बिहार राज्य गन्ना उत्पादक किसान महासभा का प्रथम गोपालगंज जिला सम्मेलन गोपालजी मैरेज हाॅल, सिद्धवालिया में संपन्न हुआ. सम्मेलन की अध्यक्षता किसान नेता रामेश्वर सिंह तथा संचालन पूर्व मुखिया का. प्रभुनाथ गुप्ता ने किया. सम्मेलन का उद्घाटन बिहार राज्य गन्ना उत्पादक किसान महासभा के राज्य संयोजक तथा भाकपा(माले) विधायक का. वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने किया. पश्चिम चंपारण के किसान नेता व गन्ना उत्पादक किसान महासभा के जिला संयोजक सुनील कुमार राव सम्मेलन के मुख्य अतिथि थे.
का. का. वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था. लेकिन वह किसानों की आय दोगुनी करने के बजाय अंबानी-अडानी की आय दोगुनी कर रही है. राज्य के जन्ना उत्पादक किसानों के साथ केन्द्र सरकार और चीनी मिलों का व्यवहार सौतेला जैसा है. बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद बिहार में गन्ना उद्योग ही बचा हुआ है. लेकिन सरकारें गन्ना उत्पादक किसानों की बातें सुनने के बजाय चीनी मिलों की सुनती है. गन्ना रेट तय करने से लेकर गन्ना मूल्य भुगतान तक में सरकारों और चीनी मिलों की मनमानी चलती हैं.
उन्होंने कहा कि इस वर्ष के पेराई सत्र 2023-24 के लिए गन्ना खरीद मूल्य में मात्र 10 रुपये की वृद्धि की गई है. यह लागत खर्च में वृद्धि के मुकाबले बहुत कम है. बिहार सरकार भी चीनी मिलों से गन्ना मूल्य तय करते वक्त मिलों के दलाल किसानों के समक्ष रेट तय करती है जोे वास्तविक नहीं होता है. सरकार को किसानों के सवाल पर संघर्ष करने वाले किसान संगठनों व चीनी मिलों के प्रतिनिधियों की के बीच बातचीत के आधार पर गन्ना मूल्य तय करना चाहिए. निवर्तमान गन्ना पेटाई जत्र में गन्ना मूल्य 1 रुपया भी नहीं बढ़ा. चीनी मिलें सरकार के गन्ना मूल्य बढ़ाने के रवैये के खिलाफ कोर्ट का रुख कर लेती हैं.
उन्होंने बताया कि चम्पारण दौरा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व गन्ना मंत्री आलोक मेहता को बिहार राज्य गन्ना उत्पादक किसान महासभा की तरफ से गन्ना मूल्य 400 रुपया प्रति किवंटल करने की मांग रखी गई थी. चीनी मिलों के चीनी सेस के रुपये से गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में पेराई सत्र शुरू होने से पहले बरसात से टुटी हुई सड़कों व पुल-पुलियों आदि को ठीक कराया जाता है. चीनी मिलों के दबाव में राज्य सरकार ने पिछले साल उसे प्रति किवन्टल 1.80 रूपया से घटा कर मात्र 0.20 रूपया कर दिया गया है. सरकार को यह कटौती वापस लेनी चाहिए और इसे बढ़ा कर 2.00 रुपये करना चाहिए.
मुख्य अतिथि सुनील कुमा राव ने कहा कि गन्ना किसानों की समस्या गन्ना क्षेत्र की नापी से शुरू होती है. बड़े व दबंग किसानों द्वारा अपने गन्ना खेतों के रकबा को दो से चार गुणा अधिक करा लिया जाता है. गन्ना पेराई सत्र शुरू होते ही चालान की समस्या उठ खडी होती है. गन्ना तौल में भी 5 से 10 प्रतिशत तक वजन की घटतौली चीनी मिलों द्वारा चोरी छुपे कर ली जाती है. केन एक्ट के मुताबित 14 दिनों में गन्ना मूल्य भुगतान करना है किंतु चीनी मिलें इसका खुलेआम उल्लंघन करती है.
उन्होंने कहा कि बिहार राज्य गन्ना उत्पादक किसान महासभा गन्ना किसानों के इन्हीं सब सवालों पर संघर्ष कर रही है. इसकी मजबूती से गन्ना किसानों के चेहरे पर चमक बढ़ेगी. पश्चिम चंपारण में अपने संघर्ष के बदौलत किसान बकाया गन्ना मूल्य भुगतान करा चुके है. गन्ना वजन घटतौली पर रोक के लिए सरकार गन्ना सेस के रुपये से प्रत्येक चीनी मिलों के गेट पर किसान संगठनों के देख रेख में सरकारी धर्म कांटा लगवाए.
किसान नेता प्रभुनाथ गुप्ता ने कहा मुख्यमंत्री गन्ना विकास योजना के तहत किसानों को नये वेराइटी पर प्रति फिटल 210 रुपया की छूट दी जाती है. किंतु चीनी मिलों के दलाल किसानों, चीनी मिलों के कर्मियों व सरकार के केन विभाग के अधिकारियों द्वारा मिल-जुल कर इस राशि की लूट कर लिी जा रही है और आम किसानों को इसका फायदा नहीं मिलता है.
उन्होंने कहा कि सिधवलिया चीनी मिल पर गन्ना पेराई सत्र 2016-17 से 2019 तक के दौरान गन्ना प्रभेद 0150 का तीन करोड़ रूपमा किसानों का बकाया है. न्यायालय के आदेश के बावजूद अब तक इस राशि का भुगतान नहीं किया गया. किसान नेता कृष्ण बिहारी यादव ने कहा कि क्षेत्रीय विकास परिषद की राशि से बने किसान भवन पर मिल प्रबंधन का कब्जा है. इसे अविलम्ब हटाया जाये तथा गन्ना किसान ब्रज किशोर प्रसाद हत्या के अभियुक्त सिद्धवलिया थाना कांड संख्या-463/22 में मिल प्रबंधक की गिरफ्तारी हो. किसान रामायण सिंह ने कहा कि जन्ना चालान वितरण में व्याप्त गड़बड़ी पर रोक के लिए वर्तमान गन्ना पेराई सत्र का गन्ना कैलेंडर जारी किया जाये. कार्यक्रम को सफल बनाने में लगे किसान नेता मनोज तिवारी ने कहा सिद्धवलिया चीनी मिल प्रबंधन द्वारा गन्ना बीज व खाद देने में किमानों से अवैध वमूली पर रोक के लिए संघर्ष किया जाना चाहिए. सम्मेलन में करीब 80 किसानों ने भाग लिया. सम्मेलन के अंत में गन्ना उत्पादक किसानों की 23 सदस्यीय कमिटी बनी जिसमे प्रभुनाथ गुप्ता अध्यक्ष और मनोज कुमार तिवारी सचिव चुने गए. विजय सिंह, सुभाष सिंह, विद्या सिंह, रामेश्वर सिंह, रामायण सिंह, सुजीत कुमार, मनोज राम आदि कमिटी के सदस्य चुने गए. सम्मेलन में बिहार राज्य गन्ना उत्पादक किसान महासभा की सदस्यता चलाने का आह्वान भी किया गया. मौके पर ही 50 से अधिक किसानों ने संगठन की सदस्यता ग्रहण की. महासभा ने कई आंदोलनात्मक कार्यक्रमों की घोषणा भी की है.