भाकपा(माले) द्वारा संपूर्ण बिहार में विगत लगभग चार महीनों से चलाये जा रहे ‘हक दो-वादा निभाओ’ अभियान, जो ‘बदलो बिहार’ के नारे व संकल्प के साथ चलाया जा रहा है, के अगले चरण की शुरूआत करने के लिए 13 दिसंबर 2024 को बिहार की राजधानी पटना स्थित रविन्द्र परिषद सभागार में ‘बदलो बिहार कार्यकर्ता कन्वेंशन का आयोजन हुआ.
शहीदों को मौन श्रद्धांजलि देने और शहीद गीत की प्रस्तुति के साथ शुरू हुए सम्मेलन में सबसे पहले पार्टी राज्य सचिव का. कुणाल ने कन्वेंशन का आधार वक्तव्य रखा और बदलो बिहार अभियान के अगले चरण में लिये जानेवालों तमाम कार्यक्रमों – बदलो बिहार समागम, बदलो बिहार न्याय पदयात्रा और बदलो बिहार महाजुटान – को शानदार तरीके से सफल बनाने का आह्वान किया गया था.
इसके साथ ही उन्होंने पार्टी सदस्यता को निर्धारित संख्या तक बढ़ाने, पार्टी आधार को व्यापक विस्तार देने तथा सदस्यता नवीनीकरण तथा नए पार्टी सदस्यों की भर्ती के अभियान में तेजी लाने का आह्वान किया.
सम्मेलन को संबोधित करते हुए पालीगंज विधायक का. संदीप सौरभ ने कहा कि बिहार में डबल इंजन की सरकार फेल है. बिहार में एक लाख की आबादी पर 7 डिग्री कॉलेज हैं लेकिन सरकार किसी भी तरह के नए डिग्री कॉलेज खोलने के पक्ष में नहीं है. इस सवाल को आंदोलन में तब्दील करना होगा. बिहार के विश्वविद्यालयों को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया गया है ,शैक्षणिक अराजकता व्याप्त है. आइसा-आरवाईए को एक विस्तृत योजना बना कर इन सवालों पर बड़ा आंदोलन खड़ा करने के दिशा में कदम उठाने चाहिए.
पोलित ब्यूरो सदस्य तथा सांसद राजाराम सिंह ने कहा कि ‘बदलो बिहार महाजुटान’ बदलो हिन्दुस्तान की बुनियाद डालेगा. आज पूरे देश में भाजपा सांप्रदायिक उन्माद फैला रही है और संविधान को खत्म कर रही है. नीतीश कुमार उनका समर्थन कर रहे हैं. इन दोनों को सत्ता से बेदखल करना होगा.
विधान पार्षद शशि यादव ने कहा कि बिहार भर में स्कीम वर्कर्स के आंदोलन भाकपा(माले) के नेतृत्व में हो रहे हैं. स्कीम वर्कर्स हमारी पार्टी की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं. जीविका दीदियों की लड़ाई भी अब हमारे नेतृत्व में हो रही है. नीतीश कुमार जीविका के सहारे ही बिहार की महिलाओं का वोट अबतक ठगते रहे हैं लेकिन इस बार उनकी ठगी नहीं चलेगी. स्कीम वर्कर्स के आंदोलन को और संगठित किया जाएगा.
ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि अभी तक यह माना जाता रहा है कि बिहार की महिलाएं नीतीश कुमार को वोट देते रही हैं. लेकिन, बिहार के विभिन्न तबकों के महिलाओं के भीतर नीतीश कुमार के प्रति असंतोष पैदा हुआ है और यह उनके आंदोलन के रूप में सामने आया है. माइक्रोफाइनेंस कंपनियां महिलाओं का शोषण कर रही है. आरबीआई ने नियम बनाया था कि कोई भी माइक्रोफाइनेंस कंपनी 22% से ज्यादा ब्याज नहीं ले सकती लेकिन मोदी सरकार इसे खत्म कर नई महाजनी व्यवस्था लाई है.
भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार संक्रमण काल में है और बदलाव के मुहाने पर खड़ा है. आज संविधान और लोकतंत्र पर बहुत तेज हमला हो रहा है. हम इसे बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं और बदलाव में ही बचाव है. बिहार और देश को बचाने के लिए बदलाव करना होगा.
आगे उन्होनें कहा कि कुछ लोग संविधान से धर्मनिरपेक्षता तथा समाजवाद शब्द हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट गए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया. धार्मिक स्थलों की खुदाई और मंदिर के दावे पर भी सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है और इन उन्माद से देश को मोहलत दी है. लेकिन इस मोहलत के सहारे कबतक लोकतंत्र बचेगा? इसे बचाने के लिए बदलाव की जरूरत है. 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और एनडीए को एक झटका मिला था, लेकिन हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में उसने फिर से सत्ता हासिल कर ली. महाराष्ट्र चुनाव को ले कर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं. रिपोर्ट आ रही हैं कि 70 लाख वोटर्स अचानक बढ़ गए हैं. फासीवादी लोग सत्ता का इस्तेमाल हमेशा ही संविधान को तबाह करने तथा लोकतंत्र को खत्म करने में करते हैं.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ का मुद्दा ले कर आए हैं, लेकिन सवाल ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ का नहीं है, सवाल निष्पक्ष चुनाव का है. ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ देश का एजेंडा नहीं है. असली मुद्दों पर पर्दा डालने के लिए यह लाया गया है. फासीवादी ताकतों ने आज न्यायपालिका और चुनाव आयोग तक पर कब्जा कर लिया गया है. आज तो जज भी खुलेआम यह कह रहे हैं कि देश बहुसंख्यकों के मन के हिसाब से चलेगा.
उन्होंने कहा कि अडानी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं लेकिन आज जब अडानी को गिरफ्तार करना चाहिए था, उस पर जांच बैठाना चाहिए था तब भारत सरकार उनको बचाने के लिए रात-दिन एक की हुई है. संसद को ठप कर दिया गया है. विपक्ष चर्चा की मांग कर रहा है लेकिन कोई सुनवाई नहीं है.
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार मोदी का समर्थन कर रहे हैं लेकिन यहां भी डबल इंजन की सरकार फेल है. दोनों में एक समानता है और वो यह कि दोनों ही झूठ बोलते हैं. महिलाओं के आंदोलन ने उनके महिला सशक्तिकरण की पोल खोल दी है. बिहार में विकास नहीं, बकवास हुआ है. आए दिन पुल ढह जा रहे हैं. नीतीश कुमार के दौरे के पहले नेताओं को ‘अरेस्ट’ कर लिया जा रहा है. यहां भी यूपी मॉडल लागू किया जा रहा है. गरीबों पर बिहार में भी बुलडोजर चलाया जा रहा है.
उन्होंने कहा, ‘हम सभी लोगों को 9 मार्च 2024 को ‘बदलो बिहार महाजुटान रैली’ के लिए लग जाना है. यह रैली पार्टी की दावेदारी की रैली है. हमें बिहार भर में चल रहे सभी आंदोलनों को इससे जोड़ना है. पार्टी के एक-एक कार्यकर्त्ता की जिम्मेदारी है कि वह इस रैली को सफल बनाने में उतर जाये.
सम्मेलन में ‘बदलो बिहार : बढ़ता कारवां’ का लोकार्पण भी किया गया.
सम्मेलन में आदिवासियों-भूमिहीनों पर बढ़ते हमले पर भी चर्चा हुई तथा इसके खिलाफ ‘आदिवासी संघर्ष मोर्चा’ के बैनर तले आन्दोलन तेज करने का निर्णय लिया गया. इसके अलावा सहारा निवेशकों के मांगों को ले कर भी चर्चा की गई और उन्हें संगठित कर आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया गया.
कार्यक्रम को भाकपा माले विधायक गोपाल रविदास, महानंद सिंह, वीरेंद्र गुप्ता, इंसाफ मंच के अध्यक्ष क्यामुदीन अंसारी, उपाध्यक्ष नेयाज अहमद, आफताब आलम, युवा नेता चंद्रभूषण सिंह, आइसा राज्य सचिव सबीर कुमार, बांका प्रभारी एसके शर्मा कर्मचारी संघ के संयोजक रामबली प्रसाद, एक्टू राज्य सचिव रणविजय कुमार, सहारा संघर्ष मोर्चा के संयोजक सूरज कुमार, बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ की महासचिव सरोज चौबे ने भी संबोधित किया.
कार्यक्रम का संचालन भाकपा(माले) के पोलित ब्यूरो के सदस्य का. धीरेंद्र झा ने किया. केंद्रीय कमेटी सदस्य कुमार परवेज ने दस सूत्रीय प्रस्ताव पेश किया. अनिल अंशुमन और पुनीत पाठक ने क्रांतिकारी गीत प्रस्तुत किया.
– कुमार दिव्यम
1. ‘हक दो-वादा निभाओ अभियान’ और फिर ‘बदलो बिहार न्याय यात्रा’ ने बिहार में सामाजिक बदलाव और न्याय के व्यापक एजेंडे को प्रमुखता से सामने रखा है. यह कन्वेंशन – भूमि सर्वेक्षण की आड़ में बेदखली की मार झेल रहे भूमिहीनों, बढ़े बिजली बिल व प्रीपेड मीटरों के बोझ तले दबी जनता, धार्मिक हिंसा और जातीय उत्पीड़न के शिकार दलितों और अल्पसंख्यकों, बुनियादी अधिकारों और उचित मजदूरी के लिए लड़ रहे जीविका-आशा-रसोइया सहित अन्य महिला योजना कर्मियों, छात्र-युवाओं, माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की जाल में उलझी महिलाओं – आदि समूहों की व्यापक भागीदारी व सामूहिक दावेदारी और उनके समर्थन को बिहार में जनपक्षीय बदलाव के लिए एक विशाल जनांदोलन में तब्दील कर देने का आह्वान करता है.
इसी उद्देश्य से आगामी 9 मार्च 2025 को पटना में ‘बदलो बिहार महाजुटान’ राज्यस्तरीय रैली करने का निर्णय किया गया है. भाकपा(माले) ही बिहार में बदलाव की असली वाहक है. आज का कन्वेंशन बदलो बिहार महाजुटान में आंदोलनरत विभिन्न तबकों की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए गंभीर प्रयास चलाने और बिहार में बदलाव के संघर्ष में भाकपा-माले का हाथ मजबूत करने का आह्वान करता है.
2. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्दों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को रद्द करना एक स्वागतयोग्य व राहत भरा कदम है लेकिन भाजपा-संघ बिग्रेड द्वारा संविधान के बुनियादी मूल्यों और सिद्धांतों पर हमला लगातार जारी है. आज जब देश संविधान लागू होने की 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है हमें संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों के बल पर जनता का एक व्यापक संघर्ष खड़ा करना है जो संविधान पर हो रहे फासीवादी हमले को हराने का सबसे प्रभावी तरीका है. यही संविधान के आदर्शों को भी जिंदा रखेगा. कन्वेंशन 26 नवंबर 2024 से 26 जनवरी 2025 तक पार्टी द्वारा चलाए जा रहे 2 महीने का संविधान बचाओ अभियान को सफल बनाने का आह्वान करता है.
3. कन्वेंशन उत्तरप्रदेश के संभल में राज्य प्रायोजित हिंसा जिसमें पांच मुस्लिम युवकों की मौत हो गई पर गहरा आक्रोश प्रकट करता है. संभल और उसके बाद अजमेर शरीफ में एक दरगाह के सर्वे का आदेश ‘प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट, 1991’ का उल्लंघन है. संघ ब्रिगेड के इस कुटिल अभियान का यह कन्वेंशन पूरी ताकत के साथ प्रतिरोध करने और 1991 के एक्ट को मजबूती से लागू करने की मांग करता है.
4. अमेरिका में एफ.बी.आई. और अन्य एजिन्सयों की जांच के बाद अडानी समूह पर अमेरिकी कानूनों के उल्लंघन का आरोप ही नहीं, भारत में सौर उर्जा के अरबों रुपयों के ठेके महंगी दरों पर रिश्वत देकर हासिल करने का आरोप है और उसके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी हुआ है. अमेरिका में लगे इन आरोपों की तार्किक परिणति यही है कि इस घोटाले की भारत में सही तरीके से जांच हो, उसे भ्रष्टाचार में मिले ठेके निरस्त किए जाएं और अडानी समूह के खिलाफ कार्यवाही की जाए. लेकिन केंद्र सरकार संसद के अंदर इसपर चर्चा तक से भाग रही है. यह कन्वेंशन अडानी समूह के खिलाफ कार्रवाई की मांग करता है.
5. कन्वेंशन बिहार में चिन्हित किए गए करीब 95 लाख महागरीब परिवारों को एकमुश्त 2 लाख रु. सहायता राशि देने हेतु पोर्टल अविलंब चालू करने, पक्का मकान के दावेदार परिवारों की सूची उपलब्ध कराने, एक लाख रु. की जुमलेबाजी की बजाए सभी भूमिहीन परिवारों को 5 डिसमिल आवासीय जमीन देने सहित झारखंड के तर्ज पर बकाए बिजली बिल की माफी व 200 यूनिट फ्री बिजली तथा वृद्ध-दिव्यांगों तथा सभी महिलाओं के लिए न्यूनतम 3000 रु. मासिक पेंशन-सहायता राशि देने की मांग पर आंदोलन तेज करने का आह्वान करता है.
6. उत्तरप्रदेश की तर्ज पर बिहार में बुलडोजर राज स्थापित करने के कुत्सित प्रयासों के खिलाफ कन्वेंशन मांग करता है कि जो गरीब जहां बसे हैं सरकार सबसे पहले उसका पर्चा दे. बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए गरीबों को उजाड़ने और अतिक्रमण के नाम पर फुटपाथ दुकानदारों पर ढाए जा रहे जुल्म के खिलाफ यह कन्वेंशन व्यापक आंदोलन खड़ा करने का आह्वान करता है. कन्वेंशन मांग करता है कि नया वास-आवास कानून बनाने की दिशा में सरकार तत्काल कदम उठाए.
7. ‘कोर्ट ऑफ वार्ड्स’ के तहत बेतिया राज की 15 हजार एकड़ से अधिक जमीन का सरकारी अधिग्रहण और उसे गरीबों में वितरित करने की कम्युनिस्ट आंदोलन की दशकों पुरानी मांग रही है. लेकिन करीब डेढ़ सौ वर्षों से जमीन पर काबिज पचास हजार से ज्यादा परिवारों को जो ‘कोर्ट ऑफ वार्ड्स’ में भी सुरक्षित था, आज सरकार द्वारा पारित कानून के तहत अतिक्रमणकारी घोषित कर दिए गए है और सबों के ऊपर विस्थापन का खतरा मंडराने लगा है. इसमें सरकार द्वारा कॉरपोरेट घरानों के लिए भूमि लैंड बनाने की बू आती है. कन्वेंशन सरकार की इस नीति की तीखे शब्दों में निंदा करता है और उस जमीन पर बसे सभी गरीबों, भूमिहीनों, व्यवसाइयों, बटाईदार किसानों व आम नागरिकों को जमीन का मालिकाना हक देने और शेष जमीन को जरूरतमंदों के बीच वितरित करने की मांग करता है.
8. ‘महिला संवाद’ के नाम पर नीतीश कुमार द्वारा 227 करोड़ रु. खर्च करना घोर फिजुलखर्ची तथा सरकारी धन का दुरूपयोग है जबकि दूसरी ओर जीविका कार्यकर्ताओं सहित सभी स्कीम वर्कर न्यूनतम मासिक मानदेय की मांग पर आंदोलनरत हैं. इन समूहों के प्रति भाजपा-जदयू सरकार की संवेदनहीनता की यह कन्वेंशन निंदा करता है तथा सभी स्कीम वर्करों को न्यूनतम मासिक मानदेय देने तथा महागठबंधन सरकार द्वारा आशा कार्यकर्ताओं से हुए समझौते को तत्काल लागू करने का मांग करता है.
9. यह कन्वेंशन माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की मनमानी पर रोक और सभी प्रकार के पुराने कर्जों की माफी के साथ स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के उत्पाद की सरकारी खरीद, जरूरत के हिसाब से सरकारी समूहों द्वारा महिलाओं को कर्ज उपलब्ध कराने तथा महिलाओं पर अत्याचार-बलात्कार की बढ़ती घटनाओं पर रोक लगाने के लिए पुलिस-प्रशासन को जवाबदेह बनाने की मांग करता है.
10. कन्वेंशन सहारा निवेशकों के पैसे के तत्काल भुगतान की मांग करता है.