कागज पर कुछ रेखाएं खिंची, उनमें कुछ रंग भरा, रंग भरने से कुछ आकृतियां उभरी, आकृतियां उभरने से कार्टून बना और कार्टून के बनने से भावनाएं आहत हो गयीं. जिनकी नर्म-मुलायम-नाजुक-कोमल भावनाएं आहत हुईं, वे लपक कर मुकदमा दर्ज करवाने चल पड़े. आहत भावनाओं वाला तो कुछ भी कर सकता है पर डियर मित्र पुलिस जी, आपके पास तो और भी काम होंगे, आप क्यूं आहत भावनाओं पर मरहम लगाने के लिए मुकदमा दर्ज करने निकल पड़े?