अयोध्या : जब राम के नाम पर मंदिर आरएसएस के एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए मोदी स्मारक बन गया

भारत को एक गहरा धक्का लगा था जब तीन दशक पहले संघ ब्रिगेड ने दिन-दहाड़े ऐतिहासिक बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था. लेकिन उस कार्रवाई की हिंसा और नतीजतन सैकड़ों लोगों की जान जाने के बावजूद अनेक भारतीय उसे महज मस्जिद-मंदिर विवाद के बतौर ही देखते रहे थे. हाल-हाल तक सर्वोच्च न्यायालय विध्वंस की उस कार्रवाई को अपराध, कानून के राज का जबर्दस्त उल्लंघन, मान रहा था; किंतु आश्चर्यजनक ढंग से उसने उन्हीं अपराध-कर्ताओं को उस भूमि पर स्वामित्व दे दिया और उस शहर में मस्जिद के प्रतिस्थापन के लिए एक दूसरी जगह आवंटित कर दी.

महिलाओं के खिलाफ भाजपा का बढ़ता युद्ध

साल 2023 के अंतिम दिन देश भर में खबर फैली कि दो माह पूर्व बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के आइआइटी की एक 20-वर्षीय बी.टेक. छात्रा का बंदूक की नोंक पर गैंगरैप करने वाले तीन आरोपी नौजवानों को अंततः गिरफ्तार कर लिया गया. ये तीनों नौजवान - कुणाल पांडे, सक्षम पटेल और आनंद चौहान - भाजपा की बनारस आईटी सेल से जुड़े हुए हैं. इनमें से पहले वाले दो नौजवान तो उस आईटी सेल के संयोजक और सह-संयोजक ही थे.

22 जनवरी बनाम 26 जनवरी : भारतीय गणतंत्र के भविष्य की जंग

गणतांत्रिक भारत केवल और केवल एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र के रूप में जिन्दा रह सकता है. हमारे पूर्वज 26 जनवरी 1950 को एक स्वतंत्र गणराज्य की स्थापना के अग्रदूत बने थे, आइए हम भारत के लोग उसी सपने को पूरी शक्ति, साहस और दृढ़निश्चय के साथ आगे बढ़ाने का आज संकल्प लें.

बहस को भटकाने और जनता को बांटने के संघ ब्रिगेड के हताशोन्मत्त प्रयासों को चकनाचूर करें

जब से व्यापक आधर वाला एकताबद्ध विपक्ष सामने आया है, मोदी सरकार और संघ ब्रिगेड की चूलें हिल गई हैं. यह सरकार अच्छी तरह जानती है कि 2019 में पुलवामा संहार-कांड से उत्पन्न जुनूनी राष्ट्रवादी लहर की पृष्ठभूमि में भी राजग (एनडीए) का साझा वोट प्रतिशत 45% से ज्यादा नहीं जा सका था, जबकि भाजपा का अपना वोट प्रतिशत 40 से भी कम था.

जी-20 नई दिल्ली शिखर सम्मेलन की हकीकत और गलत प्राथमिकताएं

भारत के विशाल और विविध शहरी इलाकों में जी-20 के कार्यक्रमों के एक साल लंबे सिलसिले का नजारा 8 से 10 सितंबर तक नई दिल्ली में 18वीं शिखर बैठक के साथ खत्म हो गया. चूंकि यह शिखर सम्मेलन 1983 में हुए गुटनिरपेक्ष आंदोलन के शिखर सम्मेलन और 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों के बाद भारत की मेजबानी में पहला ऐसा खास अंतरराष्ट्रीय आयोजन था, इसलिए इसने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जनता का ध्यान आकर्षित किया.

भारत के पांव चांद पर, लेकिन भारतीय क्लासरूम डरावने कक्ष बन गए हैं

चंद्रयान-3 की सफल साॅफ्टलैंडिंग बेशक ‘इसरो’ के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है. यह पहली बार है कि कोई चंद्र अभियान चंद्रमा के दक्षिणी धरुव पर उतरा हो, और इससे चंद्रमा की हकीकत की खोजबीन तथा उसके अध्ययन की वृहत्तर संभावनाओं के द्वार खुलने की उम्मीद है. भारत के वैज्ञानिक सामर्थ्य का ऐसा बड़ा मील का पत्थर विज्ञान व तकनोलाॅजी, और खासकर अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत की समग्र अग्रगति को प्रेरित करने की क्षमता रखता है.

भारत के संविधान को तहस-नहस करने की साजिश को नाकाम करें!

हिंदू वर्चस्ववादी खेमे के जरिये लंबे समय से भारत के संविधान को पलटने का मुद्दा अब खुलकर सामने आ गया है. नए संविधान की बड़ी ढिठाई से वकालत अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय द्वारा आजादी के 76वीं सालगिरह के मौके पर एक अखबार में लेख के बतौर सामने आयी है. खासकर, जब इसे लिखने वाला प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद का अध्यक्ष हो और पहले से ही सरकार अपने बयानों और कदमो से इसे जाहिर कर रही हो, तब इसे किसी व्यक्ति की अलग-थलग राय मानना मूर्खता है.

लोकतांत्रिक भारत कानून सम्मत तानाशाही को बर्दाश्त नहीं करेगा

जब भारत आजादी की 76वीं सालगिरह मना रहा था तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लालकिला से 10वीं बार मुखातिब होते हुए हताशा भरी चुनावी भाषणबाजी कर रहे थे. भ्रष्टाचार और वंशवादी राजनीति के खिलाफ उनकी आडंबर भरी उकतानेवाली बातों ने फासीवादी हुकूमत के खिलाफ लोगों में फैल रहे गुस्से और सियासी एका के उभरते आसार से उनके बढ़ते डर को ही जाहिर किया है. उनका शेखी बघारते हुए कहना कि शिलान्यास की गयी परियोजनाओं का उद्घाटन वे अगले चुनाव में सत्ता वापसी के बाद करेंगे, यह उजागर करता है कि उनके पैरों तले की जमीन हर रोज फिसलती जा रही है.

राहुल गांधी की संसद सदस्यता की पुनर्बहाली मोदी शासन के लिए आंशिक धक्का है, इसे जमीन पर भाजपा की निर्णायक शिकस्त में तब्दील कर दें

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मोदी उपनाम को कलंकित करने के मुकदमे में राहुल गांधी पर लगाए गए अभियोग पर स्थगन दिया जाना भारत के खुलते राजनीतिक परिदृश्य में एक मोड़-बिंदु है. मोदी सरकार ने संसदीय व अन्य संवैधानिक निकायों के जरिये संविधान पर निरंतर हमला करने और लोकतंत्र को विनष्ट करने और अपने हर कदम के लिए न्यायिक स्वीकृति झटक लेने की कला में महारत हासिल कर ली है. तथाकथित मोदी उपनाम मुकदमे की पटकथा इसी रास्ते पर आगे बढ़ती हुई सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गई.

मणिपुर से हरियाणा और चलती रेलगाड़ियों तक, उस नफरत को रोकें जो भारत को बर्बाद कर रहा है!

मणिपुर तीन महीने से जल रहा है. इन तीन महीनों की लगातार हिंसा ने 60 हजार से ज्यादा लोगों को अपने ही राज्य में बेघर कर दिया है. जहां इस हिंसा की कहानियों और समय-समय पर आनेवाले वीडियो क्लिप्स ने दुनिया भर का ध्यान आकृष्ट किया है, वहीं विश्व-भ्रमण करने वाले भारत के प्रधान मंत्री को अबतक मणिपुर जाने का समय नहीं मिल सका है.