात की. और इसके बाद वह कोटेदार कार्डविहीन लोागें को भी मुफ्त राशन देने को बाध्य हुआ. इस प्रयास से 36 परिवार लाभान्वित हुए.
पांच-छह अन्य ग्राम सभाओं में भी सभी गरीबों को राशन के लिए ऐसे ही प्रयास चलाए जा रहे हैं. राय बरेली, मऊ, गाजीपुर, सीतापुर, आजमगढ़ और मुरादाबाद में भी राशन व राहत सामग्रियों का वितरण करवाया गया.
गौरतलब है कि योगी सरकार लाठी-डंडा व दमन के तरीके से ही मौजूदा संकट का समाधान करना चाहती है. पीपीई की मांग करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को नौकरी से हटाया जा रहा है. पूरे राज्य में पीपीई की भारी कमी है और स्वास्थ्य कर्मियों को वेतन नहीं मिल पा रहा है, जिससे रोगियों का समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है. ऐक्टू ने मांग की है कि इन कर्मियों के वेतन का फौरन भुगतान किया जाए. बांदा में बर्खास्त हुए मेडिकल कर्मियों को फौरन बहाल किया जाए और सभी कर्मियों को पीपीई दिया जाए.
भाकपा(माले) की नैनीताल शहर इकाई ने लाॅकडाउन के चलते सबसे ज्यादा परेशानी झेलने वाले जरूरतमंद लोगों की सूची बनाई और फिर पार्टी कार्यकर्ताओं ने उन लोगों के बीच जरूरी सामान वितरित किए. संकट की इस घड़ी में भी राज्य सरकार अपने धार्मिक एजेंडा से चिपकी हुई है और वह हरिद्वार कुंभ की तैयारियों में जोरशोर से लगी हुई है जिसके लिए केंद्र सरकार ने 375 करोड़ रुपये आबंटित कर रखे हैं. भाकपा(माले) ने इसकी भर्त्सना करते हुए मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भेजा है और सरकार से मांग की है कि पहले चिकित्सा सामग्रियों और पीपीई आदि की किल्लत को दूर करने का उपाय किया जाना चाहिए. दूर-दराज के इलाके में रहने वालों के लिए राशन और दवाइयां सबसे जरूरी चीज हैं. इस संकट काल में सरकार को अपना धार्मिक एजेंडा छोड़कर जनता के कल्याण और राहत पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
यहां की ऐक्टू इकाई ने गंगापुर तालुका में फंसे लगभग 2.5 हजार प्रवासी मजदूरों की परेशानियों के बारे में तहसीलदार और कलक्टर को बताया. उन्होंने कहा कि मजदूरों को राशन मुहैया कराने की फौरी जरूरत है. गंगापुर और बैजापुर के तहसीलदारों ने ऐक्टू नेता बुद्धिनाथ बराल से आग्रह किया कि वे कार्यकर्ता उपलब्ध कराएं. ऐक्टू ने अपने कार्यकर्ता उनके पास भेजे. 32 स्वयंसेवकों को पास निर्गत किया गया जिन्होंने जरूरतमंद मजदूरों तक सरकारी राहत और राशन पहुंचाए.