वर्ष - 31
अंक - 44
29-10-2022

अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) का 7वां राष्ट्रीय सम्मेलन पश्चिम बंगाल के हुगली ज़िला के चन्दन नगर में 14-15 नवंबर को होने जा रहा है. नगर का नामकरण कनाई दत्त, रासबिहारी बोस और नजरुल इस्लाम के नाम पर किया गया है. खेग्रामस के दिवंगत सम्मानित राष्ट्रीय अध्यक्ष क्षितीश विस्वाल को सम्मेलन का मंच समर्पित है. पार्टी के दिवंगत वरिष्ठ नेता डीपी बक्शी के नाम पर सभागार होगा. सम्मेलन गंगा के किनारे रविन्द्र भवन में होगा. सम्मेलन में भाकपा(माले) के महासचिव कामरेड दीपंकर भ्ट्टाचार्य समेत भाकपा(माले), ऐक्टू, अखिल भारतीय किसान महासभा, ऐपवा, छात्र-युवा व स्कीम वर्कर्स संगठनों के कई नेताओं की भागीदारी होगी. देश के ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक अध्ययन में लगे पी. साईनाथ, ज्यां द्रेज, अनुराधा तलवार, आशीष रंजन आदि इस सम्मेलन में विशेष आमंत्रित हैं. सम्मेलन में मनरेगा के साथ-साथ प्रवासी मज़दूरों के प्रश्नों पर भी बातें होगीं और इन मोर्चों पर राष्ट्रीय पहल की कार्ययोजना बनाई जाएगी.

ये होंगे साम्मेलन के मूद्दे

भारत में भूख और कुपोषण का भूगोल विस्तृत हो रहा है. जमीन पर बढ़ते कारपोरेट हमले, नए-पुराने भूस्वामियों के बढ़ते आतंक और सरकारों के बुलडोज़र अभियान ने भूमि अधिकार और वास-आवास के अधिकार को बेमानी बना दिया है. खेती में घटते रोज़गार, ग्रामीण रोजगार के क्षीण होते अवसर, मनरेगा को मारने की कोशिश और आकाश छूती मंहगाई ने ग्रामीण तंगहाली (रूरल डिस्ट्रेस) को बुरी तरह बढ़ा दिया है. नोटबन्दी और कोरोना महाबंदी से मौजूद तबाही के बीच सरकार की उदासीनता ने इसे असहनीय बना दिया है. लाखों करोड़ रुपये की कारपोरेट लूट और छूट के बीच गरीबों को मिल रही छोटी-छोटी सुविधाओं को रेवड़ी कल्चर समाप्त करने के नाम पर वापस लेने के रोड मैप पर सरकार काम कर रही है. इसने ग्रामीण गरीबों का जीना मुहाल कर दिया है. दाल और सब्जी लोगों की थाली से गायब होते जा रहे हैं. नमक, तेल और प्याज पर भी आफत है. यूनिवर्सल सम्मानजनक पेंशन नहीं रहने के चलते एक बड़ी आबादी की ज़िंदगी बोझ बनती जा रही है. एलपीजी झलक दिखलाकर गरीबों के घर से बाहर हो गए और वे करोड़ों गरीब परिवार पुनः गोईठा-लकड़ी के पुराने युग में वापस लौट गए हैं. बिजली बिल का भारी बोझ गरीबों का कमर तोड़ रहा है. उनके घरों का बिजली कनेक्शन काटा जा रहा है और बकाया का सर्टिफिकेट केस किया जा रहा है. 21वीं सदी में एकबार फिर दलित-गरीबों की बस्तियां अंधकार में जीने को अभिशप्त होंगी, क्योंकि नियमित आय के साधन नही रहने से वे मासिक बिजली का खर्च वहन करने की स्थिति में नही हैं. जीवन-जीविका के इन संकटों के बीच भी उनके बच्चों के भीतर पढ़ने-लिखने की जो भूख जगी थी, उस पर मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति ने बड़ा हमला बोल दिया है. शिक्षा को बाजार की वस्तु बना दिया गया है और सरकारी शिक्षा तत्रं को ध्वस्त किया जा रहा है. ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति इतनी लचर है कि खुद ही उसको इलाज की जरूरत है, वहां लोगों का इलाज क्या होगा!

इन स्थितियों ने गांव और गरीबों में नई हलचल पैदा की है और कई तरहों के आंदोलनों को जन्म दिया है. वास-आवास का आंदोलन, भूमि अधिकार आंदोलन, रोजगार आंदोलन, बिजली आंदोलन, शिक्षा आंदोलन, स्कीम वर्कर्स का आंदोलन, रोड-नाला निर्माण के लिए आंदोलन और पेयजल के लिए आंदोलन, प्रवासी मज़दूरों का आंदोलन और पर्यावरण आंदोलन आदि. ग्रामीण गरीबों और मजदूरों का प्रतिनिधि छतरी संगठन होने के नाते इन मुद्दों और आंदोलनों में खेग्रामस की अहम भूमिका है. समेकित ढंग से इन आंदोलनों को संयोजित करने और बढाने को लेकर कार्ययोजना बनाना आगामी सम्मेलन का अहम कार्यभार है. आज के ग्रामीण भारत में मरणासन्न सामंती शक्तियों को भाजपा-संघ परिवार की राजनीति ने नया जीवन देने का काम किया है, सांप्रदायिकता का जहर पफैलाने का काम किया है और समाज में मौजूद प्रगतिगामी मूल्य बोध को प्रतिस्थापित करने का काम किया है. साम्प्रदायिक फासीवादी ताकतों के खिलाफ ग्रामीण प्रतिरोध खड़ा करना इस दौर का अहम कार्यभार बन गया है. इस सबके साथ पूंजी और सरकार के हमले तेज हुआ है. ऐसी स्थिति में ग्रामीण संघर्षों और प्रतिरोध के नए आयाम विकसित करना समय की मांग बन गयी है. सम्मेलन में इन पहलुओं पर विस्तृत चर्चा होगी.

देश भर में चल रहा है सदस्यता अभियान

सम्मेलन को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर संगठन का सदस्यता अभियान जोरों पर है. बिहार में अभी तक प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक 10 लाख से ज्यादा सदस्य बने हैं. वहीं यूपी, बंगाल और झारखंड में एक लाख से ज्यादा सदस्यता हुई है. पंजाब, आंध प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा में भी करीब-करीब 50 हजार सदस्यता हुई है. शेष राज्यों असम, त्रिपुरा, गुजरात, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, हरियाणा, तेलंगाना आदि से विस्तृत रिपोर्ट आना बाकी है.

बिहार में सिवान में 1 लाख 50 हजार से ज्यादा सदस्यता हुई है जिसमें दरौली विधानसभा क्षेत्र में 75 हजार से ज्यादा और जीरादेई विधानसभा क्षेत्र में 40 हज़ार के करीब सदस्यता हुई है. शेष प्रखंडों, खासकर कुछेक नए विस्तार के प्रखंडों में भी अच्छी-खासी संख्या में सदस्य बनने की रिपोर्ट हैं. सघन मुस्लिम बस्तियों में भी उल्लेखनीय सदस्यता हुई है. तकरीबन 10 पंचायतों में 3 हजार से ज्यादा सदस्यता हुई है.

पटना ग्रामीण में 1लाख 45 हज़ार के आसपास सदस्यता हुई है जिसमें पुनपुन में सर्वाधिक 20 हजार से ज्यादा सदस्यता हुई है. भोजपुर में भी 1लाख 40 हजार के आसपास खेग्रामस सदस्यता पूरी होने की खबर है. दरभंगा में 90 हजार के आसपास सदस्य बने हैं जिसमें सर्वाधिक हायाघाट प्रखंड में है जबकि बहादुरपुर दूसरे नंबर पर है. वहां की जिला कमिटी सम्मेलन तक 1लाख सदस्यता पूरी करने के लक्ष्य के तहत काम कर रही है. हायाघाट में मुस्लिम बहुल पंचायत विलासपुर में 4 हजार से ज्यादा सदस्य बने हैं. पश्चिम चंपारण में पहली बार 40 हजार के करीब सदस्य बने हैं. शेष जिलों में सदस्यता की गति सामान्य है. थोड़ी-बहुत प्रगति मधुबनी जिले में ही दीख रही है जहां 26 हजार के करीब सदस्य बने हैं. सीमांचल और पूर्वी बिहार के जिलों में बहुत व्यवस्थित अभियान ही नही चल पाया जिसके चलते उस क्षेत्र में काफी कम सदस्यता हुई है.

झारखंड में गिरिडीह और रामगढ़ में सदस्यता अभियान काफी सघनता से चला है. शेष जिलों की कोई खास रिपोर्ट नही है. पश्चिम बंगाल में हुगली, बर्धमान, बांकुड़ा, नदिया और दक्षिण 24-परगना में खेग्रामस सदस्यता का सघन और धारावाहिक अभियान चला है. उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर, सोनभद्र, चंदौली, गाजीपुर, बलिया और सीतापुर में 20-20 हजार के सदस्यता लक्ष्य को लेकर अभियान चल रहा है.

अभी तक देश भर में 15 लाख के करीब सदस्य बनने की रिपोर्ट हैै.

राज्य, जिला व प्रखंड सम्मेलनों तांता लगा

झारखंड में आगामी 6 नवंबर को रामगढ़ जिले के घुटुवा में झामस (झारखंड मजदूर सभा) का राज्य सम्मेलन आयोजित है. सम्मेलन में सदस्यता की भी विस्तृत रिपोर्ट सामने आएगी.

उत्तर प्रदेश खेत मजदूर सभा (सम्बद्ध - अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा) का पांचवा राज्य सम्मेलनं विगत 9 अक्टूबर 2022 को गाजीपुर में सम्पन्न हुआ. इसी बीच राज्य के कई जिलों में संगठन के जिा सम्मेलन भी संपन्न हुए हैं.

तेज हो रहा है खेत व ग्रामीण मजदूर आंदोलन

बुलडोजर राज के खिलाफ दलितों-आदिवासियों और ग्रामीण मजदूरों के जमीन, जीविका और सम्मानजनक जिन्दगी के प्रश्नों पर आंदोलन तेज करने के आह्वान को आगे बढ़ाते हुए आगामी 3 नवंबर 2022 को बिहार और उत्तर प्रदेश में प्रखंडों, अंचलों और तहसीलों पर प्रदर्शन होगा.

Khegramas are gaining momentum


बगोदर: 16 हजार ग्रामीण झामस से जुड़े

आगामी 6 नवंबर 2022 को रामगढ़ के घुटुवा में आयोजित झारखंड ग्रामीण मजदूर सभा (झामस) के राज्य सम्मेलन की भारी सफलता व ग्रामीण मजदूरों को संगठित करने के विगत 21 अक्टूबर को बगोदर प्रखण्ड के बेको गांव के साहू टोला, यादव टोला, लूम्बा टोला, बनौदीबागी, पोचाखोरी व नौआ टोला में झामस सदस्यता अभियान संचालित किया गया जिसका नेतृत्व बगोदर के भाकपा(माले) विधायक विनोद कुमार सिंह ने किया. उक्त अभियान से कुल 835 ग्रामीणों को झामस का सदस्य बनाया गया.
वहीं दोनदलो पंचायत के बनपुरा हरिजन टोला, नूरी नगर, झंडा चोक में 432 व अड़वारा पंचायत के धवैया गांव में 202 ग्रामीणों को झामस का सदस्यता दी गयी.
विदित हो कि पिछले एक पखवारे से बगोदर के ग्रामीण अंचलों में विभिन्न ग्राम पंचायतों में झामस का सदस्यता अभियान चलाया जा रहा है. जिले के सभी प्रमुख पार्टी नेता इस अभियान में उतरे हुए हैं. समूचे प्रखंड से तीस हजार ग्रामीणों को झामस से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. अबतक करीब 16 हजार से अधिक ग्रामीणों को झामस से जोड़ा गया है.
– हेमलाल महतो