भाजपा है सत्ता की भूखी, सहयोगियों को भी नहीं छोड़ा


भाकपा(माले) राज्य सचिव का. कुणाल ने कहा कि भाजपा एक ऐसी पार्टी है जो सत्ता के लिए हर कुकर्म कर सकती है. पैसे व ताकत के बल पर विपक्षी विधायकों को खरीदना, धमकाना व तोड़ डालना उसके लिए आम बात है. ऐसा करके उसने कई राज्यों में गैरभाजपा सरकार को अलोकतांत्रिक तरीके से गिराकर अपनी सरकार भी बनाई है. उसके डीएनए में ही साजिश व तमाम संवैधानिक मर्यादाओं की हत्या करके सत्ता हासिल करने की भूख है.

सुशील मोदी अंबानी-अडानी जैसे काॅरपोरेटों को ही किसान मानते हैं


29 दिसंबर के किसानों के राजभवन मार्च पर भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी के बयान पर पलटवार करते हुए भाकपा(माले) राज्य सचिव का. कुणाल ने कहा कि कल के राजभवन मार्च में शामिल दसियों हजार किसान सुशील मोदी को किसान नहीं दिखते, क्योंकि भाजपा व पूरा संघ गिरोह तो अब खेत-खेती व किसानी काॅरपोरेट घरानों के हवाले कर देना चाहती है. भाजपा के लिए अब खेतों में काम करने वाले लोग किसान नहीं हैं, बल्कि दुनिया के अमीरों में शुमार अंबानी-अडानी ही किसान हैं और वे उनके लिए सारी संवैधानिक नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं.

लव जिहाद के कानून पितृसत्तात्मक नफरत के औजार हैं


उत्तर प्रदेश का गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निरोधक अधिनियम, 2020, जो महिलाओं की “लव जिहाद” से रक्षा करने का दावा करता है, वास्तव में महिलाओं की स्वायत्तता और इच्छा के खिलाफ हिंसक हमला हैं. यह अध्यादेश – और साथ ही इसी किस्म के अध्यादेश जो उत्तराखंड में लागू हैं तथा भाजपा-शासित अन्य राज्यों में लागू होने की प्रक्रिया में हैं – हिंदू औरतों को ऐसा इन्सान नहीं मानते जो अपनी इच्छानुसार चुनाव कर सकती हैं, बल्कि महज हिंदू समुदाय की सम्पत्ति मानते हैं.

‘लव जिहाद’ को लेकर हो रही राजनीति संघी मनुवाद का नया संस्करण है


– चिंटू कुमारी, पूर्व महासचिव, जेएनयू छात्रसंघ
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लाया गया ‘लव जिहाद’ कानून और कुछ नहीं मनुस्मृति का ही नया रूप है, जो महिलाओं को समुदाय की संपत्ति मानकर गुलाम बनाता है और संघर्षों से हासिल किए हुए अधिकारों को फिर से छीन लेना चाहता है. यह जितना मुस्लिम विरोधी है, उतना ही हिंदू महिलाओं और दलितों का विरोधी भी है.

किसान विरोधी कृषि कानूनों के खिलाफ पूरे देश में किसानों का शाहीनबाग बन रहा है

 
-- दीपंकर भट्टाचार्य     

मोदी सरकार द्वारा संविधान व लोकतंत्र की हत्या करके बनाए गए तीन किसान विरोधी कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर दिल्ली पहुंच रहे किसानों पर बर्बर दमन के खिलाफ 30 नवंबर 2020 को भाकपा(माले) ने पूरे बिहार में विरोध दिवस का आयोजन किया और किसानो

आयुध कारखानों के निगमीकरण का नया बहाना


बीते 30 सितंबर 2020 को लगभग सभी अंग्रेजी पत्र-पत्रिकाओं ने एक खबर प्रकाशित की. उक्त खबर के अनुसार भारतीय सेना ने रक्षा मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट में कहा है कि ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड द्वारा भारतीय सेना को घटिया गुणवत्ता के हथियार आपूर्ति किए गए, जिसके चलते अप्रैल 2014 से अप्रैल 2019 के बीच 27 सैनिकों और सिविलियनों की जान गयी और 159 घायल हुए. समाचारों के अनुसार सेना की रिपोर्ट में कहा गया है कि उक्त खराब सामग्री के चलते 960 करोड़ रुपये का नुक्सान हुआ. इतनी धनराशि का उपयोग 100, 155 एमएम की होवित्जर जैसी तोपें खरीदने में किया जा सकता था.

बिहार : एनडीए सुशासन के पोल खोलते तथ्य

नीतीश कुमार लगभग 15 वर्षों से लगातार बिहार के मुख्यमंत्री बने रहे हैं (थोड़े समय के लिए जीतन राम मांझी ने उनकी जगह ली थी). 2005-15 के दरम्यान उन्होंने एनडीए शासन का नेतृत्व किया. 2015 के चुनाव में एनडीए को शिकस्त मिली, और नीतीश कुमार राजद के साथ ‘महागठबंधन’ में मुख्यमंत्री बने. लेकिन एनडीए ने जनादेश को हथिया लिया और नीतीश कुमार ने उसी भाजपा के साथ संश्रय कायम कर लिया जिसे बिहार की जनता ने बड़े पैमाने पर नकार दिया था.