वर्ष - 33
अंक - 36
31-08-2024

- वी. शंकर

कारपोरेट हस्तियों और दोस्तों के चहेते आंध्र के सीईओ मुख्यमंत्री अपनी कॉरपोरेटपरस्त नीतियों के साथ पिफर वापस आ गए हैं. अब राज्य में उनके चहेते पूंजीवादी तत्वों राजनीतिक स्थिति की मजबूत हो गई है. आंध्र एकमात्र ऐसा राज्य था, जहां सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों दलों ने राष्ट्रीय सत्ताधारी दल भाजपा का साथ दिया. इस फैसले की जगन को भारी कीमत चुकानी पड़ी. आंध्र का एनडीए गठबंधन मुख्य रूप से एक अवसरवादी गठबंधन है. आश्चर्यजनक रूप से, प्रभावी विपक्ष की कमी के कारण, मुस्लिम समुदाय ने राज्य में एनडीए सहयोगी टीडीपी और जेएसपी को समर्थन दिया है. चंद्रबाबू नायडू ने मुसलमानों के लिए 4% आरक्षण का प्रस्ताव देकर एक चतुर चाल चली, एक ऐसा कदम जो भाजपा के सिद्धांतों के विपरीत है. लेकिन, इस यथास्थिति को बरकरार रखने के लिए, भाजपा ने राज्य के लिए अपना स्वयं का घोषणापत्र जारी करने से परहेज किया और इसके बजाय अपने राष्ट्रीय घोषणापत्र का तेलुगु संस्करण जारी किया. जगन और वाईएसआरसीपी के कल्याण-उन्मुख कार्यक्रमों को बेरोजगारी, गरीबी, भूमि स्वामित्व अधिनियम के तहत भूमि के अधिग्रहण से नुकसान की आशंका, और निर्वाचित अधिकारियों पर नौकरशाही के बढ़ते नियंत्रण के कारण झटका लगा है. चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी को एक बदले की कार्रवाई के रूप में देखा जाता है, जिसे कई लोगों ने नापसंद किया है. मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि इस चुनाव में प्राथमिकताएं जगन की कल्याणकारी योजनाओं से हटकर बेहतर बुनियादी ढांचे, निवेश, रोजगार के अवसरों और समग्र विकास की लालसा में बदल गई थी.

चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी को कई लोगों द्वारा नापसंद किए जाने वाले बदले की कार्रवाई के बतौर देखा जा रहा है. मीडिया के अनुसार, इस चुनाव में जगन द्वारा जनकल्याणकारी नीतियों पर ध्यान दिए जाने की जगह बुनियादी ढांचे, निवेश, रोजगार और विकास पर जोर दिया गया. इसके बजाय, एनडीए के सुपर सिक्स वादों, जैसे 4000 रुपये की पेंशन, 3000 रुपये का बेरोजगारी भत्ता, किसानों को 15000 रुपये की सहायता, छात्राओं को 1500 रुपये और मुफ्त बस सेवाओं ने आंध्र के लोगों का ध्यान खींचा है. एनडीए के सहयोगी टीडीपी के अप्रत्याशित कदम, जिसने मुसलमानों के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण की शुरुआत की, ने अल्पसंख्यक समुदायों का समर्थन हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसका उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा है.

जगन ने तीन राजधानियां बनाने का वादा किया था, जबकि एनडीए ने अमरावती को राज्य की राजधानी बनाने और विशाखापत्तनम को वित्तीय राजधानी के रूप में विकसित करने का वादा किया है. जगन ने भूमि और स्वामित्व के बारे में सभी आवश्यक जानकारी एकत्र की थी, जबकि एनडीए सरकार महाराष्ट्र में अपनाए गए मॉडल के अनुरूप ‘लैंड पूलिंग’ को (निजी स्वामित्व वाली भूमि के टुकड़ों को एक ही भूमि में एकीकृत करना) आक्रामक रूप से आगे बढ़ा रही है, ताकि निगमों और प्रभावशाली व्यक्तियों को भूमि के बड़े हिस्से आवंटित किए जा सकें. एनडीए की जीत प्रतिक्रियावादी समूहों के लिए भी जीत का प्रतीक है, क्योंकि यह राज्य में दलितों, मुसलमानों और अन्य वंचित समूहों जैसे हाशिए के समुदायों पर राजू-कम्मा-कपू गठबंधन जैसी सामाजिक ताकतों के राजनीतिक प्रभुत्व का प्रतिनिधित्व करती है.

जगन भी उसी शासक वर्ग के प्रतिनिधि रहे हैं, लेकिन वे सबसे रूढ़िवादी और प्रभावशाली जातियों का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं, साथ ही उन भ्रष्ट व्यक्तियों का भी प्रतिनिधित्व करते रहे हैं जो अवैध गतिविधियों से लाभान्वित होते रहे हैं. रेड्डी जाति का प्रभुत्व कम हो गया है और अब राज्य में मध्यम जातियों और भ्रष्ट पूंजीवाद ने सत्ता हासिल कर ली है. आंध्र, जो कभी अपनी प्रगतिशील और क्रांतिकारी वामपंथी राजनीति के लिए जाना जाता था, अब पीछे धकेला जा रहा है. हालांकि, एनडीए की जीत का मतलब राज्य में सांप्रदायिक राजनीति की जीत नहीं है, लेकिन हम इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि राजनीतिक परिदृश्य में दक्षिणपंथी ताकतें विजयी हुई हैं. अफसोस की बात है कि वामपंथी और कांग्रेस जैसे विपक्षी समूह हाशिये पर चले गए हैं और चुनावों में भी सफलता के मामले में वे बहुत कम संख्या में रह गए हैं. कांग्रेस पार्टी ने अपना जनाधार पूरी तरह खो दिया है और वामपंथी दल भी हाशिये पर चले गए हैं. मौजूदा हालात में, राज्य में प्रगतिशील, लोकतांत्रिक वामपंथी राजनीति के किसी भी विकास और पुनरुद्धार की बात करने के लिए दलितों, गरीबों और उत्पीड़ित व्यक्तियों की दावेदारी को बुलंद करना महत्वपूर्ण है. यह जिम्मेदारी जम्हूरियत पसंद नागरिकों और राज्य में क्रांतिकारी और वामपंथी ताकतों के कंधों पर है. यह देखते हुए कि भाकपा(माले) हाशिये पर पड़े लोगों की चैंपियन है, इसलिए पार्टी के लिए यह जरूरी है कि वह इस अवसर पर आगे आए और खेतिहर मजदूरों, असंगठित मजदूरों, दलितोंं, गरीबों और वंचितों सहित संघर्षरत लोगों के मुद्दों को उठाए और संघर्ष को आगे बढ़ाए. पार्टी को यह चुनौती स्वीकार करनी चाहिए और आंध्र की धरती से कॉरपोरेट, सांप्रदायिक, फासीवादी ताकतों को खदेड़ने के लिए काम करना चाहिए.

समाज और सत्ता के पदों पर दक्षिणपंथी ताकतों के प्रभुत्व के साथ ही कमजोर विपक्ष, राज्य में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक शून्यता को इंगित करता है. विरोध और असहमति के काफी मुद्दे और जगह हैं. वामपंथी और लोकतांत्रिक समूहों को एक साथ फिर संगठित होना चाहिए और इस अवसर का लाभ उठाने के लिए जनता से जुड़े मुद्दों को सक्रिय रूप से राजनीतिक आंदोलनों में तब्दील कर देना चाहिए. हमारी पार्टी को एक एकीकृत, मजबूत कम्युनिस्ट पार्टी बनाकर इस चुनौती को पूरे दिल से स्वीकार करना चाहिए जो यथास्थिति को बनाए रखने वाली ताकतों का प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सके. राज्य में क्रांतिकारी ताकतों के घटते प्रभाव ने हमारे कंधों पर बड़ी सामाजिक और राजनीतिक जिम्मेदारी डाल दी है, और इस हमें चुनौती का सामना करने के लिए प्रतिबद्धता दिखानी चाहिए.

भूमि अधिकार, आवास, ग्रामीण रोजगार, नरेगा, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मुद्दे ग्रामीण समाज में महत्वपूर्ण चिंता का विषय बन गए हैं. किसान पूंजीपतियों के फायदे के लिए कृषि के निगमीकरण और व्यावसायीकरण को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं, जबकि आदिवासी आंदोलन पांचवीं अनुसूची में शामिल होने की मांग कर रहे हैं. इन ज्वलंत मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाने के लिए हमारे लिए अपने आधार का विस्तार करना और आंदोलन को मजबूत करना महत्वपूर्ण है.

शहरी समाज में बेहतर वेतन, अधिकारों की सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा, आवास, रोजगार और नियमितीकरण की मांग प्रमुख मुद्दों के रूप में उभरे हैं. हमें मांग करनी चाहिए कि राज्य विधानसभा मजदूर विरोधी श्रम संहिताओं को खत्म करने के लिए एक प्रस्ताव पारित करे. युवा सिर्फ मोदी के पकौड़े बेचने जैसे स्वरोजगार के वादों के बजाय अपने कौशल के आधार पर सम्मानजनक रोजगार की मांग कर रहे हैं. छात्र समुदाय मुफ्त शिक्षा, यूनियन बनाने का अधिकार, मुफ्त छात्रवास, शैक्षिक सहायता की मांग कर रहे है और शिक्षा के निजीकरण और व्यावसायीकरण के खिलाफ भी आवाज उठा रहे हैं. मोदी सरकार की अलोकतांत्रिक नई शिक्षा नीति के खिलाफ राज्य शिक्षा नीति की मांग तमिलनाडु और कर्नाटक सहित कई दक्षिणी राज्यों में जोर पकड़ रही है. महिलाएं स्वघोषित एंटी-रोमियो दस्तों और यौन उत्पीड़न और हमलों की बढ़ती घटनाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग कर रही हैं.

राज्य नशीली दवाओं के दुरुपयोग, नशीले पदार्थों और नकली शराब के मुद्दों से जूझ रहा है, जिसमें वाईएसआरसीपी सरकार के पिछले पांच साल के कार्यकाल के दौरान ड्रग माफिया का प्रभाव बढ़ा है.  टीडीपी की प्रस्तावित नई शराब नीति पर हम समय पर उचित प्रतिक्रिया देगें. हाल में ही चंद्रबाबू नायडू सरकार द्वारा भूमि संबंधी मुद्दों के पुनः सर्वेक्षण और निपटान के बारे  घोषणा की गई है. पिछली सरकार द्वारा पेश किए गए भूमि स्वामित्व अधिनियम ने बड़ी तादाद में लोगों को प्रभावित किया है, जिससे संघर्ष की महत्वपूर्ण संभावनाएं सामने उभर आई हैं.

हमें इन महत्वपूर्ण मुद्दों के इर्द-गिर्द लोगों को संगठित करना होगा, उनका समर्थन और विश्वास हासिल करना होगा और अपने प्रभाव और जनाधार का विस्तार करना होगा, जो आंध्र में दक्षिणपंथी और फासीवादी ताकतों का मुकाबला करने के लिए बेहद जरूरी है. आंध्र की धरती से सांप्रदायिक ताकतों को खदेड़ना राज्य में वामपंथी, लोकतांत्रिक और प्रगतिशील ताकतों का सबसे महत्वपूर्ण काम बन गया है. भाकपा(माले) इस अभियान का नेतृत्व करने और प्रतिक्रियावादी ताकतों का निर्णायक मुकाबला करने के लिए जन संघर्षों का झंडा बुलंद करने के लिए प्रतिबद्ध है.