वर्ष - 33
अंक - 37
07-09-2024

- कुमार परवेज

पुस्तकालयों का होना किसी भी समाज के विकास में अहम भूमिका निभाता है. पुस्तकालय न केवल ज्ञान का भंडार होते हैं, बल्कि वे सामाजिक समरसता और सामूहिक जागरूकता को भी बढ़ावा देते हैं. बिहार, जहां लंबे समय से सार्वजनिक पुस्तकालयों की कमी और उपेक्षा रही है, अब इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ा रहा है. बिहार विधानसभा की ‘पुस्तकालय समिति’ की सतत पहल के अंतर्गत यह निर्णय लिया गया है कि राज्य के हर पंचायत में एक पुस्तकालय की स्थापना की जाएगी. यह पहल राज्य में ‘पुस्तकालय संस्कृति’ को सशक्त करने और शिक्षा के प्रसार को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है.

विधानसभा की पुस्तकालय समिति के पूर्व सभापति का. सुदामा प्रसाद के शुरुआती नेतृत्व और समिति के सदस्य का. संदीप सौरभ के सतत प्रयास और संघर्ष से ही इस योजना को मूर्त रूप दिया जा सका है.

समिति की बैठकों में बिहार में ‘पुस्तकालय संस्कृति’ स्थापित करने का मुद्दा लगातार उठाया गया. 2021 में, विधानसभा के इतिहास में पहली बार, इस समिति का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया था. इसमें पुस्तकालयों की वर्तमान दशा के साथ सरकार को कई सुझाव भी दिए गए. इसके बाद शिक्षा विभाग और पंचायती राज विभाग के साथ गहन चर्चा के बाद, राज्य के सभी पंचायतों में पुस्तकालय की स्थापना के लिए सहमति बनी. यह निर्णय राज्य के प्रत्येक नागरिक के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, और ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर को सुधारने में सहायक होगा.

इसके तहत राज्य के पंचायत सरकार भवनों में पुस्तकालयों के लिए एक अलग कमरा आवंटित किया जाएगा. नए बनने वाले पंचायत सरकार भवनों में पुस्तकालय के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी. जिन पंचायतों में अभी पंचायत सरकार भवन नहीं हैं, वहां किसी पंचायत या सामुदायिक भवन में इसे संचालित किया जाएगा या निजी भवनों में (मासिक किराए पर) पुस्तकालय स्थापित किए जाएंगे. इसके लिए पंचायतों को पुस्तकों के लिए 2 लाख रुपये तथा अखबार और पत्रिकाओं के लिए 5,000 रुपये की वार्षिक राशि प्रदान करने का आदेश पंचायती राज विभाग द्वारा जारी किया गया है. इस पहल से ग्रामीण इलाकों के लोग पुस्तकों और ज्ञान के अन्य संसाधनों तक पहुंच प्राप्त कर सकेंगे और समसामयिक मुद्दों तथा विभिन्न विचारधाराओं से अवगत हो सकेंगे. यह कदम ग्रामीण इलाकों के छात्रों, युवाओं, और बुजुर्गों के लिए ज्ञान की खिड़की खोलने वाला साबित होगा. पंचायत सचिवों को इन पुस्तकालयों के सचिव के रूप में नियुक्त करने की योजना है. वे ही पुस्तकालयों के संचालन और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होंगे.

इसके अतिरिक्त, पुस्तकालय समिति ने राज्य के 9 प्रमंडलों, 38 जिलों एवं 101 अनुमंडल मुख्यालयों में पूर्व से घोषित पुस्तकालयों के अलावा शेष बचे मुख्यालयों में पुस्तकालय की स्थापना हेतु निर्णय लिया है. इस निर्णय के आलोक में शिक्षा विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को आदेश जारी किया है. बिहार के विभिन्न प्रखंडों में स्थित 318 प्रखंड स्तरीय पुस्तकालयों, जिनकी स्थिति जीर्णशीर्ण व मृतप्राय है, को पुनर्जीवित करने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है.

पुस्तकालयों के सुचारू संचालन के लिए जरूरी है कि सभी पुस्तकालयों में लाइब्रेरियन समेत सभी तरह के कर्मियों की नियमित बहाली हो, लेकिन बिहार में विगत 16 वर्षों से लाइब्रेरियन की बहाली नहीं हुई है. पालीगंज विधायक का. संदीप सौरभ द्वारा इस मुद्दे को सदन में एकाधिक बार उठाया. इसके अलावा पुस्तकालय समिति ने कई बार बिहार के पुस्तकालयों में लाइब्रेरियन की बहाली सुनिश्चित करने हेतु जल्द से जल्द नियमावली तैयार कर इसे कैबिनेट में प्रस्तुत करने का निर्देश शिक्षा विभाग को दिया है. 29 जुलाई 2024 को शिक्षा विभाग के साथ हुई पुस्तकालय समिति की बैठक में शिक्षा विभाग ने जानकारी दी कि लाइब्रेरियन की बहाली के लिए नियमावली को अंतिम रूप दे दिया गया है और इसे कैबिनेट में मंजूरी के लिए भेजा गया है. मंजूरी मिलने के बाद लाइब्रेरियन की नियुक्ति प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा, जिससे इन पुस्तकालयों का संचालन और प्रभावी ढंग से हो सकेगा.

समिति की सक्रियता और भाकपा(माले) के पूर्व विधायक एवं वर्तमान आरा सांसद का. सुदामा प्रसाद के शुरुआती नेतृत्व और माले विधायक का. संदीप सौरभ की सक्रिय भागीदारी ने इस पहल को नई ऊर्जा दी है. यह ‘पढ़ेगा बिहार, आगे बढ़ेगा बिहार’ के संकल्प की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है.