ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन (सम्बद्ध, ऐक्टू) का प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन 9-10 सितम्बर, 2023 को पटना स्थित गेट पब्लिक लाईब्रेरी सभागार में स्कीम वर्करों के मुद्दों को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ संघर्ष तेज करने की घोषणा के साथ सम्पन्न हुआ. सम्मेलन का झन्डोत्तोलन का. मदीना शेख (महाराष्ट्र) द्वारा किया गया. झंडोत्तोलन स्थल पर निर्मित शहीद वेदी पर भाकपा(माले) के महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य और राज्य सचिव का. कुणाल सहित देश भर से आये स्कीम वर्कर्स के नेताओं-प्रतिनिधियों द्वारा पुष्पांजलि के बाद शहीदों को एक मिनट मौन धारण कर श्रद्धांजलि दी गई. झंडोत्तोलन-शहीद स्थल पर प्रमुख शहीदों सहित स्कीम कर्मियों के संघर्ष के बड़े-बड़े होर्डिंग लगे हुए थे.
इसके बाद सम्मेलन का उद्घाटन सत्र आरंभ हुआ. सम्मेलन के उद्घाटनकर्ता का. दीपंकर भट्टाचार्य सहित अन्यान्य अतिथियों को मंच पर आमंत्रित किया गया और शाॅल व प्रतीक चिन्ह देकर उन्हें सम्मानित किया गया. उद्घाटन सत्र का संचालन फेडरेशन की राष्ट्रीय संयोजक का. शशि यादव ने किया.
सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए का. दीपंकर भट्टाचार्य ने देश के स्कीम कर्मचारियों, जिनमें महिला मजदूरों की संख्या लगभग एक करोड़ है, के केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा शोषण-उत्पीड़न की कड़ी निंदा की. उन्होंने कहा कि देश की सरकार ऐसे तो मजदूरों का शोषण करती है, लेकिन महिला मजदूरों का कुछ ज्यादा ही शोषण-उत्पीड़न किया जाता है. उन्हें यौन शोषण-उत्पीड़न, अमर्यादित व्यवहार तथा मजदूरी व अन्य सुविधाओं में गैर-बराबरी का सामना करना पड़ता है. लेकिन उल्लेखनीय बात है कि वर्तमान दौर में महिला मजदूर इस शोषण व गैर-बराबरी के खिलाफ गोलबंद हो रही हैं और संघर्ष कर रही हैं जिसका ताजा उदाहरण बिहार की आशा कार्यकर्ताओं की लंबी हड़ताल और हासिल जीत है. उन्होंने आह्वान किया कि स्कीम कामगारों को गोलबंद करते हुए और इस फेडरेशन की ताकत को मजबूत करते हुए अपने हक-अधिकारों को हासिल करने के लिए संघर्ष तेज किया जाये और 2024 में केंद्र की वर्तमान मोदी सत्ता को उखाड़ फेंकने की तैयारी तेज की जाये.
ऐक्टू के महासचिव राजीव डिमरी ने कहा कि स्कीम कर्मियों के हमारे इस फेडरेशन का यह पहला ऐतिहासिक सम्मेलन बिहार की आशा कर्मियों की 32 दिनों की ऐतिहासिक हड़ताल और शानदार जीत की पृष्ठभूमि में आयोजित हो रहा है. हम लोग अभी अपनी दयनीय स्थिति को थोड़ी ठीक करने की लड़ाई लड़ रहे हैं. लेकिन अब सबसे बड़ी लड़ाई होगी – सरकारी कर्मचारी का दर्जा और कम से कम 28 हजार मासिक मजदूरी हासिल करना, जिसके लिए दृढ़संकल्प लेकर आगे बढ़ना होगा. मानदेय आधारित काम की प्रणाली दुनिया में शायद कहीं नहीं है और उसे समय पर पाने और उसमें वृद्धि के लिए कर्मियों को सड़कों पर उतरना पड़ता है एवं लाठियां खानी पड़ती हैं. स्कीम वर्कर्स जिनमे 98 प्रतिशत महिलाएं हैं, आज देश के मजदूर आंदोलन का सबसे जुझारू हिस्सा बन चुका है. आज देश के मजदूरों-किसानों-मेहनतकशों के लिए सबसे ज्यादा जरूरी हो गया है 2024 में इस विनाशकारी मोदी शासन को उखाड़ फेंकना जो न सिर्फ जुमलेबाजी करती आई है, बल्कि मजदूरों-मेहनतकशों-आम जनता को उनके जीवन के ज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए लगातार सांप्रदायिक विभाजन, नफरत, उन्माद, उत्पात को संयोजित कर रही है. वह मजदूरों को अधिकार देने वाले पुराने श्रम कानूनों को खत्म कर चार श्रम कोड ले आई है जो श्रमिकों को उनके मालिकों-नियोक्ताओं का गुलाम बना देने वाला है. यूनियन बनाने के मौलिक संवैधानिक अधिकार तक को संकुचित कर दिया गया है और कामगराों को यूनियन तक बनाने नहीं दिया जा रहा है. अभी 24 अगस्त को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में मजदूरों-किसानों के विराट संयुक्त कंवेंशन ने 26-27-28 नवम्बर, 2023 को देश और राज्यों की राजधानियों में महापड़ाव का आह्वान किया है जिसका नारा है – मोदी हटाओ-देश बचाओ, मोदी हटाओ-लोकतंत्र बचाओ, मोदी हटाओ-मजदूरों व किसानों के अधिकार बचाओ’! हमें स्कीम वर्करों के इस सम्मेलन से इसे पूरी ताकत से सफल बनाने के संकल्प के साथ देश भर में तैयारी में जुट जाना होगा.
अन्यान्य अतिथियों ने भी सम्मेलन की सफलता की शुभकामनाएं दीं और स्कीम कर्मचारियों के संघर्षों के साथ एकजुटता जाहिर किया जिनमें ऐक्टू के राष्ट्रीय अध्यक्ष का. वी. शंकर, महासचिव का. राजीव डिमरी, भाकपा(माले) के बिहार राज्य सचिव का. कुणाल, विधायक दल नेता का. महबूब आलम, उपनेता का. सत्यदेव राम, ऐपवा की महासचिव का. मीना तिवारी, बिहार महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष का. मंजू वर्मा, ऐक्टू (बिहार) के महासचिव आरएन ठाकुर आदि प्रमुख हैं. उद्घाटन सत्र की शुरूआत में जसम-हिरावल के साथियों द्वारा क्रांतिकारी गीतों की प्रस्तुति की गई.
उद्घाटन सत्र के उपरांत 9 सितम्बर के अपराह्न में प्रतिनिधि सत्र शुरू हुआ जिसकी अध्यक्षता 13-सदस्यीय अध्यक्षमंडल ने की. अध्यक्षमंडल में का. सरोज चौबे, रामबली प्रसाद, गीता मंडल, अनिता देवी, सुवर्णा तालेकर, माया हजारिका, जयश्री दास वसाक, रीता भारद्वाज, संगीता सिंह, सविता बरज, जाहिर बेगम एवं मुनि बरज शामिल थे.
सम्मेलन में राष्ट्रीय संयोजक का. शशि यादव द्वारा प्रस्तुत फेडरेशन के काम-काज की रिपोर्ट पर विभिन्न राज्यों-स्कीमों के प्रनिधियों द्वारा विचार व्यक्त किये गए. सामने आए प्रमुख बिंदुओं पर संयोजक के स्पष्टीकरण के बाद कामकाज की रिपोर्ट को सर्वसम्मति से पारित किया गया.
तदोपरांत का. रामबली प्रसाद द्वारा फेडरेशन के संविधान का प्रारूप प्रस्तुत किया गया जिसे सर्वसम्मति से अनुमोदित किया गया.
सम्मेलन द्वारा निम्नांकित आन्दोलनात्मक व संगठनात्मक प्रस्ताव पारित किए गए:
1. देशभर में तकरीबन 1 करोड़ स्कीम वर्कर्स जो शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला-बाल सुरक्षा कार्यक्रमों में वर्षों से कार्यरत हैं, उन्हें जीने लायक वेतन और न्यूनतम सामाजिक सुरक्षा से बाहर रखा गया है. सम्मेलन मांग करता है कि तमाम स्कीम वर्कर्स को सरकारी कर्मी का दर्जा, सरकारी कर्मचारी जैसा वेतनमान और सामाजिक सुरक्षा (ईपीएफ, ईएसआई, ग्रेच्युटी तथा पेंशन का लाभ) दिये जाने के लिए देश में स्कीम वर्कर्स के अधिकारों को लेकर अक्टूबर से लेकर नवम्बर, 2023 तक देशव्यापी अभियान चलाया जाएगा.
2. देशव्यापी अभियान के बाद ‘दिल्ली चलो’ आह्वान के तहत संसद के समक्ष प्रदर्शन किया जायेगा जिसकी तारीख बाद में घोषित की जाएगी.
3. देश के विभिन्न राज्यों में आशा, आंगनबाड़ी, विद्यालय रसोइया, ममता आदि स्कीम वर्कर्स के संगठनों को मजबूत बनाते हुए फेडरेशन को मजबूत बनाने का आह्वान सम्मेलन से किया गया.
4. स्कीम कर्मचारियों की मांगों को लेकर अन्य संगठनों से बात कर ‘राष्ट्रीय हड़ताल’ किया जायेगा जिसकी तारीख बाद में घोषित की जाएगी.
5. देश के करीब एक करोड़ स्कीम वर्कर्स के प्रति मोदी सरकार की उदासीनता के खिलाफ मोदी सरकार को 2024 के चुनाव में सबक सिखाने का आह्वान किया गया.
6. सम्मेलन ने देशभर में महिला सम्मान और सुरक्षा पर बढ़ते हमले, महिला विरोधी माहौल और कार्यस्थल पर गैर बराबरी व बढ़ती यौन हिंसा के प्रति गंभीर चिंता जाहिर की. साथ ही सम्मान-सुरक्षा को लेकर लड़ती मणिपुर की महिलाओं के प्रति एकजुटता जाहिर की गई. यौन हिंसा की शिकार संघर्षरत महिला पहलवानों का समर्थन सम्मेलन ने किया और यौन शोषण करने वालों को सत्ता के संरक्षण की भर्त्सना कठोर शब्दों में की गई.
7. संयुक्त किसान मोर्चा और ज्वायंट प्लेटफार्म ऑफ सेंट्रल ट्रेड यूनियंस के संयुक्त आह्वान पर दिल्ली में आहूत 26-29 नवंबर के महापड़ाव को सफल बनाने का आह्वान सम्मेलन से किया गया.
8. सम्मेलन ने यूपी और हरियाणा में चल रहे आशाओं के आंदोलन का समर्थन किया.
सम्मेलन के अंत में आाॅल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति और राष्ट्रीय पदाधिकारी समिति का चुनाव कराने के लिए सर्वसम्मति से का. एसके शर्मा (महासचिव, ऑल इंडिया कंस्ट्रक्शन वर्कर्स फेडरेशन) को सदन द्वारा निर्वाचन पदाधिकारी नियुक्त किया गया जिनके द्वारा राष्ट्रीय कार्यकारिणी और पदाधिकारियों की समिति का विधिवत चुनाव सम्पन्न कराया गया. सम्मेलन ने सर्वसम्मति से 45-सदस्यीय कार्यकारिणी समिति और 13-सदस्यीय पदाधिकारी समिति का चुनाव किया. पदाधिकारी समिति के सदस्य इस प्रकार हैं:
1. सम्मानित अध्यक्ष - का. सरोज चौबे
2. अध्यक्ष - का. गीता मंडल
3. उपाध्यक्ष - का. रामबली प्रसाद, का. जयश्री दास वसाक, का. सविता बरज, का. पी सत्तार एवं का. विजय विद्रोही
4. महासचिव - का. शशि यादव
5. सचिव - का. श्वेता राज, का. माया हजारिका, का. रीता कश्यप एवं का. सुवर्णा तालेकर
6. कोषाध्यक्ष - का. कविता कुमारी
इस प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन में 10 राज्यों के 450 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM), मध्यान्ह भोजन योजना (एमडीएम), समेकित बाल विकास योजना, इत्यादि से संबंधित थे.
अंत में ‘हम होंगे कामयाब...’ गीत और जोशपूर्ण नारों के साथ सम्मेलन का समापन हुआ.