10 मार्च 2020 को हिंदी प्रकाशन की दुनिया में सामाजिक विज्ञान के अनन्य प्रकाशन ग्रंथशिल्पी के संचालक डा. श्याम बिहारी राय की सक्रियता पर विराम लग गया. उनका समूचा जीवन सादगी और संकल्प का साक्षात उदाहरण था. सोवियत संघ के पतन के बाद के दौर में, जब चारों ओर ‘इतिहास के अंत’ और ‘मार्क्सवाद की असफता’ का बाजार गर्म था, श्याम बिहारी राय ने हिंदी में मार्क्सवादी चिंतन की सैद्धांतिक किताबों के अनुवाद छापने का जोखिम भरा काम अपने जिम्मे लिया जिसे उन्होंने आजीवन जारी रखा.
9 मार्च 2020 को लालकुआं (बिंदुखत्ता) स्थित भाकपा(माले) कार्यालय में जनसंघर्षों के अगुआ नेता व पार्टी के पूर्व राज्य कमेटी सदस्य कामरेड मान सिंह पाल को उने स्मृति दिवस पर श्रद्धांजलि देते हुए बिंदुखत्ता के ऐतिहासिक भूमि संघर्ष व अन्य क्षेत्रों की मेहनतकश जनता के विभिन्न आंदोलनों में उनकी नेतृत्वकारी भूमिका को याद किया गया.
कामरेड लालू उरांव का निधन 17 दिसंबर की तड़के सुबह हो गई. वे भाकपा(माले) की दार्जिलिंग जिला कमेटी के सदस्य रहे थे और उन्होंने चाय बागान मजदूर यूनियन – तराई संग्रामी चा श्रमिक यूनियन – को संगठित करने में अहम भूमिका निभाई थी. इस जिले के चाय मजदूर आन्दोलन में ऐक्टू के एक जुझारू योद्धा के बतौर नवगठित चाय मजदूर यूनियन की स्थापना में उनकी भूमिका को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. बागान अधिकारी का. लालू के नेतृत्व में मजदूरों के प्रतिवादों से बहुत भय खाते थे, क्योंकि आदिवासी चाय मजदूरों के बीच वे अत्यधिक लोकप्रिय थे.
5 जनवरी को 3 बजे दिन में भाकपा(माले) के दमदम ब्रांच कमेटी सदस्य कामरेड निर्मल मुखर्जी (पंचू) का उत्तरी 24 परगना में दमदम दुर्गाबाड़ी रोड स्थित अपने आवास पर निधन हो गया. वे 68 वर्ष के थे. वे पिछले कई दिनों से सांस की समस्या से जूझ रहे थे.
विगत 9 जनवरी 2020 को आजमगढ़ में वरिष्ठ वामपंथी नेता का. इंद्रसेन सिंह का निधन हो गया. 12 जनवरी को शहर के कुंवर सिंह उद्यान में उनकी श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गयी. श्रद्धांजलि सभा को सबोंधित करते हुए भाकपा(माले) नेता का. जयप्रकाश नारायण ने कहा कि मार्क्सवाद में गहरी आस्था, सामाजिक विकृतियों और कुरीतियों की निर्मम आलोचना और वर्ग शत्रुओं के प्रति गहरी नफरत उनके व्यक्तित्व के तीन प्रमुख पहलू थे. वे 1956 में भाकपा के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बने. बाद में माकपा में आये और नक्सलबाड़ी आन्दोलन के बाद भाकपा(माले) में शामिल हो गए.
प्रगतिशील आलोचक, कवि, व्यंग्यकार, संगठक और वामपंथी नेता का. खगेंद्र ठाकुर का विगत 13 जनवरी 2020 को निधन हो गया. उसी दिन उन्हें एम्स, पटना में भर्ती कराया गया था. वहीं उन्होंने अंतिम सांस ली.
कामरेड सुखदेव के निधन की खबर पाकर मैं गंभीर मर्माहत हूं. अभी कुछ ही दिनों पहले उनसे लोकयुद्ध को लेकर बात हुई थी. मैं सोच भी नहीं सकता था कि पचास वर्ष पुराना उनका साथ इतनी जल्दी टूट जायेगा.
सौ वर्ष की आयु पार कर चुके नक्सलबाड़ी किसान विद्रोह के नेता का. मुजीबुर रहमान का निधन 29 दिसंबर 2019 को नक्सलबाड़ी स्थित अपने आवास पर हो गया. 1942 के ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन के दौरान उन्हें उनके जन्म-स्थान ढाका में कुछ महीनों के लिए गिरफ्तार कर लिया गया था. उन्होंने 1939 में कुछ समय के लिए दार्जिलिंग की यात्रा की थी. देश विभाजन के पूर्व वे सिलिगुड़ी चले आए थे, और वहां उन्होंने सरकारी साॅ मिल में जाॅब असिस्टेंट के बतौर काम करना शुरू किया. यहीं वे का. केशव सरकार व अनिल साहा जैसे कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं के संपर्क में आए और वर्कमेन्स यूनियन के सदस्य बन गए.
पार्टी की दिल्ली राज्य कमेटी और ऐक्टू के केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य व दिल्ली राज्य उपाध्यक्ष का. मथुरा पासवान (9.7.1953–8.1.2020) का 8 जनवरी 2020 को सुबह 5 बजे हृदय गति रुक जाने से अपने पैतृक गांव सिंघाड़ा कोपा (दुल्हिन बाजार, पटना) में निधन हो गया.