-- पुरुषोत्तम शर्मा
14 मार्च 2024 को दिल्ली के रामलीला मैदान में देश के कोने-कोने से पहुंचे हजारों किसानों के हुजूम ने एक विशाल किसान-मजदूर महापंचायत का आयोजन कर केंद्र की मोदी सरकार को चेतावनी दी कि वह देश के किसानों से किए अपने वायदों को पूरा करे. एमएसपी गारंटी कानून, किसानों-मजदूरों की सम्पूर्ण कर्ज माफी, 26 हजार रुपया न्यूनतम वेतन, मनरेगा में 200 दिन का काम व 600 रुपए मजदूरी, किसानों को 10 हजार रूपये पेंशन सहित उन सभी मांगों का समाधान तत्काल करे जो लम्बित पड़ी हैं. सरकार किसानों, मजदूरों, नौजवानों के आंदोलनों पर क्रूर दमन रोके, लखीमपुर काण्ड के आरोपी केन्द्रीय गृह राज्य मंत्रा अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करे, देश के सरकारी व सार्वजनिक संसाधनों की लूट को रोके और देश के लोकतांत्रिक, संघीय व धर्मनिरपेक्ष ढांचे पर हमला बंद करे.
पिछ्ले दिनों जिस तरह से पंजाब में कुछ संगठनों द्वारा चलाए जा रहे किसान आन्दोलन के समय सरकार ने पंजाब, हरियाणा से दिल्ली और उत्तर प्रदेश से दिल्ली को जुड़ी सीमाओं को कंटीले तारों, कीलों व भारी बैरीकेडों से सील कर दिया था, किसानों का भारी दमन करते हुए पंजाब के एक नौजवान किसान शुभकरण की गोली मारकर हत्या कर दी थी, दिल्ली में धारा 144 लगाकर मामूली व प्रतीकात्मक विरोध के कार्यक्रमों पर भी रोक लगा दी थी – ऐसे भारी दमन व सत्ता के आतंक के दौर में तथा लोकसभा चुनाव की घोषणा की पूर्ववेला में किसानों की यह सफल व विशाल महापंचायत संघर्षरत जन समुदाय में उम्मीद की एक किरण जगाने में फिर सफल रही. महापंचायत के मंच पर देश के सभी चर्चित किसान नेता और केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों से आए अतिथि मौजूद थे.
वरिष्ठ किसान नेता बलबीर सिंह राजोवाल, जोगेंदर सिंह उगराहां, दर्शन पाल, कामरेड रुल्दू सिंह मानसा, कामरेड अशोक धावले, राकेश टिकैत, कामरेड राजा राम सिंह, बीजू कृष्णन, सत्यवान, बलदेव सिंह निहालगढ़, शंकर घोष, हन्नान मौलाह, आशीष मित्तल, मेधा पाटकर, डॉ. सुनीलम, अविक शाह, तेजेंदर विर्क, प्रेमसिंह गहलावत, कृष्णा प्रसाद, पुरुषोत्तम शर्मा. रामेन्द्र पटियाला, युद्धवीर सिंह, सुभाष काकुस्ते, बूटा सिंह बुर्जगिल, सतनाम सिंह अजनाला, सुखदेव सिंह कोकरी, शशिकांत, अर्जुन बालियान सहित तमाम नेता मौजूद थे. ऐक्टू के राष्ट्रीय सचिव संतोष राय, आइसा के राष्ट्रीय महासचिव प्रसेनजीत, ऐपवा की राष्ट्रीय सचिव स्वेता राज भी अतिथि के रूप में महापंचायत में मौजूद थे. किसान महासभा के राष्ट्रीय नेताओं में फूलचंद ढेवा, ईश्वरी प्रशाद कुशवाहा, गुरनाम सिंह भिखी, रामचन्द्र कुलहरि, नत्थीलाल पाठक, राजीव कुशवाहा, गोरा सिंह बैनीभागा, ऐक्टू नेता अभिषेक सहित कई लोग मौजूद थे.
महापंचायत को संबोधित करते हुए किसान नेता बलबीर सिंह राजोवाल ने देश के किसानों को आह्वान किया कि अपनी खेती को कारपोरेट के चुंगल में जाने से बचाना है तो देश से मोदी की सरकार को भगाना होगा. उन्होंने कहा, ‘यह सरकार अगर फिर आ गयी तो देश में फासीवाद आ जाएगा. इस सरकार ने देश के सारे संशाधन कारपोरेट को बेच दिए हैं. इसलिए किसान मजदूरों का नारा होना चाहिए – मोदी भगाओ-देश बचाओ! किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि 23 मार्च को भगतसिंह का बलिदान दिवस देश भर में लोकतंत्र को बचाने के संकल्प से साथ मनाना है. उन्होंने कहा कि आज के किसान आन्दोलन का दिल पंजाब है, पर इसका शरीर, दिमाग और रक्त देश की जनता से मिलकर बनता है. उन्होंने धोखेबाज मोदी सरकार को इस चुनाव में सजा देने का आह्वान किया.
कामरेड राजाराम सिंह ने मोदी सरकार को चेताते हुए कहा कि देश के किसानों से किए वायदे को निभाना होगा, चौधरी चरणसिंह और डॉ. स्वामीनाथन को भारत रत्न देने भर से किसानों के सवाल खत्म नहीं हो जाते! देश को बांटकर तुम अब देश पर राज नहीं कर सकते. अगर तुम्हारी सरकार देश के चंद कारपोरेट को 18 लाख करोड़ की कर्ज माफी दे सकती है, तो देश के किसान को ढाई लाख करोड़ से एमएसपी गारंटी क्यों नहीं दी जा सकती! इसका जवाब सरकार को देना होगा. उन्होंने कहा कि आज देश की खेती पर हमला हो रहा है, खाद्य सुरक्षा खतरे में है, मजदूरों के काम के घंटे बढ़ रहे हैं. ये नहीं चलेगा. हम किसानों ने ही देश को आजाद कराया है, हम ही इसे बचाएंगे भी. चर्चित किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अभी हमें आर्थिक आजादी की लड़ाई लड़नी है. देश की सत्ता पर कारपोरेट का कब्जा हो गया है. मोदी सरकार भाजपा की सरकार नहीं बल्कि लुटेरे कारपोरेट गैंग के कब्जे में है. इससे देश को मुक्त कराना होगा.
चर्चित किसान नेता जोगेंदर सिंह उगराहां ने कहा कि इस सरकार के खिलाफ भारत में पहली बार कोई राजनीतिक पार्टी नहीं बल्कि किसान-मजदूर संगठित होकर लड़ रहा है. हम सब एक न्यूनतम कार्यक्रम ‘कारपोरेट लूट के खिलाफ’ एकताबद्ध हुए हैं. हमें इस एकता और संघर्ष को मजबूत करना है. पूरी दुनिया के कई देशों में आज भारत के किसान आन्दोलन की तर्ज पर किसान आन्दोलन उठ खड़े हुए हैं. हम किसान-मजदूर विरोधी भाजपा सरकार के खिलाफ अपना आन्दोलन जारी रखेंगे. कामरेड बीजू कृष्णन ने मोदी सरकार द्वारा किसानों किए गए धोखे पर प्रकाश डाला. उन्होंने आज की किसान-मजदूर महापंचायत को संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में चल रहे धारावाहिक आंदोलन की कड़ी में बताया. कामरेड बीजू ने किसानों, मजदूरों, नौजवानों के सवालों को हल करने के बजाए इन पर सरकारी दमन की निंदा की और एकताबद्ध संघर्ष के जरिये इस सरकार से बदला लेने का संकल्प लेने की अपील की. डॉ. सुनीलम ने देश के किसानों का आह्वान किया कि भाजपा को इस चुनाव में सबक सिखाएं. अगर ऐसा नहीं हुआ तो देश के संविधान में छेड़छाड़ होगी. उन्होंने एसकेएम द्वारा तैयार संकल्प पत्र को भी पढ़ा जिसमें जन विरोधी भाजपा का विरोध करने, उसे सबक सिखाने, सजा देने व उसका भंडाफोड़ करने के लिए आने वाले दिनों में देश भर में एकताबद्ध अभियान चलाने का संकल्प था. महापंचायत ने इसे ध्वनि मत से पास किया.
संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आयोजित इस किसान-मजदूर महापंचायत में एकत्र हुए हम सब किसान, मजदूर और इस देश के सभी तबकों के लोग केंद्र सरकार की कॉरपोरेट, सांप्रदायिक, तानाशाही नीतियों के खिलाफ अपनी दृढ़ और अदम्य लड़ाई को तेज करने के लिए यह प्रस्ताव/ संकल्प पत्र स्वीकार करते हैं, ताकि खेती, खाद्य सुरक्षा, जमीन और लोगों की रोजी-रोटी को कॉरपोरेट लूट से बचाने के लिए पूरी ताकत लगा सकें.
भाजपा के नेतृत्व वाली मोदी सरकार देश के इन बुनियादी उत्पादक वर्गों की आय और आजीविका पर लगातार हमले कर रही है, जिसके कारण यह सरकार भारत में आज तक की सबसे आक्रामक किसान-विरोधी और मजदूर-विरोधी सरकार बन गई है. पिछले दस वर्षों से यह सरकार देशी-विदेशी कॉर्पारेट ताकतों के एजेंट के रूप में काम कर रही है, ताकि एयरलाइन, रेलवे, बंदरगाह, बीमा, बैंक, ऊर्जा सहित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और जल, जंगल, जमीन जैसे संसाधनों का निजीकरण किया जा सके और हमारी राष्ट्रीय संपत्ति को लूटा जा सके.
‘विकास’ के नाम पर मोदी सरकार ने सभी फसलों को एमएसपी/सी-2+50% पर गारंटीशुदा खरीद से मना कर दिया है और इस प्रकार 2014 के आम चुनाव में भाजपा के घोषणापत्र में किए गए वादे का उल्लंघन किया है, जबकि इसने कॉर्पारेट टैक्स को 30% से घटाकर 22% -15% की सीमा तक कर दिया है.
सब्सिडी वापस लेने से उत्पादन की लागत आसमान छू रही है और लाभकारी आय से किसानों को वंचित किया जा रहा है. इसके साथ ही, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल बीमा का कॉर्पारेटीकरण कर दिया गया है – कॉरपोरेट बीमा कंपनियों ने वर्ष 2017 से आज तक 57000 करोड़ रुपये लूट लिए हैं. इन कारणों से किसान और खेत मजदूर कर्ज के फंदे में फंसे हुए हैं. वर्ष 2014-22 के दौरान 1,00,474 किसानों ने आत्महत्या की है, इसके बावजूद मोदी सरकार ने किसानों को कर्ज माफी के रूप में एक भी रुपया नहीं दिया है. लेकिन बड़े कॉरर्पारेट घरानों का 2014-23 के दौरान 14.68 लाख करोड़ रुपये का भारी-भरकम ऋण माफ कर दिया है.
सबसे बढ़कर, 736 शहीदों सहित लाखों किसानों के बलिदान के बाद, जिन्होंने 13 महीने तक दिल्ली की सीमाओं पर लंबी लड़ाई लड़ी, 9 दिसंबर 2021 को सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के साथ लिखित समझौते पर हस्ताक्षर किया था. लेकिन पिछले 26 महीनों के दौरान मोदी सरकार ने एमएसपी देने, ऋण माफ करने, बिजली क्षेत्र का निजीकरण नहीं करने जैसे आश्वासनों को लागू करने से बेईमानीपूर्वक नकार दिया है.
एसकेएम ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के साथ मिलकर 24 अगस्त 2023 को तालकटोरा स्टेडियम, नई दिल्ली में पहला अखिल भारतीय मजदूर-किसान सम्मेलन आयोजित किया था, जिसमें 21 सूत्री मांगपत्र को स्वीकार किया गया था. इसमें अन्य मांगों के अलावा 4 श्रम संहिताओं को निरस्त करने, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, शिक्षा, स्वास्थ्य का निजीकरण नहीं करने, श्रमिकों को वैधानिक न्यूनतम वेतन के रूप में 26000 रुपये प्रति माह देने, मनरेगा की रक्षा के लिए पर्याप्त आबंटन के साथ 200 दिन का काम और 600 रुपये प्रति दिन की मजदूरी देने, बेरोजगारी को रोकने, मूल्य वृद्धि को नियंत्रित करने, सार्वजनिक क्षेत्र के तहत फसल बीमा योजना की स्थापना करने जैसी मांगें शामिल थी. इन मांगों पर संघर्ष के क्रम में 3 अक्टूबर 2023 को काला दिवस, 26-28 नवंबर 2023 को राजभवन के सामने महापड़ाव, 26 जनवरी 2024 को जिलों में ट्रैक्टर परेड और 16 फरवरी 2024 को औद्योगिक/सेक्टोरल हड़ताल और ग्रामीण भारत बंद का आयोजन आम जनता की व्यापक भागीदारी के साथ किया गया. इन संघर्षों में मजदूर-किसान एकता उभरकर सामने आई है.
चर्चा करने और सबसे महत्वपूर्ण दो उत्पादक वर्गों की वास्तविक मांगों को हल करने के बजाय, मोदी सरकार ने लखीमपुर खीरी में किसानों की हत्या के मुख्य साजिशकर्ता और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बचाया है और अब उन्हें फिर से खीरी लोकसभा सीट के लिए टिकट दे दिया है. इससे स्पष्ट है कि भाजपा को कॉरपोरेट-भ्रष्टाचार-आपराधिक गठजोड़ नियंत्रित कर रहा है. मोदी शासन ने अपनी हरियाणा सरकार के माध्यम से किसानों के संघर्ष का क्रूर दमन किया है और 21 फरवरी 2024 को खनौरी सीमा पर किसान शुभकरण सिंह की हत्या कर दी है. एसकेएम ने पुलिस गोलीबारी के खिलाफ न्यायिक जांच की और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, हरियाणा के सीएम एमएल खट्टर और राज्य के गृह मंत्री अनिल विज के इस्तीफे की मांग की है. एसकेएम ने उपरोक्त सभी व्यक्तियों और राज्य दमन के लिए जिम्मेदार अन्य लोगों के खिलाफ आइपीसी की धारा 302 के तहत एक नामित प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है. आखिरकार, एमएल खट्टर सरकार को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा.
13 माह लंबे ऐतिहासिक किसान संघर्ष के बाद 9 दिसंबर 2023 को एसकेएम के साथ हस्ताक्षरित समझौते का नग्न उल्लंघन करना, किसानों के संघर्ष का राज्य-सत्ता द्वारा क्रूरतापूर्वक दमन करना और अजय मिश्रा टेनी को संरक्षण देना – ये सब मोदी शासन को आज तक के सबसे गैर-भरोसेमंद शासन के रूप में उजागर करता है. यह इस किसान-मजदूर महापंचायत का परिप्रेक्ष्य है, जिसमें किसानों के साथ-साथ मजदूरों की वास्तविक मांगों को हासिल करने के लिए चल रहे संघर्ष को भविष्य में कैसे तेज किया जाए, इसकी कार्ययोजना की घोषणा करनी है.
लोकसभा के आम चुनाव की घोषणा के बाद में, मोदी शासन एक कार्यवाहक प्रशासन में बदल जाएगा. यदि लोग फिर से भाजपा को चुनते हैं, तो वे किसानों और मजदूरों के लिए कुछ भी अच्छा होने की उम्मीद नहीं कर सकते. लोकतंत्र में आम जनता सर्वाच्च है और अब स्थिति इस हद तक विकसित हो गई है कि भारत की जनता को एक वास्तविक राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरना होगा तथा राज्य सत्ता के गलियारों से कॉरपोरेट ताकतों को हटाना होगा और उसे पीछे धकेलना होगा, ताकि बुनियादी उत्पादक वर्गों की आजीविका और हमारे देश के लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष संविधान की रक्षा की जा सके.
कॉरपोरेट, सांप्रदायिक, तानाशाही शासन के खिलाफ यह प्रस्ताव/संकल्प पत्र जनता के सभी तबकों के सभी जन संगठनों और वर्गीय संगठनों से अपील करता है कि वे आजीविका और संविधान की रक्षा के लिए चल रहे किसानों और मजदूरों के संघर्ष को आम जनता के संयुक्त आंदोलन में परिवर्तित कर दें.
महापंचायत एकताबद्ध जन आन्दोलन के बैनर तले देश भर में बीजेपी के खिलाफ बड़े पैमाने पर और व्यापक विरोध प्रदर्शन करने की अपील करती है.
लखीमपुर खीरी के किसानों के कथित हत्यारे अजय मिश्रा टेनी को भाजपा द्वारा खीरी सीट देने के विरोध में और भाजपा को नियंत्रित कर रहे कॉरपोरेट-भ्रष्ट-आपराधिक गठजोड़ को बेनकाब करने तथा लोकतंत्र को बाहुबल और धनबल के खतरे से बचाने के लिए महापंचायत ने 23 मार्च 2024 को भारत के सभी गांवों में लोकतंत्र बचाओ दिवस मनाने का आह्वान किया है.
महापंचायत ने आम जनता से अपील की क भाजपा द्वारा भारतीय राज्य के लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और संघीय चरित्र पर लगातार हमला करने वाली भाजपा को सजा दें.