आतंक के साए को चीरते हुए इमामगंज में ऐतिहासिक प्रतिरोध सभा

सुशासन के बडे़-बड़े दावे के बावजूद भाजपा-जदयू संरक्षित राजू-जुम्मन गिरोह लंबे समय से इमामगंज में आतंक का पर्याय बना हुआ है. इसी गिरोह ने विगत 9 सितंबर को भाकपा-माले के लोकप्रिय नेता का. सुनील चंद्रवंशी की हत्या कर दी थी. हत्यारों ने शायद सोचा होगा कि इसके जरिए वे इलाके में अपने वर्चस्व को और मजबूत बना लेंगे, लेकिन उन्हें शायद इसका अंदाजा नहीं था कि ऐसे हमलों को झेलकर ही भाकपा-माले लगातर आगे बढ़ी है. 21 सितंबर को आयोजित प्रतिरोध सभा में जनसैलाब और व्यापक जन समर्थन ने स्पष्ट कर दिया कि हत्या के जरिए जनता की आवाज दबाई नहीं जा सकती. का.

महिला हिंसा की बढ़ती घटनाओं के खिलाफ लखनऊ में ऐपवा का प्रदर्शन

योगी राज में उत्तर प्रदेश में महिला हिंसा की बढ़ती घटनाओं के खिलाफ ऐपवा ने लखनऊ में परिवर्तन चैक पर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों द्वारा विधानसभा की ओर मार्च करने पर थोड़ी दूर आगे बढ़ने के बाद प्रशासन ने भारी पुलिस बल लगाकर केडी सिंह बाबू स्टेडियम के पास रोक दिया. बीच सड़क पर आक्रोशपूर्ण नारेबाजी व जद्दोजहद के साथ पुलिस कमिश्नरेट के अधिकारी को मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन दिया गया.

बुल्डोजर राज के खिलाफ पटना की सड़कों पर उमड़ा दलित-गरीबों का जन सैलाब

खेग्रामस (अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा) के तत्वावधान में विगत 23 जुलाई 2024 को राजधानी पटना में दलित, गरीबों और मजदूरों का विशाल विधानसभा मार्च निकला. गांव के गरीब, दलित और मजदूर महिला पुरुषों ने हजारों की संख्या में गेट पब्लिक लाइब्रेरी से गर्दनीबाग धरनास्थल तक विशाल जुलूस निकाला. गरीब महिलाएं भी बुल्डोजर राज के खिलाफ अपना आक्रोश जाहिर करने पटना पहुंची थी. गरीबों को उजाड़ने के खिलाफ सभी भूमिहीनों को 5 डि.

बिहार विधानसभा के समक्ष विद्यालय रसोइयों का प्रदर्शन

बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ (ऐक्टू) के आह्वान पर राज्य की हजारों  रसोइयों ने 24 जुलाई 2024 को बिहार विधान सभा के समक्ष, गर्दनीबाग पटना में, रसोइयों को दिये जा रहे अपमानजनक 1650 रु. मासिक मानदेय के बदले 10 हजार रु. मानदेय करने, वर्ष में 10 के बजाए 12 माह का मानदेय देने, रसोइयों से काम छीनकर खाना आपूर्ति का काम एनजीओ को सौंपना बन्द करने व एमडीएम से एनजीओ को बाहर करने सहित 13 सूत्री मांगों पर प्रदर्शन किया.

बढ़ते अपराध और गिरती कानून व्यवस्था के खिलाफ इंडिया गठबंधन का बिहारव्यापी प्रतिरोध मार्च

राजधानी पटना में निकला आक्रामक मार्च, मुख्यमंत्री के नाम जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया 

लोकसभा चुनाव के संपन्न होने के साथ ही बिहार में बढ़ते अपराध और लगातार गिरती कानून व्यवस्था के खिलाफ इंडिया गठबंधन के आह्नान पर 20 जुलाई 2024 को राज्यव्यापी प्रतिरोध मार्च का आयोजन किया गया. राजधानी पटना सहित जहानाबाद, अरवल, नवादा, मोतिहारी, आरा, दरभंगा, मुजफ्फरपुर आदि शहरों में प्रदर्शन किया गया.

भारतीय रेल से आम जनता की बेदखली के खिलाफ आरवाइए का देशव्यापी विरोध प्रदर्शन

रेलवे भारतीय जनता की जीवन रेखा है. यह न सिर्फ लाखों लोगों के रोजी-रोटी का साधन है बल्कि करोड़ों नागरिकों के सपनों को भी ढोती है. हजारों मजदूर काम की तलाश में, विद्यार्थी पढाई और परीक्षाऔर बीमार लोग इलाज के सिलसिले में एक शहर से दूसरे शहर रेलवे के माध्यम से ही जा पाते हैं. मोदी सरकार ने कोविड के बहाने कई ट्रेनें बंद की, ट्रेनें फिर से शुरू हुईं तो जनरल और नन एसी स्लीपर बोगियों की संख्या घटाकर एसी बोगियों की संख्या बढ़ा दी गई और साथ ही साथ यात्री किराया भी बढ़ा दिया गया. सरकार के इस फैसले ने देश की बड़ी आवादी के लिए मुसीबत खड़ी कर दी.

दिल्ली में नमाजियों के अपमान और पुलिसिया हिंसा के खिलाफ देशव्यापी प्रतिवाद कार्यक्रम

दिल्ली के इंद्रलोक में नमाजियों के अपमान और पुलिसिया हिंसा के खिलाफ भाकपा माले द्वारा आहूत दो-दिवसीय (11-12 मार्च 2024) राष्ट्रव्यापी प्रतिवाद दिवस का पालन करते देशभर में विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए.

असंवैधानिक, भेदभावकारी और विभाजनकारी नागरिकता संशोधन कानून का देशव्यापी विरोध

लोकसभा चुनाव 2024 के ठीक पहले असंवैधानिक, भेदभावकारी और विभाजनकारी नागरिकता संशोधन कानून की अधिसूचना को एक गहरी राजनीतिक साजिश करार देते हुए भाकपा(माले) ने 14 मार्च 2024 को राष्ट्रव्यापी प्रतिवाद आयोजित किया. इसके तहत राजधानी पटना सहित गया, दरभंगा, सुपौल, नासरीगंज, बिहारशरीफ, पटना ग्रामीण के मसौढ़ी, दुल्हिनबाजार, नवादा, बेगूसराय आदि जगहों पर विरोध दिवस का आयोजन किया.

ऐतिहासिक रहा ग्रामीण भारत बंद और औद्योगिक-क्षेत्रीय हड़ताल

16 फरवरी 2024 को एसकेएम और सीटीयू/फेडरेशनों द्वारा आहूत और देश की अन्य ट्रेड यूनियनों, खेत मजदूर, छात्र, युवा, महिला, व्यापारी, ट्रांसपोर्ट से जुड़े संगठनों का देश में औद्योगिक/सेक्टोरियल हड़ताल और ग्रामीण भारत बंद का आह्वान ऐतिहासिक रहा। इस अभियान को सफल बनाने के लिए देश के किसानों, मजदूरों, छात्रों, युवा, महिला संगठनों, व्यापार व ट्रांसपोर्ट से जुड़े संगठनों की अहम भूमिका रही है। संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने इसे ऐतिहासिक करार देते हुए आगे और भी बड़े आंदोलनात्मक अभियान चलाने का ऐलान किया है। इस हड़ताल और बंद का असर सुबह से ही दिखने लगा था, जब कई उद्योगों, स

बिहार में परिवर्तन की महत्वपूर्ण सूत्रधार बनेंगी महिलाएं

12 फरवरी, ऐपवा स्थापना दिवस के अवसर पर बिहार की राजधानी पटना में विधानसभा के समक्ष महिलाओं का प्रदर्शन आयोजित किया गया था. इसी दिन बिहार की भाजपा-जदयू सरकार को विश्वास मत हासिल करना था. राजनीतिक माहौल काफी तनावपूर्ण था और तरह-तरह की बातें हवा में थीं. ग्रामीण और शहरी इलाकों में जहां से महिलाओं को शामिल होना था वहां कई लोगों ने प्रचार कर दिया था कि प्रदर्शन नहीं होगा क्योंकि पटना में धारा 144 लगा दी गई है. कई जगह से महिला साथियों के फोन आने लगे कि कार्यक्रम होगा या नहीं. प्रदर्शन की इजाजत मिली है या नहीं.