हरियाणा में 2 मई की शाम हुई ओलावृष्टि ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. सुबह जब किसान खेतों में पहुंचे तो अपनी आंखों के सामने बर्बाद हुई फसलों को देखकर उसके माथे पर चिंता की लकीरें खींच गईं. सरसों व गेहूं इस क्षेत्र की प्रमुख फसले हैं. जिले में इस समय 65 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में सरसों तथा 52 हजार हेक्टयेर में गेहूं की फसलें पकने को थीं. लेकिन ओलावृष्टि के कारण जहां खोल खंड के लगभग 100 गांवों में सरसों की फसलें शत-प्रतिशत खराब हो गईं, बावल व कोसली खंडों में भी ओलावृष्टि से काफी नुकसान हो गया है. खोल खंड के मंदोला, निमोठ, श्रीनगर, ढाणी कोलाना, बोहका, ऊंचा, धवाना, लुदाना, सीहा, जैनाबाद, अहरोद, ढाणी सोभा, नांगल जमालपुर, माजरा, भालखी, मामड़िया, ठेठर, खालेटा, मायण, धवाना, बलवाड़ी, नांधा, पाली, चीताडूंगरा, खोल, मनेठी, कुंठ सहित अनेक गांवों में ओलावृष्टि से दोनों ही फसलें बर्बाद हो गईं.
कोसली खंड के गांव बव्वा, भाला, गढ़ी, मुमताजपुर, भड़ंगी, कोहारड़, नाहड़ सहित दो दर्जन गांवों में ओलावृष्टि से फसलों में अधिक नुकसान हुआ है. खंड बावल में आसरा का माजरा, साबन, झाबुआ, नांगल शहबाजपुर, बावल, खिजुरी, बाधोज, पावटी, तिहाड़ा, नांगल तेजु, नांगल उगरा, नंगली, रायपुर, पातुहेड़ा, रसीयावास, खेड़ी डालु सिंह, टीकला, पनवाड़ आदि गांवों में 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान की आशंका किसानों द्वारा जताई जा रही है.
ग्राम पंचायत आसलवास के पंचायत प्रतिनिधि एवं दर्जनों किसान रविवार को उपायुक्त निवास पर पहुंचे. उन्होंने फसल बर्बादी का शीघ्र आकलन कराने की मांग को लेकर ज्ञापन देकर किसानों को हुए नुकसान की भरपाई की मांग उठाई.
किसान अतर सिंह ने कहा कि ऐसी ओलावृष्टि कभी नहीं देखी है. आधा घंटे तक हुई ओलावृष्टि से सरसों की फसल शत-प्रतिशत बरबाद हो गई है. जिला प्रशासन गांव में स्पेशल गिरदावरी करवा कर उचित मुआवजा दे. राज विरेन्द्र ने बताया कि मौसम की इस मार से किसानों के समक्ष आर्थिक संकट खड़ा होने की संभावना है. दोनों फसलें बर्बाद होना किसानों के लिए बहुत दुखद है.
कोसली खंड के गांव रत्नथल निवासी किसान राजविजय ने बताया कि ओलावृष्टि से सरसों की फसल को 50 से 80 प्रतिशत तथा गेहूं को 20 से 40 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचा है. किसानों को हुए इस नुकसान की भरपाई की मांग अन्य किसानों ने भी उठाई.
हरियाणा में नए कर्मचारियों की भर्ती पर एक साल के लिए रोक लगा दी गई है. नई भर्तियां नहीं करने, एलटीसी की सुविधा नहीं देने तथा डीए पर रोक लगाने का हरियाणा सरकार का फैसला कम से कम एक साल की अवधि तक के लिए है. मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने कहा कि कोरोना संकट के कारण सरकार खर्चों में कटौती कर रही है.
सरकार के इस तुगलकी फरमान से राज्य में बेरोजगारी बढ़ेगी. सरकार को ऐसे फैसले लेने की बजाय जनता को अधिक सुविधा प्रदान करने, बेमौसम की बरसात में मंडियों में पड़ी सड़ रही किसानों की रबी फसल की खरीद कररे, मनरेगा को सख्ती से लागू करने और मजदूरों को राहत पहुंचाने पर जोर देना चाहिए. सरकार के इस फैसले के खिलाफ व्यापक जनाक्रोश है.
किसान अखिल भारतीय किसान महासभा किसानों के ज्वलंत मुद्दों को लेकर राष्ट्रव्यापी धरना के राष्ट्रीय आह्वान पर अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रेम सिंह गहलावत और अन्य किसान कार्यकर्ता 27 अप्रैल 2020 का धरना पर बैठे. हरियाणा के कई जिलों और कई ब्लाॅकों में भी धरने आयोजित किये गये और जिला के उपायुक्तों तथा ब्लाॅकों के उप-मंडलाधीश के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञपन भेजा गया. जुलाना ब्लाॅक में महिला किसानों ने धरने का आयोजन किया. बाद में उप मंडलाधीश के द्वारा प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया. असन्ध, रतिया, नीलो खेड़ी और नूह (मेवात) ब्लाॅकों में धरना व ज्ञापन दिया गया. करनाल स्थित किसान महासभा के राज्य कार्यालय व जींद में भी धरना देकर ज्ञापन भेजा गया.
यंग इण्डिया का आक्रोश नूह (मेवात) में ‘यंग-इंडिया’ के राष्ट्रीय आह्वान पर 25 अप्रैल 2020 को राष्ट्रीय विरोध दिवस मनाया गया. इस अवसर पर सरकार से मांग करते हुए सभी कार्यकर्ताओं ने धरना दिया तथा सरकार को कहा कि वह तुरन्त देश के हित में ‘यूएपीए’ कानून को वापिस ले. धरने पर बैठे लोग ‘कोरोना महामारी से लड़ो, छात्र-नौजवान कार्यकर्ताओं से नही! कार्यकर्ताओं पर यूएपीए लगाना बन्द करो!’ आदि नारे लगा रहे थे. धरना में आइसा व इंकलाबी नौजवान सभा से जुड़े बाहावदिन आजाद इंजीनियर, हसन खान, वकील, अराफात, इरशाद मोहमद, इकबाल खान, खलद हुसैन तथा सलीम आदि ने हिस्सा लिया.
सफूरा जरगर, हम तुम्हारे साथ है
– प्रेम सिंह गहलावत