आरजी कार मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, कोलकाता में चौथे माले पर स्थित आपातकालीन सेवा के एक सेमिनार रूम में सीने के रोग की महिला डॉक्टर (पीजी के दूसरे वर्ष की छात्रा) के साथ बलात्कार और हत्या की बर्बरतापूर्ण घटना से पूरा देश हिल उठा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ऑटोप्सी की प्राथमिक रिपोर्ट पीड़िता के जननांगो पर गहरे चोट और पूरी देह पर करीब दस जख्मों की पुष्टि करती है. शहर की ह्दयस्थली में अवसिथत एक स्थापित सरकारी अस्पताल के अंदर घटी यह घटना इस बात का खुलासा करती है कि अस्पताल प्रशासन अस्पताल के अंदर महिला कर्मचारियों को सुरक्षित माहौल प्रदान करने में पूरी तरह से विफल रहा है.
आरजी कार मेडिकल कॉलेज के प्रिसिपल ने बेहद असंवेदनशील तरीके से रात के समय सेमिनार रूम में अकले जाने की बात कहते हुए पीड़िता पर ही घटना की पूरी जवाबदेही डाल दी है. ऐपवा पीड़िता को ही दोषी करार देने को कठोर निंदा करते हुए इसे समाज में गहरी जड़ जमाये हुए उसी पितृसत्तात्मक बलात्कारी संस्कृति की उपज बताया है जो बलात्कारियों और हत्यारों तो खुला छोड़ देती है और पीड़िताओं को ही दोषी ठहाराती है. इस घटना ने संगठित और असंगठित कार्यस्थलों पर – घर के भीतर और घर के बाहर भी – महिलाओं की सुरक्षा की दयनीय अवस्था को भी उजागर कर दिया है. राज्य के स्वास्थ्य विभाग और आरजी कार कॉलेज अस्पताल अधिकारियों को निश्चित ही इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराना होगा.
यह बताया गया है कि घटना के एक आरोपी सुरक्षा प्रहरी को गिरफ्तार कर लिया गया है जो न तो सरकारी कर्मचारी है और न ही पुलिसिया. यह स्पष्टतः आपातकान वार्ड जैसे एक महत्वपूर्ण स्थान पर सूरक्षा की भारी चूक है, जबकि पहले भी अस्पताल में बेड की उलब्धता, खून और दवा आदि मुहैया कराने को लेकर भ्रष्ट गठजोड़ और अनियमितता की लगातार कई शिकायतें मिलती रही इहैं. अस्पताल प्रशासन द्वारा इन पर कोई कदम नहीं उठाया गया.
ऐपवा ने विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल छात्रों और डॉक्टरों द्वारा कार्यस्थलों पर सुरक्षा प्रदान करने की अपनी लंबित मांग को लेकर किए जा रहे प्रतिवाद के साथ अपनी एकजुटता प्रदर्शित किया है और आरजी कार मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की पीड़िता के लिए न्याय के संघर्ष के साथ खड़ी है. पीड़िता को न्याय और इस घटना को अंजाम देनेवालों दोषियों को कठोर सजा दिलाने के लिए एक उच्चस्तरीय न्यायिक जांच अवश्य ही गठित होनी चाहिए.
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बनारस : कोलकाता के आरजी कार मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सेवा के दौरान महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की बर्बर घटना के विरोध में 15 अगस्त 2024 को बनारस (उप्र) में कैंडिल मार्च निकाला गया. इस कैंडिल मार्च में डॉक्टरों, विद्यार्थियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, नागरिक समाज के साथ ही महिला संगठन ऐपवा ने भी शिरकत की.
लोगों ने रविदास गेट से बीएचयू गेट, लंका तक मार्च निकाल कर पीड़िता के लिए न्याय की गुहार लगाई. बीएचयू गेट पर हुई सभा में शामिल लोगों ने कहा कि पीड़िता को त्वरित न्याय, घटना की निष्पक्ष जांच और अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा की गारंटी होनी चाहिए और हर महिला के लिए कार्यस्थल पर सुरक्षित माहौल बनाने, पुलिस को संवेदनशील बनाने और जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिशों को कड़ाई से लागू करने की गारंटी होनी चाहिए.
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डॉ. प्रीति अग्रवाल, डॉ. रूपाली, डॉ. मोनिका, डॉ. प्रियंका, डॉ. मीनाक्षी, डॉ. मधुमिता, डॉ. प्रियंका, डॉ. श्वेताभ, डॉ. हेमंत गुप्ता, सोनाली, इप्शिता, प्रिया, रौशन, राजेश, सुतपा, स्मिता, सोनी, प्रज्ञा, सौमिका, मृणाली, विनय, वीके सिंह, कुसुम वर्मा आदि शामिल रहे.
आरा : 14 अगस्त को आरा (बिहार) में इंसाफ मंच ने मार्च निकाल कर दोषियों को सजा दिलाने के मांग की. यह मार्च भाकपा(माले) कार्यालय, श्रीटोला से निकलकर बस स्टैण्ड गेट तक गया जहां सभा आयोजित हुई. इंसाफ मंच नेताओं – कयामुद्दीन अंसारी और अजय राम ऊर्फ गांधी ने आरजी कार अस्पताल के प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष को भी घटना का दोषी करार दिया और सभी दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की.