बिजली के निजीकरण के खिलाफ एसकेएम और ऐक्टू का प्रदेशव्यापी प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश के चार विद्युत वितरण निगमों में से दो – पूर्वांचल (वाराणसी) और दक्षिणांचल (आगरा) विद्युत वितरण निगम – को निजी क्षेत्र को देने के योगी सरकार के फैसले के खिलाफ 4 दिसंबर (बुधवार) को संयुक्त किसान मोर्चा व ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (ऐक्टू) के आह्वान पर उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में धरना और प्रदर्शन हुआ. दोनों संगठनों ने सरकार से फैसला रद्द करने की मांग की.

बिहार की राजधानी पटना में जीविका कर्मियों का महाजुटान

बिहार की राजधानी पटना में नवंबर महीने के अंतिम सप्ताह में, जब बिहार विधानसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा था, राज्य के जीविकाकर्मियों के दो-दो बड़े प्रदर्शन आयोजित हुए. इन प्रदर्शनों में राज्य के विभिन्न जिलों से सैकड़ों की तादाद में जूटे जीविका कर्मियों – जीविका दीदियों और अन्य ने उत्साहपूर्ण भागीदारी की और जोशीले आवाज में अपनी मांगों को बुलंद किया.

संविधान दिवस के मौके पर 26 नवंबर 2024 को जीविका कैडर-दीदी के महाजुटान ने भाजपा की नीतीश सरकार पर विश्वासघात का आरोप लगाया.

जीविका से जुड़ी सभी महिलाओं को स्थाई रोजगार मिले – ऐपवा

जीविका समूहों की सभी महिलाओं के स्थाई रोजगार व उनके उत्पाद की सरकारी खरीद, समूह की महिलाओं की बचत राशि से जीविका कैडरों के मानदेय को बंद करने, 2022 तक (कोविड काल) तक के कर्ज की माफी, माइक्रोफाइनेंस कंपनियों द्वारा मनमानी सूद वसूली और किस्त वसूली की प्रताड़ना पर रोक, माइक्रो फाइनेंस कंपनियों पर निर्भरता को खत्म करने, सरकारी समूहों से महिलाओं को उनकी जरूरत के मुताबिक कर्ज देने, झारखंड व अन्य कुछ राज्यों की तरह बिहार में भी सभी महिलाओं को 3 हजार रुपए की मासिक सहायता देने तथा महिलाओं पर अत्याचार-बलात्कार की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए पुलिस प्रशासन को जवाबदेह बनाए जाने

संभल हत्याकांड और अडानी के भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

संभल हत्याकांड के न्यायिक जांच, दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई और अडानी के भ्रष्टाचार की जांच कराने की मांग को लेकर इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाईए) के बैनर तले देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन हुए.

तहसील मुख्यालय पर मजदूर-किसानों का जोरदार प्रदर्शन

बीते 12 नवंबर को गाजीपुर जिला (उप्र) के सेवराई तहसील मुख्यालय पर भाकपा(माले), अखिल भारतीय किसान महासभा, खेग्रामस एवं महिला संगठन ऐपवा के बैनर तले भारी संख्या में जुटे किसान-मजदूरों व महिलाओं ने संयुक्त रूप से फर्जी बिजली बिल माफी, 300 यूनिट फ्री बिजली देने, हर गरीब को आवास देने, बैंकों-सूदखोरों समूहों तथा माइक्रो फाइनेंस कंपनियों की द्वारा दिए गए सभी कर्जों की माफी, सहारा का पैसा वापस करने, 10 हजार रुपए पेंशन देने, अफीम की खेती का लाइसेंस जारी करने, दिलदारनगर पशु मेले को पूरी क्षमता से चलाने व गायों की खरीद-विक्री पर रोक हटानेए, 2300 रु.

26 नवम्बर को पटना में होगा जीविका कैडरों-दीदियों का महाजुटान

बिहार जीविका मिशन द्वारा 2 सितंबर 24 को एक आदेश जारी कर 1.5 लाख जीविका कैडरों को सरकार/जीविका मिशन द्वारा मिल रहे तुच्छ मानदेय को भी क्रमशः 2028 तक पूरी तरह बंद कर देने तथा जीविका समूहों द्वारा कंट्रीब्यूशन आधारित कैडरों का मानदेय निर्धारण का आदेश निर्गत किया है.

बहराइच हिंसा पूर्व नियोजित थी : भाकपा(माले) टीम

‘बहराइच के महराजगंज कस्बे में हुई सांप्रदायिक हिंसा पूर्व नियोजित थी. पुलिस की भूमिका पर कस्बे का हर नागरिक सवाल उठा रहा है. लोगों का स्पष्ट मत है कि पुलिस व्यापक हिंसा कराने की योजना का हिस्सा थी, इसीलिए उसने डीजे में बजने वाले भड़काऊ व अल्पसंख्यक समाज को अपमानित करने वाले गानों को बजाने से नहीं रोका और न ही विसर्जन यात्रा को अब्दुल हमीद के घर और मस्जिद के बीच में रोकने व उत्तेजनापूर्ण स्थिति पैदा होने से बचाने के लिए आगे बढ़ाने में रुचि दिखाई.

गाजीपुर : पीड़ित परिवारों से मिली भाकपा(माले) टीम

गाजीपुर में दो अलग-अलग घटनाओं में भाकपा(माले) की टीम पीड़ित परिवारों से मिली. दबंगों को सत्ता संरक्षण के खिलाफ और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए पार्टी ने 30 अक्टूबर को जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना भी दिया.

जसम स्थापना दिवस : जंग और ज़ुल्म के खिलाफ इंसाफ के पक्ष में खड़े होने का आह्वान

जन संस्कृति मंच के स्थापना दिवस (28 अक्टूबर) के मौके पर इप्टा कार्यालय, कैसरबाग, लखनऊ में जंग और जुल्म के विरोध में परिचर्चा और कविता पाठ का आयोजन किया गया. इसकी अध्यक्षता जसम लखनऊ के कार्यकारी अध्यक्ष जाने-माने लेखक तथा ‘तज़किराष’ के प्रधान संपादक असगर मेहदी ओर संचालन जसम की लखनऊ इकाई के सचिव कथाकार फरजाना मेहदी ने की. कार्यक्रम के आरंभ में कलीम खान ने प्रो. जीएन साईबाबा की दो कविताएं. ‘मैंने मरने से इन्कार किया’ और ‘आजादी’ सुनाईं.

तिरहुत क्षेत्रा में ‘बदलो बिहार न्याय यात्रा’ के कुछ अनुभव

- सरोज चौबे

लघु उद्यमी अनुदान योजना की खुली पोल

भितिहरवा गांधी आश्रम से चलने के बाद पदयात्रा 12 बजे बेलवां गांव पहुंचे जो अति पिछड़ी जाति का गरीब बहुल गांव था. यहां खाने का भी इंतजाम था. हमारे पहुंचने से पहले ही मंच तैयार था. यह ऑटोमेटिक मंच हमारे साथ ही चल रहा था. ट्रैक्टर में दरी व कुर्सियां लदी थीं. प्रचार गाड़ी के माइक से सभा होती थी. भितिहरवा से साथ चल रहा मंच चार दिनों तक यानि पश्चिम चम्पारण जिले की सीमा तक साथ था.