– सुमंती एक्का, फांसीदेवा विधान सभा क्षेत्र से भाकपा(माले) प्रत्याशी
सुमंती एक्का महसूस करती हैं कि सरकार चाय मजदूरों की दुर्दशा के प्रति असंवेदनशील बनी रही है और उसने चाय बागान में न्यनतम मजदूरी कानून लागू करने की कभी कोशिश नहीं की. उन्होंने रोजगार के नुकसान, कृषि संकट, मूल्य वृद्धि और श्रम अधिकारों के क्षरण का हवाला दिया और भाजपा के खिलाफ ‘मजबूत एकताबद्ध प्रतिरोध’ का आह्वाव किया.
आगामी चुनाव में फांसीदेवा विधानसभा क्षेत्र से भाकपा(माले) की उम्मीदवार सुश्री एक्का एक चाय मजदूर हैं और नक्सलवादी विचारधारा के साथ पली-बढ़ी हैं, क्योंकि उनके दादा बुधुआ एक्का नक्सलबाड़ी आंदोलन के साथ जुड़े हुए थे और पिता सिरिल पिछले कई वर्षों से इस पार्टी के साथ जुड़े हुए हैं.
26 वर्षीया एक्का अपने घर के नजदीक स्थानीय चाय कारखाने में काम करती हैं. उन्होंने बताया, “मैंने अपने पिता को पार्टी कार्यक्रमों में शामिल होते देखा है. मैं पहली बार उनके साथ सिलिगुड़ी गई थी जब मैं 12 वर्ष की थी. मेरे पिता मुझे बताया करते थे कि मेरे दादा जी किस तरह ऐतिहासिक नक्सलबाड़ी आंदोलन में शरीक थे. वे आंदोलन के प्रमुख नेताओं चारु मजुमदार, कानू सान्याल और जंगल संथाल से मिलते-जुलते रहते थे, जब आंदोलन चढ़ाव पर था. बाद में, जब मैं बड़ी हुई तो मैं भी पार्टी गतिविधियों और इसकी विचारधारा को समझने लगी और इसके प्रति मेरी रूचि बढ़ने लगी. मैं पार्टी के मुखपत्र ‘आजकेर देशव्रती’ की नियमित पाठक हूं.”
भाकपा(माले) (लिबरेशन) के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने लियुसी पोखरी में सुश्री एक्का की पहली चुनावी सभा को संबोधित किया. सिलिगुड़ी से लगभग 34 किलोमीटर दूर, घोषपुकुर ग्राम पंचायत के अंतर्गत कुदुविता में स्थित एस्बेस्टस की छत वाले उनके कंक्रीट मकान में कार्ल मार्क्स, भगत सिंह और चारु मजुमदार की तस्वीरें लगी हुई हैं.
सुश्री एक्का ने कहा, “"चाय मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करने में सरकार विफल हो गई. हमें सिर्फ आश्वासन मिलते रहे हैं. चाय बागानों में सुचारू ढंग से चलने वाले स्वास्थ्य सुविधा केन्द्रों का होना जरूरी है.” अपनी माध्यमिक परीक्षा के बाद एक्का अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख सकीं. उनके बड़े भाई सिलिगुड़ी की एक प्राइवेट फर्म में काम करते हैं, जबकि छोटे भाई ने इस साल हायर सकेंडरी परीक्षा दी है. सुश्री एक्का कारखाने में दैनिक कार्य के आधार पर 250 रुपये प्रतिदिन कमाती हैं. उन्होंने बताया, “अभी मेरे पास कोई काम नहीं है, क्योंकि मौसमी चरित्रा का होने की वजह से अभी हम लोगों का काम बंद है.”
सुश्री एक्का ने आगे कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोई राजनीतिक पार्टी चुनावों के दौरान जनता के बुनियादी मुद्दों को बुलंद नहीं करती है. वे नौजवानों के लिए रोजगार, स्वास्थ्य व शिक्षा तथा श्रमिकों और किसानों के अधिकारों के बारे में कुछ नहीं कहती हैं. जरूरत इस बात की है कि बेरोजगारी तथा शिक्षा व सामाजिक सुरक्षा के अभाव जैसे असली एजेंडों पर चर्चा की जाए. मुझे चुनावी नतीजे की कोई चिंता नहीं है, लेकिन मैं हमेशा जनता के साथ खड़ी रहती हूं.”
उनके पिता सिरिल और मां बसंती ने कहा कि अगर उनकी बेटी को आम जनता के लिए काम करने का मौका मिले, तो उन्हें बेहद खुशी होगी. उन्होंने कहा, “हमें अपनी बेटी से कोई ब्यक्तिगत ख्वाहिशें नहीं हैं. अगर वह विधायक के रूप में जीत हासिल करती है और जनता के लिए काम करती है, तो हमें संतुष्टि मिलेगी.”
भाकपा(माले) स्वतंत्र रूप से यहां होनेवाले विधानसभा चुनावों में 12 सीटों पर लड़ेगी और वह वाम मोर्चा-कांग्रेस गठबंधन का साझीदार नहीं बनेगी. सुश्री एक्का ने कहा, “हमारी पार्टी भाजपा को एक नंबर का राजनीतिक शत्राु मानती है, और इससे इस राज्य में वामपंथी पार्टियों के बीच इस बुनियादी सवाल को लेकर तीखी बहस शुरू हो गई है कि कौन बड़ा राजनीतिक खतरा है.” उन्होंने यह भी कहा कि हमें भगवा गिरोह और तृणमूल कांग्रेस को बराबर करके नहीं देखना चाहिए. उन्होंने बताया, ‘‘भाजपा को पूरे देश में और बंगाल में भी लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा समझना पड़ेगा. केंद्र सरकार ने काॅरपोरेट शोषण बढ़ाने के लिए तीन काले किसान विरोधी कानून लाए हैं, लोग जान रहे हैं कि भाजपा ने एनआरसी के नाम पर असम में क्या किया है. ‘डी’ में डाल दिए गए लोगों का भाग्य और डिटेंशन कैंपों में रखे गए लोगों की दुर्दशा देखकर आम जनता के अंदर एनआरसी को लेकर काफी चिंता बढ़ गई है. लगातार बढ़ती महंगाई और खासकर ईंधन व रसोई गैस की बढ़ती कीमतों से स्थिति काफी कठिन हो गई है.”
वाम मोर्चा-कांग्रेस-इंडियन सेकुलर फ्रंट के बारे में उन्होंने जोर देकर कहा, “मुझे नहीं लगता है कि इस गठबंधन के अंदर भाजपा के खिलाफ लड़ने की कोई गंभीरता है. मैं तो मानती हूं कि इस राज्य में भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए एक मजबूत विपक्ष का होना जरूरी है.”
फांसीदेवा और खेराबाड़ी, ये दोनों प्रखंड फांसीदेवा विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं, जो अनुसूचित जनजाति (एसटी) उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है. इस क्षेत्र में कुल 2, 38,458 मतदाता हैं. - शंखा घोष (स्टेट्समैन, 8 मार्च)
1 | 16-मैनागुड़ी (एससी) | जलपाईगुड़ी | उदय शंकर अधिकारी |
2 | 27-पफांसीदेवा (एसटी) | दार्जिलिंग | सुमंती एक्का (महिला) |
3 | 52-मोथाबाड़ी | मालदा | मो. इब्राहिम |
4 | 66-खारग्राम (एससी) | मुर्शिदाबाद | तुलुबाला दास (महिला) |
5 | 81-नक्शीपाड़ा | नदिया | कृष्णपदा प्रमाणिक |
6 | 85-कृष्णानगर दक्षिण | नदिया | शांतु भट्टाचार्य |
7 | 185-उत्तरपाड़ा | हुगली | सौरभ राॅय |
8 | 197-धनखली (एससी) | हुगली | सजल कुमार डे |
9 | 249-रामबांध (एसटी) | बांकुड़ा | सुधीर मुर्मु |
10 | 254-अनदा | बांकुड़ा | निर्मल बनर्जी |
11 | 262-जमालपुर (एससी) | पूर्बी बर्दमान | तरुनकांति मांझी |
12 | 263-मंतेश्वर | पूर्बी बर्दमान | आनसारुल आमन मंडल |