वर्ष - 33
अंक - 37
07-09-2024

1 सितंबर 2024 को पटना के आइएमए हॉल में बिहार प्रोग्रेसिव यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (BPUTA) का ऐतिहासिक स्थापना सम्मेलन आयोजित हुआ. बिहार की उच्च शिक्षा व्यवस्था में सुधार, शिक्षकों के अधिकारों की सुरक्षा और शिक्षा में व्यापक सुधार लाने के उद्देश्य से इस संगठन का गठन किया गया. इस सम्मेलन में पटना, पाटलिपुत्र, मगध, वीर कुंवर सिंह, एलएनएमयू, जेपी और मुंगेर सहित बिहार के प्रमुख विश्वविद्यालयों के शिक्षकों ने भाग लिया.

बीपूटा का नेतृत्व

सम्मेलन में भाकपा(माले) विधायक डॉ. संदीप सौरभ को सर्वसम्मति से संगठन का संरक्षक चुना गया. उनके नेतृत्व में बीपूटा को एक प्रभावी और प्रगतिशील संगठन के रूप में देखा जा रहा है, जो बिहार की उच्च शिक्षा में सुधार की दिशा में निर्णायक भूमिका निभाएगा. पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर हेमंत कुमार झा को संगठन का अध्यक्ष और वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय की डॉ. चिंटू कुमारी को सचिव चुना गया. अन्य पदाधिकारियों में मुजफ्फरपुर से आतिफ रब्बानी उपाध्यक्ष, बेगूसराय से अभिषेक कुंदन सह-सचिव और साइंस कॉलेज, पटना के प्रो. शोभन चक्रवर्ती कोषाध्यक्ष चुने गए. इसके अतिरिक्त, 21 सदस्यीय राज्य कार्यकारिणी का गठन किया गया जिसमें कई प्रमुख शिक्षकों को शामिल किया गया.

बिहार की उच्च शिक्षा की बदहाल स्थिति

विधायक संदीप सौरभ ने सम्मेलन के दौरान बिहार की उच्च शिक्षा व्यवस्था की गिरती स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा, ‘बिहार की उच्च शिक्षा में जो गिरावट आई है, वह चिंताजनक है. प्रशासन की मनमानी, शिक्षकों के अधिकारों का हनन और शिक्षण संस्थानों में जड़ता इसके मुख्य कारण हैं.’ उन्होंने कहा कि इस स्थिति को सुधारने के लिए एक सशक्त शिक्षक संगठन की आवश्यकता थी.

शिक्षकों की समस्याएं और चुनौतियां

सम्मेलन में शिक्षकों ने अपनी समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की. प्रमुख मुद्दों में विश्वविद्यालय प्रशासन की मनमानी, कुलपतियों की नियुक्तियों में अनियमितता, महिला शिक्षकों के साथ भेदभाव और विश्वविद्यालय परिसरों में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की कमी शामिल थी.

डॉ. विद्यार्थी विकास ने केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा, ‘शिक्षा को बर्बाद करने की दिशा में यह नीतियां बढ़ रही हैं. बीपूटा इन गलत नीतियों के खिलाफ सशक्त माध्यम बनेगा.’

बीपूटा के उद्देश्य

बीपूटा का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों के अधिकारों की रक्षा करना और बिहार की उच्च शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाना है. संगठन के पदाधिकारियों ने स्पष्ट किया कि उनकी प्राथमिकता बिहार की शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाना और शिक्षकों की आवाज को बुलंद करना है.

वर्तमान परिदृश्य में बीपूटा की भूमिका

वर्तमान समय में जब केंद्र की मोदी सरकार द्वारा शैक्षणिक संस्थानों पर लगातार हमले किए जा रहे हैं और नई शिक्षा नीति विश्वविद्यालयों के निजीकरण की ओर धकेल कर शिक्षा को लगातार महंगी कर रही है, बीपूटा का गठन उच्च शिक्षा को बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है. मौजूदा सरकार की नीतियां सामाजिक न्याय के विरोध में हैं, जहां आरक्षण विरोधी फैसले और सामाजिक न्याय को कमजोर करने वाले कदम उठाए जा रहे हैं. ऐसे समय में बीपूटा बिहार की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने और शिक्षकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक सशक्त संगठन के रूप में उभरेगा, ये उम्मीद है.

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