रोजगार और घोटालों से लोगों का ध्यान हटाकर नफरत सुलगाने की भाजपाई साजिश को शिकस्त दें !

पिछले कुछ दिनों में मोदी जमाने के घोटाले के सबूतों का बड़ी तेजी से खुलासा होता जा रहा है. और, मोदी सरकार की भेंट बेरोजगारी तथा घोटालों की ओर से लोगों का ध्यान हटाने के लिए भाजपा के नेतागण रोज अपने भाषणों में कभी मतदाताओं को डरा-धमका रहे हैं तो कभी इस्लाम का हौवा दिखाते हुए उसके खिलाफ नफरत भड़का कर उनका ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं. दुर्भाग्यवश, सर्वोच्च न्यायालय और निर्वाचन आयोग जैसी संस्थाएं भी ऐसी असंवैधानिक धमकियों और नफरतभरे बयानों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करके अपनी बेबसी और पक्षपाती रवैये का ही प्रदर्शन कर रहे हैं.

मोदी और भाजपा ‘विकास’ के मुद्दे से हटी, खुले सांप्रदायिक अभियान का सहारा लिया

2019 के संसदीय चुनावों की औपचारिक शुरूआत करते हुए वर्धा में एक भाषण के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने खुल्लमखुल्ला विभाजनकारी सांप्रदायिक जुगाली भरी और प्रतिद्वंद्वी पार्टियों पर हिंदू-विरोधी एजेंडा अपनाने का आरोप लगाया. भाषण की शैली और सारवस्तु में मोदी की उलझन और हताशा झलक रही थी. रोजगार और किसानों से जुड़े सवालों पर मजबूती से मतदाताओं का सामना करने में असमर्थ और बहुतेरे भ्रष्टाचार घोटालों से घिरे मोदी और भाजपा अब अपनी अंतिम संभव तिकड़म का सहारा ले रहे हैं.

क्राइस्टचर्च जनसंहार और इस्लामभीतिक व धुर-दक्षिणपंथी आतंक का वैश्विक उत्थान

क्राइस्टचर्च, न्यूजीलैंड में एक गोरे वर्चस्ववादी आतंकी द्वारा वहां की दो मस्जिदों में इबादत कर रहे 50 लोगों की भयावह हत्या ने पूरी दुनिया की जनता को मर्माहत, शोकाकुल और क्षुब्ध कर दिया है. इससे यह भी संपुष्ट हुआ है कि श्वेत वर्चस्ववादियों का वैश्विक नेटवर्क अब एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी खतरा बन गया है µ यह और भी अपराधपूर्ण इसलिए है, क्योंकि इन लोगों को अमेरिकी सरकार तथा अन्य धुर-दक्षिणपंथी सत्ताओं की ओर से न केवल प्रेरणा मिल रही है, बल्कि उनका गुप्त समर्थन भी हासिल हो रहा है.

लोकसभा चुनाव 2019: भाजपा को भगाने और लोकतंत्र बचाने के लिए संघर्ष तेज करें !

भारत के निर्वाचन आयोग ने आखिरकार 2019 के संसदीय चुनाव और कुछ राज्यों में विधान सभा चुनावों की तारीखें घोषित कर दीं हैं. इस घोषणा में हुए विलंब और मतदान के चरणों को अकथनीय रूप से बढ़ा देने के चलते सही तौर पर चंद सवाल खड़े हो रहे हैं. इस घोषणा में देरी क्या इसलिए की गई, ताकि प्रधान मंत्री परियोजनाओं के उद्घाटन (और कुछ मामलों में तो पुनरुद्घाटन) का अपना तूफानी दौरा खत्म कर ले सकें ? क्या मतदान की तिथियों को इस प्रकार निर्धारित किया गया है, जिससे कि प्रधान मंत्री अधिकतम रैलियों को संबोधित कर सकें और शासक पार्टी अधिकतम संभव कारगर ढंग से अपने कार्यकर्ताओं को चुनाव में लगा सके ?

पुलवामा और बालाकोट मोदी सरकार की दो और स्पष्ट विफलताएं हैंः चुनाव में इसे सत्ता से बाहर कर दें !

पुलवामा हमले और तदंतर भारत तथा पाकिस्तान द्वारा किए गए ‘हवाई हमलों’ के बाद इस उप महाद्वीप को खतरनाक युद्ध के मुहाने पर खड़ा कर दिया गया है. इन दो एटमी शक्ति संपन्न ताकतों के बीच ऐसा माहौल, जिसके साथ “एटमी शक्ति के इस्तेमाल की धमकी” से जुड़ी गैर-जिम्मेदार मीडिया चर्चा भी साथ-साथ चल रही है, इस उपमहाद्वीप और समूची दुनिया के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है.

पुलवामा को मोदी के सत्ता के खेल का मोहरा न बनने दें, नफरत और जंगखोरी के संघी अभियान का प्रतिरोध करें

जम्मू से श्रीनगर जा रहे सीआरपीएफ के रक्षक-दल पर उस भयावह हमले के बाद समूचा देश पुलवामा त्रासदी और उसके बाद की घटनाओं से उबरने की कोशिश अभी भी कर रहा है. इस हमले में मृतकों की संख्या 50 के करीब पहुंच चुकी है, और कई जवान अपने गंभीर जख्मों से अभी तक जूझ रहे हैं. इस हमले का दुस्साहस - लगभग तीन सौ किलोग्राम विस्फोटकों से लदी एक कार अठहत्तर वाहनों के रक्षा दल का रास्ता काट कर सीआरपीएफ जवानों से भरी एक बस से जा टकराती है - और, इस त्रासदी का बड़ा पैमाना जिसने आज तक के इतिहास में इस घाटी में सबसे ज्यादा सुरक्षा बलों की जान ली है, सचमुच सर चकराने वाला है.

राफेल का भूत और डरावना बनकर लौटाः मोदी सरकार का पूरा भांडा फूट गया

अगर मोदी सरकार ने यह सोचा था कि उसको राफेल सौदे के मामले में सर्वोच्च न्यायालय से ‘क्लीन चिट’ मिल गई है, और अब तो इस विषय पर बात खतम ही मान ली गई है, तो इससे बड़ी उनकी और क्या गलती हो सकती है. राफेल का भूत और डरावना बनकर लौट आया है. बजट पेश किये जाने के बाद दिये गये अपने लम्बे-चौड़े भाषण का अच्छा-खासा वक्त मोदी को इस सौदे का बचाव करने में ही खर्च हो गया, और उसके बाद से तो खुद प्रतिरक्षा मंत्रालय के अंदर से उठाई गई आपत्तियों के बारे में एक के बाद एक विस्फोटक खुलासे हो रहे हैं, और राफेल सौदे में कौल-करार की प्रक्रिया और सौदे की शर्तों के बारे में कई राजों का पर्दाफाश हुआ है.

संघ-भाजपा ब्रिगेड की फूटपरस्त भटकाऊ साजिश को नाकाम करें

जैसे जैसे चुनाव का महत्वपूर्ण मौसम नजदीक आ रहा है, संघ-भाजपा की साजिश की रूपरेखाएं दिनों-दिन और भी स्पष्ट होती जा रही हैं. 2019 के महासमर से पहले प्रकट हो रहे भाजपा के एजेन्डा और प्रचार अभियान के हम चार प्रमुख संकेतकों की शिनाख्त कर सकते हैं.

यौन-उत्पीड़को, तुम्हारा खेल खत्म

पिछले दो हफ्तों में फिल्म, पत्रकारिता, कला-जगत, शैक्षणिक जगत और सामाजिक कार्यकर्ताओं की दुनिया में बड़ी हस्ती रखने वाले आदतन यौन-उत्पीड़कों का पर्दाफाश करते हुए महिलाओं द्वारा अपनी जबानी यौन-उत्पीड़न की कहानी खुद कहने की बाढ़ सी आ गई है. पिछले वर्ष हॉलीवुड में यौन हमला करने वाले हार्वे वीनस्टीन जैसे शिकारियों का पर्दाफाश करने वाली अमरीकी महिलाओं की तरह ही इन महिलाओं ने भी मीटू हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए मांग की है कि महिलाओं के यौन हिंसा के अपने अनुभव वर्णन को स्वीकार्यता दी जाय और उन पर विश्वास किया जाय.

उमर खालिद पर हमला मोदी सरकार और उनके गोदी मीडिया के भड़कावे का नतीजा है

उमर खालिद पर हमला मोदी सरकार और गोदी मीडिया द्वारा छात्रों, शिक्षकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, असहमति जाहिर करने वाले लोगों और पत्रकारों के खिलाफ निर्देशित फेक न्यूज (झूठी खबरों), नफरत भरे भाषण और हत्यारी हिंसा के लिये भड़काये जाने वाले निरंतर प्रचार का ही नतीजा है..