महाराष्ट्र में इंकलाबी नौजवान सभा (आरवाइए) जो राज्य में भगत सिंह ब्रिगेड के नाम से जाना जाता है, का पहला राज्य सम्मेलन 7 मार्च को अहमदनगर जिले के श्रीरामपुर में संपन्न हुआ. सम्मेलन से लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार के खिलाफ सघन अभियान चलाने का संकल्प लिया गया. सम्मेलन ने 17 सदस्यीय राज्य परिषद् और जीवन सुरुडे व सतीश सर्वगुडे को क्रमशः राज्य सचिव और अध्यक्ष चुना.
सम्मेलन से पूर्व शहर में बाइक रैली निकाली गई. साथ ही, बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर और शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया गया.
सम्मलेन में उद्घाटन वक्तव्य देते हुए आरवाइए के राष्ट्रीय महासचिव नीरज कुमार ने कहा कि यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब देश लोकसभा चुनाव के मुहाने पर है. चुनाव देश के नागरिकों के लिए पिछले शासन के मूल्यांकन करने और उसके आधार पर फिर नई सरकार चुनने का वक्त होता है. मोदी सरकार ने अपना दूसरा कार्यकाल भी पूरा कर लिया है, इसलिए इस सरकार से दस साल के शासन का हिसाब-किताब करना होगा.
मोदी सरकार ने नौजवानों से हर साल दो करोड़ नौजवानों को रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन इन दस वर्षों में हमने देखा कि यह सरकार रोजगार देने के बदले रोजगार के अवसरों को ही खत्म करने में लग गई. देश को ऐतिहासिक बेरोजगारी में धकेल दिया गया. आजाद भारत ने ऐसी जानलेवा बेरोजगारी पहले कभी नहीं देखी थी. नए रोजगार के पदों को सृजित करने की बात तो दूर पहले से मौजूद 30 लाख पदों पर बहाली नहीं की गई. आजाद भारत ने पिछले 70-75 सालों में रोजगार के जो भी अवसर हासिल किये, मोदी सरकार ने उनको भी अपने दुलारे पूंजीपतियों के हाथों नीलाम कर देने में कोई कसर नहीं छोड़ी. 100 से ज्यादा कंपनियों की हिस्सेदारी बेची गई और नौकरियों के पदों को ठेके-पट्टे पर लगा दिया गया. इस बीच जो कुछ थोड़ी-बहुत बहालियां निकलीं, वे भी पेपर लीक और अन्य तरह की धांधली की भेंट चढ़ गई. अभी फरवरी महीने में ही हमने देखा कि उत्तरप्रदेश में सिपाही और आरओ/एआरओ दोनों परीक्षाओं के पेपर लीक हुए. अभ्यर्थियों के आंदोलन के दबाव में दोनों ही परीक्षाओं को रद्द करना पड़ा.
रोजगार के नाम पर स्टार्टअप इंडिया, स्किल इंडिया और मुद्रा योजना जैसी योजनाएं इनके लिए झूठा प्रचार करने का टूल और नौजवानों की आंखों में धूल झोंकने के अलावे कुछ और नहीं है. देश के लगभग सभी स्टेशनों पर इन योजनाओं के नाम पर नरेन्द्र मोदी के फोटो के साथ सेल्फी बूथ बनाये गये हैं जिस एक बूथ की लागत 6.25 लाख रुपये है. इससे इस सरकार की प्राथमिकता समझी जा सकती है कि जो योजना नौजवानों को रोजगार देने के नाम पर आई, उससे ज्यादा खर्च उसके नाम पर नरेन्द्र मोदी के प्रचार में लगाया जा रहा है.
देश की मीडिया नौजवानों के बीच नफरत का जहर परोसने में लगी है. वह नौजवानों के भविष्य के साथ हुए खिलवाड़ की सच्चाई को नहीं बताती, इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से नरेंद्र मोदी के द्वारा जो हजारों करोड़ रूपयों का घोटाला हुआ, उसके बारे में बताती और यह भी नहीं बताती कि 2014 से 2022 तक में 1 लाख 5 हजार 443 किसानों को कर्ज और तंगहाली के कारण आत्महत्या करना पड़ा और उसी समय देश के पूंजीपतियों का 16 लाख करोड़ रूपये का कर्ज माफ किया गया. इसलिए ऐसे समय में देश के नौजवानों की बड़ी एकता को कायम रखते हुए मोदी सरकार के दस साल की तबाही-बर्बादी की सच्चाई को गांव-गांव, टोले-मोहल्ले में ले जाना है ताकि इस चुनाव में भी ये लोग झूठ-अफवाह और नफरत के कारोबार के दम पर सत्ता पर काबिज होने ना पाए.
सम्मलेन को संबोधित करते हुए ऐक्टू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उदय भट्ट ने कहा कि पिछले 5 वर्षों में बेरोजगारी का दर 75 वर्षों में सबसे अधिक है. शिक्षा लेने के बाद युवाओं को सरकार ने नौकरियां ही नहीं देती. यह सरकार की जिम्मेदारी है जिसे हम चुनते हैं. आधिकारिक तौर पर 42% स्नातक बेरोजगार हैं. आज कल ये लोग मोदी की गारंटी, नीतियों की गारंटी, व्यक्ति की गारंटी कैसे देते फिर रहे हैं? विज्ञापनों पर बेतहाशा खर्च किया जा रहा है, विज्ञापनों के जरिए दिखाया जा रहा है कि देश विश्वगुरू बनने जा रहा है. यह देश के युवाओं के साथ धोखा है. सरकार कह रही है कि नौकरी मांगने वाले नहीं, नौकरी देने वाले बनो. 140 करोड़ का देश है, इसमें युवाओं की बड़ी संख्या है और अब ये सब मालिक बनेंगे, ऐसा झांसा दिया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि अब यह सोचने का समय है कि भाजपा को वोट क्यों देना चाहिए? नौजवानों को सोचना चाहिए कि पिछले दस वर्षों में उन्हें क्या मिला? वे कहते थे कि हम भ्रष्टाचार मिटा देंगे, वे आज भ्रष्टाचारियों के साथ बैठे हैं. वे कहते थे कि हम महिलाओं के लिए सुरक्षा का माहौल बनाएंगे, बलात्कारी आज आज भाजपा के साथ सत्ता में बैठे हैं. जिस सपने के लिए भगत सिंह-राजगुरु-सुखदेव फांसी पर चढ़े थे, अब उस सपने को पूरा करना हमारे युवाओं पर है. यदि हमने वह जिम्मेदारी नहीं निभाई तो हम देश को सैकड़ों वर्ष पीछे ले जायेंगे!
सभा को संबोधित करते हुए लाल निशान पार्टी लेनिनवादी के नेता अतुल दिघे ने कहा कि आज की स्थिति में जहां किसान आत्महत्या के लिए मजबूर हो रहे हैं, देश में ठेकाकरण तेजी से बढ़ रहा है, ठेका कर्मचारी के कानून का ठीक से पालन नहीं हो रहा है. साल में दो करोड़ रोजगार का मतलब है दस साल में 20 करोड़ नौकरियां. लेकिन तस्वीर अलग है. मोदी ने हमें धोखा दिया है.
कहा कि मालेगांव बम ब्लास्ट करने वाली, आदिवासी युवाओं के शरीर पर पेशाब करने वाले और महिला पहलवानों के साथ दुर्व्यवहार करने वाले आज बीजेपी के सांसद हैं. आज ‘देश में 20 करोड़ नौकरियां नहीं तो बीजेपी को वोट नहीं’ और ‘अल्पसंख्यकों, दलित नागरिकों और महिलाओं का कोई सम्मान नही करने वाली सरकार को वोट नहीं’– व्हाट्सएप पर पोस्टर फैलाने का आंदोलन शुरू होना चाहिए.
सम्मेलन को नवनिर्वाचित राज्य सचिव जीवन सुरुडे, अध्यक्ष सतीश सर्वगुडे, सिद्दार्थ, अरुण बरडे, मदीना शेख, शरद संसारे, राजेन्द्र वाव्के, श्री कृष्णा बडाक, बाला साहब सुरुडे ने संबोधित किया.