उपरोक्त नारे के साथ भाकपा(माले) ने 18 दिसंबर 2024 से लेकर 22 अप्रैल 2025 तक पूरे झारखंड में जोहार झारखंड अभियान चलाने का संकल्प लिया है. विदित हो कि 2025 जननायक कामरेड महेन्द्र सिंह की शहादत का 20वां साल भी होगा. यहां प्रस्तुत है अभियान का पर्चा.
राज्य को सांप्रदायिक जहर में बांटने और इसे अडाणी के लूटखंड में तब्दील करने की साजिश को चकनाचूर करने के लिए झारखंड की जनता को जोहार! जल-जंगल-जमीन के संघर्ष को व्यापक करने और शहीदों के विरासत को समृद्ध करने के पक्ष में जनादेश के लिए जोहार-जय भीम-लाल सलाम!
हम अपने संकल्प अभियान के पहले पड़ाव की ओर बढ़ रहे हैं. 16 जनवरी 2025 हमारे प्रिय जननायक का. महेंद्र सिंह की शहादत का 20वां वर्ष है. का. महेंद्र सिंह की हत्या ऐसे वक्त में की गई थी जब राज्य की भाजपा सरकार झारखंड को पुलिस-कोरपोरेट राज्य में तब्दील करने में लगी हुई थी और इसके खिलाफ का. महेंद्र सिंह के नेतृत्व में झारखंड नवनिर्माण का आंदोलन आगे बढ़ रहा था. मोदी सरकार आज पूरे देशपर संघी-कारपोरेट फासीवाद थोपने की हताश कोशिश कर रही है.
झारखंड जैसे आदिवासी बहुल राज्यों के हितों को कुचलने और केंद्र की तानाशाही थोपने के लिए ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ कानून बनाने की कोशिश हो रही है. और जब भाकपा(माले) समेत इंडिया गठबंधन के सभी सांसद सड़क से लेकर सदन तक इसके खिलाफ खड़े हो रहे हैं तो भाजपा बौखला उठी है. यह संविधान और गणतंत्र का 75वां साल है. भाजपा कारपोरेट हितों के लिए लोकतंत्र को खत्म करने और संविधान बदलने में लगी है.
विपक्ष अडाणी पर सवाल उठा रहा है और चोट लग रही है मोदी को! अडाणी अधिकारियों को रिश्वत देकर राष्ट्रीय संसाधनों से लेकर शेयर बाजार तक लूट रहा है. अडाणी के खिलाफ अमेरिका ने गिरफ्तारी का वारंट निकाला है लेकिन अडाणी रिश्वत कांड पर सदन में बहस पर भी मोदी सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है.
विपक्ष के सवालों से बौखलाये गृहमंत्री अमित शाह संसद में अंबेडकर को अपमानित करते हुए सुने जा सकते हैंदृ ‘अभी एक फैशन हो गया है - अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर...इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता.’ यह दलितों, आदिवासियों और समाज के पिछड़े-कमजोर तबकों के खिलाफ पाखंडपूर्ण टिप्पणी भी है. अंबेडकर और संविधान के प्रति संघ और भाजपा की नफरत बहुत पुरानी है.
मोदी के पास देश की सत्ता है. सार्वजनिक हो या निजी, झारखंड के खनिज भंडार का दोहन उसके हाथों में है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद खनिज और खनन क्षेत्रों पर टैक्स का अधिकार मोदी सरकार झारखंड और अन्य राज्यों को नहीं दे रही है. झारखंड का 1.36 लाख करोड़ रूपया बकाया देने से भी मोदी सरकार इंकार कर रही है और झारखंड पर आर्थिक आपातकाल थोपने की साजिश कर रही है. न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए किसान धरनों पर मारे जा रहे हैं.
रोजगार का बड़ा स्रोत केंद्र के अधीन सार्वजनिक क्षेत्रों में है. लेकिन वहां नियुक्तियां बंद हैं. खनन हो, अभियंत्रण हो, उत्पादन हो या सेवा का सार्वजनिक क्षेत्र - मोदी की नीति है सबका निजीकरण. कोलियरियां खुल रही हैं लेकिन नियुक्तियां नहीं हैं. रोजगार के नाम पर आउटसोर्सिंग में ठेका मजदूरी है. रोजगार के नाम पर झारखंड के युवा स्थानीयता नीति के नाम पर भाजपा सरकारों के छल के भी शिकार हुए हैं. महागठबंधन सरकार की स्थानीयता नीति को लागू करने के रास्ते में भाजपा, केंद्र सरकार और राज्यपाल लगातार बाधा पैदा कर रही है. रसोइया, पारा शिक्षक, सहिया, आंगनबाड़ी सेविकाओं समेत स्कीम कर्मियों का बड़ा हिस्सा है जिसके वेतन और सेवाशर्तों को भी न्यायसंगत बनाने की जरूरत है.
का. गुरुदास चटर्जी की शहादत का यह 25वां वर्ष हैं. का. गुरूदास और का. महेन्द्र की हत्या इसलिए कर दी गई ताकि झारखंड में मजदूरों और गरीबों के अधिकारों को कुचला जा सके. जनसंघर्षों की आवाज को दबाया जा सके. इस चुनाव में पहली बार भाकपा(माले) के दो विधायक झारखंड विधानसभा में होंगे. यह जीत एके राय के नेतृत्व में चलनेवाले मजदूर और झारखंड आंदोलन की निरसा और सिंदरी जैसी ऐतिहासिक सीटों पर मिली है. झारखंड के गरीबों ने लाल झंडा को बुलंद कर आंदोलनों के नये दौर के लिए न्योता भेज दिया है. आइए, इस जीत को हम मजदूर-युवा आंदोलन के शक्ति स्रोत में बदल दें.
इंडिया गठबंधन की बड़ी जीत के बावजूद उत्तरी छोटानागपुर, पलामू प्रमंडल और बड़े शहरों में भाजपा का दबदबा बरकरार है. आइए, हम इन इलाकों को आंदोलनों एवं पार्टी के विस्तार में समेट लें और देश को तबाह करनेवाली भाजपा को अलगाव में धकेल दें. आइए, हम कदम ब कदम साथ चलें और आंदोलनों की लाल लहर बनकर खड़े हों.
का. महेंद्र सिंह ने कहा था कि उनकी ताकत विधानसभा में होने से नहीं है. उनकी ताकत उन हजारों लोगों में है जो अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं.आइए, लाल झंडा लेकर पदयात्रायों के जरिए गांवों-पंचायतों को जोड़ते हुए संकल्प अभियान के पहले पड़ाव 16 जनवरी को हम युवा आंदोलन की नींव रखें और हजारों युवा एकजुट होकर झारखंड के नवनिर्माण का संकल्प लें.
मनुवाद नहीं, संविधान चाहिए! फासीवादी नहीं, धर्मनिरपेक्ष-लोकतांत्रिक हिंदुस्तान चाहिए!