20 दिसंबर 2024 : अखिल भारतीय किसान महासभा ने मोदी सरकार द्वारा हाल में लाई गयी नई कृषि बाजार व विपणन नीति 2024 को चोर दरवाजे से तीन कृषि कानूनों की वापसी बताते हुए उसे तत्काल वापस लेने की मांग की है. किसान महासभा ने कहा कि इस नीति के लागू होने से देश की कृषि मंडियां तबाह हो जाएंगी और कृषि बाजार पर क्रूर लुटेरी कारपोरेट कम्पनियों का कब्जा हो जाऐगा.
इस नीति के जरिये मोदी सरकार धीरे-धीरे देश की खेती, अन्न के भंडारण, विपणन सहित खुदरा बाजार को भी कारपोरेट कम्पनियों के लिए खोलने का रास्ता बना रही है. किसान महासभा ने देश के विभिन्न राज्यों में विपक्ष की सत्तासीन सभी सरकारों से केंद्र द्वारा भेजे गए इस नीति के प्रस्ताव को विधान सभा सत्र बुलाकर रद्द करने और अपने राज्यों में लागू न करने की अपील की है.
मोदी सरकार की इस नई नीति में शामिल प्रमुख सुधारों में निजी थोक बाजारों की स्थापना की जाएगी, कारपोरेट प्रोसेसर और निर्यातक सीधे खेत पर जाकर फसलों की खरीद कर सकेंगे. एफसीआई के गोदामों की जगह कारपोरेट नियंत्रित गोदामों और साइलो को बढ़ावा दिया जाएगा, एक एकीकृत राज्यव्यापी बाजार शुल्क और व्यापार लाइसेंस प्रणाली शुरू की जाएगी.
एपीएमसी को दरकिनार करते हुए सीधे किसानों से उपज खरीदने व भंडारण ढांचे को निजी निगमों को सौंपने से मूल्य अस्थिरता के दौरान किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच समाप्त हो जाएगा. छोटे व मंझोले किसान जो पहले ही कृषि संकट से तबाही की मार झेल रहे हैं, इस नीति के लागू होने से पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे. यही नहीं यह नीति अंततः सार्वजनिक वितरण प्रणाली को भी खत्म करने की तरफ बढ़ेगी, जिससे देश के करोड़ों गरीबों के सामने खाद्य संकट खड़ा हो जाऐगा.
दूसरी तरफ लगातार बढ़ते किसान आंदोलन के बावजूद केंद्र सरकार किसान आंदोलन द्वारा उठाई गई किसी भी गंभीर मांग जैसे एमएसपी की कानूनी गारंटी देना, कृषि में सार्वजनिक निवेश बढ़ाना, किसानों ग्रामीण मजदूरों की ऋण माफी, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत करना, किसानों की सामाजिक सुरक्षा के लिए उन्हें 10 हजार रुपए पेंशन देना, आदि पर चुप है.
किसान महासभा ने पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर 25 दिनों से अनशन पर बैठे किसान नेता दल्लेवाल के बिगड़ते स्वास्थ्य पर चिंता जाहिर करते हुए केंद्र सरकार से उनकी जीवन रक्षा के लिए देश के किसान संगठनों के साथ उनकी मांगों पर तत्काल वार्ता शुरू करने की मांग की है.
किसान महासभा ने देश के सभी किसान संगठनों से इस नीति की वापसी के लिए विपक्ष की राज्य सरकारों पर दबाव बनाने और एसकेएम द्वारा आहूत 23 दिसंबर के देशव्यापी विरोध कार्यक्रम को सफल बनाने की अपील की है.
– पुरुषोत्तम शर्मा,
राष्ट्रीय सचिव, अखिल भारतीय किसान महासभा