रेलवे भारतीय जनता की जीवन रेखा है. यह न सिर्फ लाखों लोगों के रोजी-रोटी का साधन है बल्कि करोड़ों नागरिकों के सपनों को भी ढोती है. हजारों मजदूर काम की तलाश में, विद्यार्थी पढाई और परीक्षाऔर बीमार लोग इलाज के सिलसिले में एक शहर से दूसरे शहर रेलवे के माध्यम से ही जा पाते हैं. मोदी सरकार ने कोविड के बहाने कई ट्रेनें बंद की, ट्रेनें फिर से शुरू हुईं तो जनरल और नन एसी स्लीपर बोगियों की संख्या घटाकर एसी बोगियों की संख्या बढ़ा दी गई और साथ ही साथ यात्री किराया भी बढ़ा दिया गया. सरकार के इस फैसले ने देश की बड़ी आवादी के लिए मुसीबत खड़ी कर दी.
भारतीय रेलवे दुनिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. यह यात्रा सेवा के साथ-साथ लाखों नौजवानों को रोजगार भी देता था. हर साल करीब 30 से 40 हजार भर्तियां रेलवे में हुआ करती थी. जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है तब से इन बहालियों पर कुंडली मार कर बैठी है. धड़ल्ले से सरकार ठेके पर बहाली कर रही है या पद रिक्त है. पिछले कुछ वर्षों में कई बड़ी रेल दुर्घटनाएं हुई हैं जिसमें सैकड़ों यात्रियों नें जानें गंवाई. विशेषज्ञों के अनुसार इन दुर्घटनाओं की बड़ी वजह सिग्नल व सुरक्षा संबंधी कार्यों में स्टाफ की भारी कमी है. स्टाफ को 14-14 घंटे काम करना पड़ता है.
आरवाइए ने पिछले दिनों इन तमाम सवालों पर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन कर सरकार से यह मांग किया कि –
सरकार लगातार रेलवे के यात्री टिकट को महंगा और जनरल और नन एसी स्लीपर डिब्बों को काफी कम कर दिया है जिसकी वजह से प्रवासी मजदूर, विद्यार्थी व बीमार लोग भेड़-बकरियों की तरह, शौचालय तक में खड़े होकर सफर करने के लिए मजबूर हैं. यह न सिर्फ अमानवीय है बल्कि संविधान प्रदत्त मानवीय गरिमा के साथ जीने के अधिकार का भी उल्लंघन है. इसलिए जनरल डिब्बों की संख्या बढ़ाई जाए, लंबी दूरी के सभी सवारियों को न्यूनतम सीट की गारंटी की जाए, बढे हुए यात्राी किराए कम किए जाएं.
रेलवे में बढ़ रही दुर्घटनाएं रेल के सफर को मौत का सफर बना रही हैं. सुरक्षा मानकों को बहाल किया जाए. स्टाफ की कमी दूर करने के लिए (ओवरवर्क्ड स्टाफ भी रेलवे दुर्घटनाओं का बड़ा कारण है) रिक्त पड़े सभी पदों पर अविलंब बहाली की जाए.
मोदी सरकार रेलवे के संचालन को बेच रही है – कहीं स्टेशन तो कहीं रूट, ट्रेन, स्टेडियम आदि. जहा भी स्टेशन प्राइवेट हाथों में गया है वहां प्लेटफार्म टिकट से लेकर यात्री किराया तक बढ़ा दिया गया है. हम मांग करते हैं कि बिक्री के इस फैसले को तुरंत वापस लिया जाए.
भारतीय रेल में कम लिए गए जनसुविधाओं को पुनः बहाल किया जाय. वरिष्ठ नागरिकों व शारीरिक अशक्त नागरिकों को टिकट में छूट को पुनः बहाल किया जाए.