जलवायु परिवर्तन : आर्थिक और सामाजिक न्याय के जरिये पर्यावरण न्याय

– मैत्रोयी कृष्णन

सितंबर के पहले दो हफ्तों में बंगलोर में मूसलाधार बारिश के तजुर्बे से यह पता चला कि मजदूर वर्ग के हजारों परिवार अपने घरों के जलमग्न होने के कारण मुसीबत में पड़ गए, जबकि टेलीविजन चैनल इन खबरों से भरे हुए थे कि कैसे सीईओ को उनके घरों से नावों से ले जाया गया और किस तरह से आईटी पार्कों में पानी भर गया था.

स्वाति गैंग रेप-हत्याकांड : उन्माद-उत्पात की राजनीति की प्रयोगशाला समस्तीपुर में भाजपा का एक और घिनौना कृत्य

बिहार का समस्तीपुर जिला भाजपाई उन्मादी-उत्पाती ताकतों की गंभीर चपेट में है. इसी जिले के उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र से केंद्रीय मंत्री व भाजपा नेता नित्यानंद राय सांसद हैं. उनकी सरपरस्ती में समस्तीपुर आज पूरी तरह दलितों-महिलाओं व मुस्लिमों के दमन-उत्पीड़न का केंद्र बन गया है. राज्य में सरकार बदल गई है, भाजपा सत्ता से बेदखल हो चुकी है, लेकिन वहां दमन-उत्पीड़न की घटनाएं रूकने का नाम नहीं ले रही हैं.

औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति का झूठ और भारत को हिंदू राष्ट्र बताने का षड्यंत्र

आरएसएस के प्रमुख सिद्धांतकार व भाजपा सांसद राकेश सिन्हा ने अपने हाल के एक लेख ‘डिकोलोनाइजिंग द इंडियन माइंडसेट’ में लिखा है कि भारत के प्रधानमंत्री औपनिवेशिक उत्पीड़न के संस्थाओं व प्रतीकों के पूरी तरह से उन्मूलन के अपने विचारों के प्रति दृढ़ संकल्पित हैं. भारतीय मानस के वि-औपनिवेशिकरण का उनका यह प्रोजेक्ट स्पष्ट और खास लक्ष्यों को केंद्रित है. फिर अपने चरित्र के मुताबिक राकेश सिन्हा नेहरू पर हमलावर होते हैं.

क्या आप असली भगत सिंह को जानते हैं?

27/28 सितंबर को शहीदे-आजम भगत सिंह का जन्मदिन मनाया जाता है. अपने साथियों सुखदेव और राजगुरु के साथ शहादत के नौ दशक बाद भी वे आज भारत ही नहीं, पूरे उपमहाद्वीप के सर्वमान्य हीरो हैं और जिस महासंकट से हम घिरे हुए हैं, उसमें उनके विचार आज और भी अधिक प्रासंगिक हो गए हैं.

पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों पर प्रतिबंध निंदनीय, आरएसएस-वीएचपी पर क्यों नहीं?

भारत सरकार द्वारा पीएफआई और उसके सहयोगी संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई निंदनीय है. सरकार की यह कार्रवाई राज्य सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ उठने वाली आवाजों पर शिकंजा कसने के मकसद से राज्य की एजेंसियों और सरकारी तंत्र का शस्त्रीकरण है.

यह प्रतिबंध जनता के बीच इस्लामोफोबिया फैलाने और मुसलमानों को एक समुदाय के रूप में बदनाम करने का सचेत प्रयास भी है. यह मुसलमानों को सामूहिक रूप से उत्पीड़ित करने के उद्देश्य से पहले से सोची-समझी राजनीतिक कार्रवाई है.

रोजगार और न्याय : पश्चिम बंगाल के अभिवंचित युवकों की ऐतिहासिक लड़ाई

एक अभिनेत्री आौर खबर के मुताबिक अब पदमुक्त किए गए टीएमसी मंत्री पार्थ चटर्जी की घनिष्ठ सहयोगी के दो फ्लैटों से पचास करोड़ रुपये से भी ज्यादा मूल्य के नगदी और सोने की हैरतअंगेज जब्ती ने एक बार फिर उस राज्य की ममता बनर्जी सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है. रुपयों की यह बरामदगी और उस मंत्री की गिरफ्तारी कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस फैसले के बाद हुई है, जिसमें कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में स्कूल सर्विस कमीशन (एसएससी) में भारी अनियमितताओं और बड़े पैमाने की हेराफेरी की सीबीआई जांच कराने का आदेश दिया था.

आजादी की 75वीं वर्षगांठ: भारत किधर?

भारत का उपनिवेशवाद-विरोधी संघर्ष, अथवा स्वतंत्रता आन्दोलन, भारत के इतिहास में एक दीर्घकालीन और वैविध्यपूर्ण अध्याय रहा है. यह अनेकानेक संघर्षों से गुंथा हुआ चित्रपट है जिसने आधुनिक भारत की खोज को गहरा और समृद्ध बनाया है. विभिन्न कालखंडों और विभिन्न अंचलों में तात्कालिक मुद्दे और संदर्भ भिन्न-भिन्न थे – सामंतवाद और सूदखोरी के खिलाफ संघर्ष, स्थानीय राजाओं के खिलाफ संघर्ष, जातीय व लैंगिक उत्पीड़न और अन्याय के खिलाफ संघर्ष, तथा भाषाई अधिकारों व सांस्कृतिक विविधता के लिए संघर्ष, इन सब ने मिलकर स्वतंत्रता आन्दोलन को आवेग प्रदान किया और उसके कैनवास को विस्तृत बनाया.

खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी: महंगाई और बेरोजगारी के जख्मों पर नमक लगाना

मोदी राज ने पहले से पैक्ड और लेबल लगे दाल, गेहूं, चावल, आंटा, सूजी, बेसन, मूढ़ी, दूध और दही/लस्सी पर 5 प्रतिशत का जीएसटी लगाने का फैसला किया है. इससे पिछले कई दशकों में सबसे ज्यादा महंगाई और बेरोजगारी दर से जूझते आम लोगों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.

योगी राज में गरीबों पर चौतरफा मार पड़ी है

लखनऊ की शहरी व ग्रामीण गरीब महिलाओं के बीच चलाये गए अभियान के कुछ अनुभव

‘अच्छे दिन’ लाने का वादा करके सत्ता में आई मोदी-योगी की डबल इंजन की सरकार के राज में गरीबों के मुंह का निवाला भी छीना जा रहा है. शहरी व ग्रामीण गरीबों को रोजगार के लाले पड़ गए है. ग्रामीण क्षेत्र में खासतौर पर महिलाओं के लिए कोई रोजगार नहीं है. पुरुषों के लिए भी कोई खास काम नहीं है. रही-सही कसर योगी जी के तथाकथित रामराज्य में छुट्टा घूमते जानवरों ने पूरी कर दी है.