आपको यह नारा अटपटा-सा लग रहा होगा किन्तु ऐसे नारे गुंजायमान थे लाल किले के बाहर, जब आजाद हिन्द फौज के सिपाहियों पर अंग्रेज अदालतों में मुकदमे चल रहे थे. आजाद हिन्द फौज के 17 हजार जवानों के खिलाफ चलने वाले मुकदमे के विरोध में जनाक्रोश के सामूहिक प्रदर्शन हो रहे थे. इन प्रदर्शनों में पुलिसिया जुल्म से दिल्ली, मुम्बई, मदुराई और लाहौर में 326 से अधिक लोगों की जान चली गयी थी, वे भारत मां के लिए सड़कों पर शहीद हो गये.