सुशासन के बडे़-बड़े दावे के बावजूद भाजपा-जदयू संरक्षित राजू-जुम्मन गिरोह लंबे समय से इमामगंज में आतंक का पर्याय बना हुआ है. इसी गिरोह ने विगत 9 सितंबर को भाकपा-माले के लोकप्रिय नेता का. सुनील चंद्रवंशी की हत्या कर दी थी. हत्यारों ने शायद सोचा होगा कि इसके जरिए वे इलाके में अपने वर्चस्व को और मजबूत बना लेंगे, लेकिन उन्हें शायद इसका अंदाजा नहीं था कि ऐसे हमलों को झेलकर ही भाकपा-माले लगातर आगे बढ़ी है. 21 सितंबर को आयोजित प्रतिरोध सभा में जनसैलाब और व्यापक जन समर्थन ने स्पष्ट कर दिया कि हत्या के जरिए जनता की आवाज दबाई नहीं जा सकती. का. सुनील चंद्रवंशी अमर रहें के गगनचुंबी नारों ने भय-आतंक के माहौल को पलक झपकते खत्म कर दिया. कड़ी धूप व गर्मी के बावजूद सभी दिशाओं से इमामगंज बाजार पहुंचे हजारों लोगों ने लगभग तीन घंटे तक खड़े रहकर अपने प्रिय कॉमरेड को याद किया, उनकी शहादत को सलाम किया, इलाके से अपराध को खत्म करने और उनके संघर्षों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया. महिलाओं की भागीदारी देखते ही बनती थी. जहानाबाद और भोजपुर के सहार से भी अच्छी भागीदारी थी. इमामगंज बाजार में बीच सड़क पर ही मंच था. पूरे बाजार में लाल झंडे की धमक थी. रास्ते जाम हो गए थे और माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य जब बोलने आए तब स्थानीय फुटपाथ दुकानदारों से लेकर अगल-बगल के सभी लोग खींचे चले आए. सभी नेताओं-कार्यकर्ताओं ने एकजुटता की शपथ ली और लड़ाई को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया – लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक न्याय नहीं मिल जाता.

प्रतिरोध सभा में माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य सहित राज्य सचिव कुणाल, मगध जोन के प्रभारी अमर, आरा से सांसद का. सुदामा प्रसाद, पालीगंज विधायक संदीप सौरभ, फुलवारी विधायक गोपाल रविदास, घोषी विधायक रामबलि सिंह यादव, जहानाबाद जिला सचिव रामाधार सिंह, औरंगाबाद जिला सचिव मुनारिक राम, अनवर हुसैन, कमलेश कुमार सहित बड़ी संख्या में भाकपा-माले के स्थानीय नेता व कार्यकर्ता उपस्थित थे. का. सुनील के भाई अनिल चंद्रवंशी और उनका बेटा विश्वजीत भी प्रतिरोध सभा में शामिल हुए. मुख्य मंच के बगल में का. सुनील चंद्रवंशी के चित्र पर माले महासचिव ने माल्यर्पाण किया. उन्होंने का. सुनील जी के परिजन से मुलाकात की और ढांढस बंधाया. पार्टी के अन्य नेता भी उनके परिजन से मिले. उनकी स्मृति में एक मिनट का मौन रखा गया और फिर कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत हुई जिसकी अध्यक्षता अरवल विधायक का. महानंद सिंह ने की.

राजू-जुम्मन गिरोह का लंबा आपराधिक इतिहास रहा है. 2013 में भैंसासुर आहर पर वर्चस्व स्थापति करने के लिए इसी गिरोह ने बिन्द जाति के चार मजदूरों का जनसंहार रचाया था. मोहर बिगहा के संजय सिंह की हत्या इसी गिरोह ने कर दी थी क्योंकि उन्होंने इसके गलत कार्यों का विरोध करने का साहस किया था. इमामगंज बाजार में दुकानदारों से रंगदारी टैक्स वसूलने का विरोध करने पर श्रवण महतो, देवरतन महतो एवं ललन महतो की भी निर्मम हत्या इस गिरोह द्वारा की जा चुकी है. आज भी इमामगंज बाजार में इस गिरोह का वर्चस्व कायम है. का. सुनील चन्द्रवंशी भी इस गिरोह के खिलाफ संघर्षरत थे. उन्होंने अपने इलाके में बिजली और सड़क के लिए कई सफल आंदोलन किया. मोहर बिगहा, छक्कन बिगहा, कोणार्क नगर आदि गांवों में उन्हीं के प्रयास से बिजली आई. इसी वर्ष श्रमदान व चंदा कर छक्कन बिगहा तक करीब एक किलोमीटर कच्ची सड़क का निर्माण करवाया. वे इलाके में गरीबों के लोकप्रिय नेता के बतौर स्थापित हो रहे थे इसीलिए सामंती-अपराधी ताकतों की आंखों में चुभने भी लगे थे और अंततः उनकी हत्या कर दी गई. 21 सितंबर की प्रतिरोध सभा इमामगंज के दुकानदारों का भरोसा जीतने में कामयाब रही. उसने यह संदेश दिया कि भाकपा-माले आतंक व अपराध को इमामगंज से हमेशा के लिए खत्म करने के लिए संकल्पित है चाहे जो कुर्बानी देनी पड़े.

प्रतिरोध सभा में आरा सांसद का. सुदामा प्रसाद ने पूछा कि का. सुनील चंद्रवंशी के हत्यारे को अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया? उन्होंने मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन आपराधिक कानूनों की चर्चा की. कहा कि ये कानून अपराधियों को संरक्षण देने वाले कानून हैं. इससे अपराधियों का मनोबल बढ़ रहा है. राजू-जुम्मन गिरोह की कुर्की जब्त क्यों नहीं हो रही है? उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अपराधियों को बचाने में लगी हुई है. पालीगंज विधायक संदीप सौरभ ने कहा कि का. सुनील चंद्रवंशी के हत्यारे को सब लोग जान रहे हैं. अपराध का उसका पुराना इतिहास है लेकिन वे आराम से बाहर घूम रहे हैं. इसलिए हम कह रहे हैं कि यह सत्ता के संरक्षण में की गई हत्या है. आंदोलनकारी ताकतों को कुचलने के लिए भाजपा-जदयू की सरकार ऐसी ताकतों को संरक्षण देती है. उन्होंने कहा कि हमारे आंदोलनों के दबाव में इमामगंज में थाना तो बन गया लेकिन काम नहीं हो रहा है. थाना अपराधियों को गिरफ्तार करने नहीं आती बल्कि आंदोलनकारियों को दबाने आती है. पुलिस और अपराधियों के गठजोड़ की जांच होनी चाहिए. फुलवारी विधायक का. गोपाल रविदास ने कहा कि नीतीश कुमार विकास की बात करते नहीं थकते लेकिन जब महागठबंधन की सरकार थी हमने दबाव देकर सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण कराया. उस सर्वेक्षण में 95 लाख से ज्यादा परिवार महागरीब हैं. व्यापक पैमाने पर लोगों के पास रहने के लिए जमीन नहीं है इसलिए हम लोग हक दो-वादा निभाओ अभियान चला रहे हैं. इस अभियान की तैयारी में का. सुनील चंद्रवंशी की हत्या की गई. इससे साफ जाहिर है कि भाजपा-जदयू की सरकार गरीबों को कोई अधिकार नहीं देना चाहती. इस सरकार को सबक सिखाना होगा. घोसी विधायक रामबली सिंह यादव ने सवाल उठाया कि अपराधियों को ताकत कहां से मिलती है? अपराधी को बचाने के लिए कानून बदल जाते हैं लेकिन टाडा में बंद हमारे साथियों की सजा काट लेने के बाद भी रिहाई नहीं होती. इसलिए उनका साहस बढ़ रहा है. प्रतिरोध सभा को पूर्व जिला पार्षद मधेश्वर प्रसाद, वर्तमान जिला पार्षद शाह शाद, ऐपवा की जिला सचिव लीला वर्मा, रामाधार सिंह, अनवर हुसैन, सहार के पूर्व प्रमुख मदन सिंह, पूर्व जिला पार्षद रवीन्द्र यादव आदि नेताओं ने भी संबोधित किया. मंच पर अरवल जिला सचिव का. जितेन्द्र यादव, जमीला खातून सहित कई लोग उपस्थित थे.

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प्रतिरोध सभा से लिए गए प्रस्ताव

1. सभा, इलाके में शांति व विकास के लिए प्रशासन से मांग करती है कि जुम्मन-राजू सहित गिरोह के सभी अपराधियों को तत्काल गिरफ्तार कर स्पीडी ट्रायल कर कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की गारंटी करे, गिरोह के संरक्षक इमामगंज थाना प्रभारी पर भी उचित कार्रवाई हो और का. सुनील चंद्रवंशी के पीड़ित परिवार को सरकारी नौकरी व 20 लाख रुपया मुआवजा मिले!

2. नवादा में भूमि सर्वे की आड़ में सत्ता संरक्षित भू माफिया द्वारा दलितों पर हमले, आगजनी, लूटपाट और आतंक स्थापित करके दलितों को बेदखल करने की कोशिशों, हाल के दिनों में गया जिले में मुसहर समुदाय पर सामंती हमले सहित पूरे बिहार में दलित उत्पीड़न, बलात्कार और साम्प्रदायिक उन्माद के खिलाफ संघर्ष को जारी रखने का ऐलान करती है.

3. भाकपा(माले) द्वारा राज्य के 94 लाख महागरीब परिवारों के लिए घोषित 2 लाख रुपये की सहायता राशि के लिए 72 हजार रुपये से नीचे का आय प्रमाण पत्र, भूमिहीनों के लिए 5 डिसमिल जमीन और पक्का मकान के सवाल पर चलाए जा रहे हक दो-वादा निभाओ अभियान को जोरदार ढंग से सफल बनाने की अपील करती है.
 

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दिल्ली-पटना सरकारों को झुकाना ही का. सुनील चंद्रवंशी को सच्ची श्रद्धांजलि
- का. दीपंकर भट्टाचार्य

भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने अपने संबोधन में कहा कि आज की सभा में उमड़ा यह जनसैलाब इसकी गवाही दे रहा है कि का. सुनील जी जनता के बीच कितने लोकप्रिय थे. उनके सपनों को पूरा करना ही अब हमारा मकसद है. पता चला कि अभी तक मुख्य अभियुक्त की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है. नीतीश जी कहते हैं कि बिहार अपराध मुक्त हो गया लेकिन अकेले पटना जिले में इस साल अब तक 48 से ज्यादा हत्याएं हो चुकी हैं. ये सरकारी आंकड़ें हैं. असली आंकड़ें और भयावह होंगे. जहां भी हत्या हो रही है पीड़ित परिजन को मुआवजा मिलना चाहिए लेकिन यह मुआवजा नहीं बल्कि सरकार पर जुर्माना है. नीतीश कुमार ‘सुशासन’ के ही नाम पर जनता से वोट लेते हैं लेकिन आज शासन-व्यवस्था की जो दुर्गति हो चुकी है उसके लिए उनपर पेनल्टी लगनी चाहिए. का. सुनील जी के परिजनों को भी 20 लाख रु. की यह जुर्माने की राशि की मांग हम दुहराने आए हैं.

यह इलाका एक के बाद कई जनसंहारों और हत्याओं का गवाह रहा है. इन्हीं शहादतों के बल पर यह कारवां आगे बढ़ रहा है. गरीबां का आंदोलन तेज हो रहा है. जब भी कोई साथी शहीद होते हैं तो केवल हत्यारों को सजा दिलाना हमारा मकसद नहीं होता बल्कि उनके काम को लगातार आगे बढ़ाते रहने की जिम्मेवारी उठानी होती है. चीनी क्रांति के नेता का. माओ ने एक गीत लिखा था – जनता की सेवा व लड़ाई लड़ते हुए जब कोई साथी शहीद हो जाते हैं तो वह मौत हिमालय से भी भारी मौत होती है. का. सुनील जी की मौत उसी तरह की मौत है. इसलिए इस मौत को हमें संकल्प में बदल देना है. वे अपराध के खिलाफ इलाके में अमन-चैन स्थापित करने, खेतों में पानी, सड़क-बिजली और अभी भाकपा-माले द्वारा चलाए जा रहे हक दो-वादा निभाओ अभियान में समर्पण के साथ लगे हुए थे, उसे संगठित कर रहे थे, उसमें कहीं से कमी नहीं आने देनी है.

उन्होंने आगे कहा कि बिहार में कौन सा विकास हो रहा है? बेरोजगारी बढ़ रही है. गरीबी बढ़ रही है. नीतीश सरकार ने सर्वे किया तो पता चला कि जिस बिहार में खूब विकास-विकास कहा जाता है वह बकवास है. इस महंगाई के दौर में 6 हजार रु. तक की आमदनी वाले 94 लाख से अधिक परिवार अपना गुजर-बसर कर रहे हैं. विधानसभा में नीतीश कुमार ने कहा कि सभी गरीब परिवारों को 2 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी लेकिन एक साल में केवल 40 हजार लोगों को पहली किश्त मिली. यदि यही रफ्तार रही तो कम से कम 200 साल लग जाएंगे. मोदी सरकार की तरह ही नीतीश सरकार भी जुमला फेंक रही है. नीतीश जी केवल वोट लेना चाहते हैं लेकिन गरीबों के लिए कोई योजना नहीं लागू करते. न तो गरीबों को आवास के लिए 5 डिसमिल जमीन मिल रही है न ही पक्का मकान. भाकपा-माले 2 लाख रु. सहायता राशि की घोषणा को जुमला नहीं बनने देगी. जबतक बिहार में माले की ताकत है बिहार के गरीबों की लड़ाई जारी रहेगी. बिहार में डबल इंजन नहीं डबल बुलडोजर की सरकार है.

कहा जाता है कि नीतीश जी के राज में दलित-अतिपिछड़ों को सम्मान मिला लेकिन हो क्या रहा आज बिहार में? महादलितों पर हमले हो रहे हैं. उनके घरों को जलाया जा रहा है. मगध-शाहाबाद के इलाके में सबसे अधिक हमले बढ़े हैं. ऐसा क्यों? दरअसल, शाहाबाद और मगध में जहां भाकपा-माले की सबसे मजबूत ताकत है, 2020 के विधानसभा चुनाव और फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा धूल चाटने को विवश हुई, इसलिए इस इलाके में भाजपाइयों की काली करतूतें लगातार जारी हैं. वे जनांदोलनों को कुचलने की लगातार साजिशें कर रही हैं. ऐसी ताकतों को 2025 के चुनाव में मुकम्मल तौर पर सबक सिखाना है. 2020 के चुनाव में जो अधूरा रह गया था उसे पूरा कर देना है.

उन्होंने सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के उपरांत वंचित समुदाय के लिए बढ़ाए गए 65 प्रतिशत आरक्षण की भी चर्चा की. कहा कि भले मामला कोर्ट में है लेकिन सरकार संसद में एक प्रस्ताव लाकर इसे संविधान की 9 वीं अनुसूची में डाल सकती है लेकिन इसपर नीतीश जी चुप हैं. वक्फ बोर्ड संशोधन के बारे में उन्होंने कहा कि यह कुछ नहीं बल्कि वक्फ की जमीन पर कब्जा जमाने का सरकारी अभियान है. उन्होंने इस बात की ओर इशारा किया कि मुंबई में अम्बानी का घर वक्फ की जमीन पर है. उन्होंने बिहार में जारी भूमि सर्वे की अनयिमितता पर भी सवाल उठाए. कहा कि जब नीतीश सरकार के पास भूमि आयोग की पहले से रिपोर्ट है तो उसे लागू करने की बजाए नया सर्वे क्यों हो रहा है? दरअसल, भूमि सर्वे जमीन से गरीबों की बेदखली का अभियान है.

का. सुनील चंद्रवंशी को यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी कि मोदी सरकार और पटना की नीतीश सरकार को गरीबों के आंदोलन के सामने झुका दिया जाए.

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