9 दिसम्बर 2019 को, जिस दिन लोकसभा में सीएबी पेश हुआ, उसी दिन कोलकाता में ‘एनआरसी विरोधी संयुक्त मंच’ (ज्वायंट फोरम अगेंस्ट एनआरसी) के बैनर तले एनआरसी-विरोधी और सीएबी-विरोधी विशाल रैली निकाली गई. इस रैली को भाकपा(माले) पोलितब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन, पूर्व आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन, जिन्होंने धारा 370 के तहत कश्मीर को दिये गये विशेष दर्जे का विलोप किये जाने के प्रतिवाद में सेवा से त्यागपत्र दे दिया और अब अखिल भारतीय एनआरसी के खिलाफ प्रतिवाद में प्रचार कर रहे हैं, और पूर्व जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार एवं अन्य नेताओं ने सम्बोधित किया.
रैली को सम्बोधित करते हुए का. कविता कृष्णन ने कहा कि एनआरसी/सीएबी का मकसद लोगों को मजहब के आधार पर बांटना तथा हमारे समाज के धर्मनिरपेक्ष बहुलतावादी ताने-बाने को नष्ट करना है. उन्होंने इस विभेदमूलक नीति के खतरे से आम लोगों को आगाह किया और हिंदुओं के सामने पेश किये जा रहे नागरिकता के झुनझुने से नहीं भटकने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि यह अमीरों के लिये सस्ती श्रमशक्ति जुटाने का एक तरीका है, क्योंकि जो लोग एनआरसी से बाहर रह जायेंगे और घुसपैठिये करार दिये जायेंगे उन्हें किसी अन्य देश में तो भेजा नहीं जा सकेगा बल्कि सस्ते श्रम के बतौर यातनादायक डिटेंशन कैम्पों में रखा जायेगा.
कन्नन गोपीनाथन ने कहा कि एनआरसी की साजिश सिर्फ मुसलमानों के नागरिकता के अधिकार के लिये नुकसानदेह नहीं है बल्कि उन सब हिंदुओं के खिलाफ है जो गरीब हैं और एनआरसी द्वारा मांगे गये दस्तावेजों को जुटा नहीं पायेंगे. संख्या के लिहाज से अपेक्षाकृत बड़ी तादाद में हिंदू इस प्रक्रिया से प्रभावित होंगे. करोड़ों नागरिकों को नागरिकता से वंचित कर दिया जायेगा. असम में नागरिकता रजिस्टर तैयार करने की प्रक्रिया में 1600 करोड़ रुपये खर्च हो गये फिर भी वह समूची कसरत बेकार गई है. कन्हैया कुमार ने एनआरसी, सीएबी और एनपीआर का सम्पूर्ण बहिष्कार करने का आह्वान किया क्योंकि ये सारी चीजें गैर-संवैधानिक और भारत-विरोधी हैं. उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि सशक्त नागरिक अवज्ञा आंदोलन के सामने कोई भी सरकार अपनी गद्दी नहीं बचा सकती.