लोकसभा चुनाव 2024 के ठीक पहले असंवैधानिक, भेदभावकारी और विभाजनकारी नागरिकता संशोधन कानून की अधिसूचना को एक गहरी राजनीतिक साजिश करार देते हुए भाकपा(माले) ने 14 मार्च 2024 को राष्ट्रव्यापी प्रतिवाद आयोजित किया. इसके तहत राजधानी पटना सहित गया, दरभंगा, सुपौल, नासरीगंज, बिहारशरीफ, पटना ग्रामीण के मसौढ़ी, दुल्हिनबाजार, नवादा, बेगूसराय आदि जगहों पर विरोध दिवस का आयोजन किया.
बिहार की राजधानी राजधानी पटना में जीपीओ गोलबंर से सैकड़ों की तादाद में भाकपा(माले) कार्यकर्ताओं ने सीएए वापस लो, नागरिकों को धर्म के आधार पर बांटने की साजिश नहीं चलेगी, संविधान पर हमला नहीं सहेंगे आदि नारे लगाते हुए मार्च किया और बुद्ध स्मृति पार्क के सामने एक प्रतिवाद सभा आयोजित की. सभा को पार्टी के महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य, विधायक दल के नेता महबूब आलम और शिक्षाविद् गालिब ने संबोधित किया.
कार्यक्रम में उक्त नेताओं के अलावा धीरेन्द्र झा, केडी यादव, अमर, मीना तिवारी, शशि यादव, सरोज चौबे, अभ्युदय, अनीता सिन्हा, रणविजय कुमार, जितेन्द्र कुमार, अनय मेहता, नसीम अंसारी, मुर्तजा अली, विनय कुमार सहित बड़ी संख्या में पार्टी नेता-कार्यकर्ता उपस्थित थे.
भाकपा(माले) माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने इस मौके पर कहा कि जब देश ने फासिस्ट मोदी सरकार से छुटकारा पाने का मन बना लिया है, ठीक ऐसे समय में सीएए लागू करने का मतलब है कि भाजपा सरकार जनता का ध्यान भटकाने के लिए नफरत व विभाजन का माहौल बना रही है. जिस दिन सुप्रीम कोर्ट में इलेक्टोरेल बॉन्ड पर एसबीआई को जवाब देना था, ठीक उसी दिन सीएए को अधिसूचित किया गया. अपने भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए भाजपा ने यह विभाजनकारी चाल चली है. सीएए का विरोध इसलिए है कि हमारे देश के संविधान के अनुच्छेद 14 में नागरिकों या गैर नागरिकों यानी तमाम लोगों के प्रति समान नागरिकता का जो वादा है उसे खत्म कर दिया है.
उन्होंने इस भेदभावपूर्ण व विभाजनकारी सीएए के विरूद्ध समान नागरिकता आंदोलन में सबको अपनी एकजुटता प्रकट करने का आह्वान किया.
भागलपुर में पार्टी के राज्य कमिटी सदस्य एसके शर्मा, जिला सचिव बिंदेश्वरी मंडल व नगर प्रभारी मुकेश मुक्त के नेतृत्व में मार्च करते हुए घंटाघर चौक पहुंच कर प्रदर्शन किया गया.
दरभंगा में पोलो मैदान से मार्च निकाला गया और समाहरणालय, टावर, लोहिया चौक व बस स्टैंड होते हुए पुनः पोलो मैदान में अकार सभा आयोजित की गई.
गया में समाहरणालय स्थित दिग्घी तालाब पार्क से एक बड़ा विरोध मार्च निकला जो जीबी रोड होते हुए टावर चौक पहुंचा जहां सभा की गई.मार्च का नेतृत्व तारिक अनवर, रीता वर्णवाल, सुदामा राम, मो. शेरजहां, शिशुपाल कुमार और पारो देवी आदि नेताओं ने किया.
सुपौल के त्रिवेणीगंज में विज्ञान महाविद्यालय से 1994 के सहीद स्मारक तक विरोध मार्च निकला गया. वहां आयोजित सभा को खेग्रामस नेता जनमेजय राई, भाकपा(माले) जिला सचिव जयनारायण यादव, खेग्रामस प्रखंड अध्यक्ष मो. मुस्लिम आदि नेताओं ने सम्बोधित किया.
बिहारशरीफ में भाकपा माले के जिला सचिव सुरेंद्र राम के नेतृत्व में पार्टी के जिला कार्यालय से एलआईसी कार्यालय और भराव पर होते हुए हॉस्पिटल मोड़ तक प्रतिवाद मार्च निकाला गया और वहां सभा आयोजित की गई.
पटना ग्रामीण जिला के मसौढ़ी व दुल्हिनबाजार में प्रतिवाद मार्च निकाला गया.
बेगूसराय में प्रतिरोध मार्च निकालकर कैंटीन चौक पर सभा कर भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी कानून को रद्द करने की मांग की गई.
नासरीगंज (रोहतास) में भाकपा(माले) प्रखंड कार्यालय प्रतिवाद मार्च निकला. वहां आयोजित जनसभा को काराकाट विधायक अरुण सिंह, भाकपा(माले) जिला सचिव नंदकिशोर पासवान, रविशंकर राम और कैसर नेहाल ने सबोधित किया.
चंदौली जिले के चकिया, सकलडीहा, मुगलसराय तथा नौगढ़ तहसील पर प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा गया.
मथुरा में भाकपा(माले) जिला सचिव का. गिरधारी लाल चतुर्वेदी और राज्य कमेटी सदस्य का. नसीर शाह के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने नगर मजिस्ट्रेट श्री राजेश कुमार को ज्ञापन सौंपा. प्रतिनिधि मंडल एडवोकेट मधुवन दत्त चतुर्वेदी और एडवोकेट खुर्शीद अहमद समेत दर्जनों एडवोकेट शामिल थे .
बांसगांव में एक सात सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल द्वारा उप जिलाधिकारी, बांसगांव से मिलकर राष्ट्रपति महोदय को संबोधित ज्ञापन दिया प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भाकपा(माले) के राज्य स्थाई समिति के सदस्य का. राजेश साहनी और जिला सचिव का. राकेश सिंह ने किया.
प्रयागराज में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रासंघ भवन गेट के सामने नागरिकता संशोधन कानून की प्रतियों को जलाकर विरोध प्रकट कर रहे आइसा के इलाहाबाद विश्वविद्यालय इकाई उपाध्यक्ष भानु कुमार व आलोक अंबेडकर को गिरफ्तार कर नैनी सेंट्रल जेल भेज दिया गया. भाकपा(माले) ने इसकी कड़ी निंदा करते हुए तथा इसे सरकार की तानाशाही बताते हुए गिरफ्तार नेताओं को अविलंब बिना शर्त रिहा करने की मांग की है.
लखनऊ के बीकेटी में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन किया गया. मिर्जापुर, रायबरेली और पीलीभीत जिले की पूरनपुर तहसील में भी प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा गया.
झारखंड के धनबाद, सिंदरी और बगोदर समेत कई जगहों पर सीएए विरोधी प्रदयर्शन आयोजित हुए हैं.
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दिसम्बर 2019 में पास किये गये भेदभावकारी और विभाजनकारी अन्यायपूर्ण नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने वाली नियमावली की अधिसूचना 2024 चुनावों की अधिसूचना आने से ठीक पहले जारी करना एक राजनीतिक साजिश का संकेत है. जैसा कि अमित शाह ने खुद सीएए की ‘क्रोनोलॉजी’ समझाते हुए कहा था कि इस कानून को लागू करने के बाद एनआरसी-एनपीआर को देशव्यापी स्तर पर लाया जायेगा जिसके माध्यम से दस्तावेज न दिखा पाने वाले नागरिकों को नागरिकता के अधिकार से वंचित कर दिया जायेगा. सीएए नागरिकों को धर्म के आधार पर बांटने के मकसद से लाया गया है, जो भ्रामक रूप से गैरमुस्लिम ‘शरणार्थियों’ को नागरिकता देने और मुसलमानों की नागरिकता छीनने, यहां तक कि देशनिकाला देने, तक की बात करता है. लेकिन असम में की गयी एनआरसी की कवायद और देश में जगह-जगह चलाये जा रहे बुलडोजर ध्वस्तीकरण अभियानों से स्पष्ट हो चुका है कि आदिवासियों और वनवासियों समेत सभी समुदायों के गरीब इससे प्रभावित होंगे.
देश का लोकतांत्रिक अभिमत और समान नागरिकता एवं संवैधानिक अधिकार आन्दोलन ने सीएए-एनआरसी के पूरे पैकेज को संविधान पर हमला बता कर खारिज कर दिया है. चुनाव से पहले सीएए नियमावली की अधिसूचना ने लोकतंत्र के संवैधानिक आधार को बचाने के जनान्दोलन की अनिवार्यता को पुनः रेखांकित किया है. मोदी सरकार को आगामी आम चुनावों में सत्ताच्युत करना जरूरी हो गया है.
हम अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत समाज के सभी तबकों से – एमएसपी के कानूनी अधिकार के लिए लड़ रहे किसानों, श्रम अधिकारों के लिए लड़ने वाला मजदूर वर्ग, पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए संघर्षरत सरकारी कर्मचारियों, सुरक्षित रोजगार की मांग कर रहे युवाओं, आजादी, सुरक्षा और समान अधिकारों के लिए संघर्षरत महिलाओं, जातीय जनगणना व विस्तारित आरक्षण की मांग कर रहे वंचित लोगों, क्षेत्रीय पहचान और संघीय लोकतंत्र की संवैधानिक गारंटी की जद्दोजहद में जुटीं राष्ट्रीयताओं – से अपील करते हैं कि वे भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी सीएए के विरुद्ध समान नागरिकता आन्दोलन का साथ दें. हमें एकजुट रहना होगा ताकि जनता को बांटने व आगामी चुनावों में फासिस्ट ताकतों को शिकस्त देने के मिशन से जनता का ध्यान हटाने की मोदी सरकार और भाजपा की साजिश नाकामयाब हो.
केन्द्रीय कमेटी, भाकपा(माले) लिबरेशन