भाकपा(माले) का 11वां महाधिवेशन विगत 15-20 फरवरी, 2023 को पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हाॅल में संपन्न हुआ. देश की मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति में न केवल देश की वामपंथी कतारों बल्कि तमाम लोकतांत्रिक व प्रगतिशील ताकतों की निगाह इस पर टिकी हुई थी. भाकपा(माले) ने पांच साल पहले, मार्च 1918 में मानसा (पंजाब) में संपन्न हुए अपने 10वें महाधिवेशन में देश में प्रधानमंत्री मोदी की अगुआई में देश की सत्ता पर संघ-भाजपा की कारपोरेट-फासीवाद के काबिज होने को मजबूत शिनाख्त की थी और साथ ही, देश भर में इसके नीतियों के खिलाफ उभर रहे आक्रोश को संगठित कर जुझारू जनांदोलन छेड़ने और व्यापक विमक्षी एकता की मुहिम छेड़ने के साथ ही इसके खिलाफ निर्णायक संघर्ष छेड़ने का आह्नान किया था. इन पांच वर्षों के दौरान भाजपा द्वारा देश की जनता पर थोपी जानेवाली सीएए-एनआरसी के खिलाफ चले निरंतर देशव्यापी आंदोलन, तीन कृषि कानूनों के खिलाफ साल भरद से भी अधिक अरसे तक चले किसान आंदोलन तथा साथ ही, बिहार में महागठबंधन के प्रयोग व इसके विस्तार के जरिए भाजपा को सत्ता से बाहर कर देने के अनुभव भी सामने आये. इस बीच भारतीय मार्का फासीवाद ने भी अपनी कुछ नई विशिष्टायें प्रकट कीं. माले का 11वां महाधिवेशन भारत में फासीवाद के खिलाफ जनता के संघर्ष को तेज करने तथा उसका विस्तार करने और इसमें भारतीय वामपंथ की भूमिका को जो निर्णायक जीत हासिल करने के लिए बेहद जरूरी है, को सामने लाने के लक्ष्य को समर्पित था. प्रस्तुत है इस महाधिवेशन की एक संक्षिप्त रिपोर्ट.
16 फरवरी 2023: पहला दिन
श्रीकृष्ण मेमोरियल हाॅल में सुबह 10 बजे से झंडोत्तोलन व शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ भाकपा(माले) के 11 वें महाधिवेशन के खुले सत्र की शुरूआत हुई. इसमें देश-विदेश के वामपंथी नेताओं का जुटान हुआ. नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री व नेकपा(एमाले) नेता ईश्वर पोखरेल, सीपीआई के राष्ट्रीय नेता का. पल्लव सेनगुप्ता, सीपीएम के का. मो. सलीम, मार्क्सवादी समन्वय समिति के का. हलधर महतो, आरएसपी के का. मनोज भट्टाचार्य, ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लाॅक के का. देवराजन, लाल निशान पार्टी के भीमराव बनसोड, आरएमपीआई के का. मंगत राम पासला और सत्यशोधक कम्युनिस्ट पार्टी के का. किशोर ढामले ने उद्घाटन सत्र को संबोधित किया.
कार्यक्रम की शुरूआत पिछले पार्टी कांग्रेस से लेकर अब तक दिवंगत व शहीद हो चुके पार्टी कामरेडों व अन्य तमाम आंदोलनकारियों के प्रति शोक प्रस्ताव के साथ किया गया. शोक प्रस्ताव का पाठ केंद्रीय कमिटी सदस्य का. अभिजीत मजुमदार ने किया. पार्टी के राज्य सचिव का. कुणाल ने मेहमानों व देश के विभिन्न इलाकों से आए प्रतिनिधियों, पर्यवेक्षकों व सभी अतिथियों का स्वागत किया. महाधिवेशन स्वागत समिति के अध्यक्ष चर्चित इतिहासकार प्रो. ओपी जायसवाल ने कहा कि बिहार की धरती सदियों से असहमति व नई राह बनाने वाले समाज का निर्माता रही है. भाकपा-माले का 11वां महाधिवेशन देश में फासीवादी गिरोहों के खिलाफ मजबूत प्रतिरोध का स्रोत बनेगा. अतिथियों को सम्मानित करने के बाद संबोधन शुरू हुआ.
का. ईश्वर पोखरेल ने भाईचारा और एकता के संदेश के साथ महाधिवेशन के शानदार सफलता की कामना की. उन्होंने भारत व नेपाल के कम्युनिस्टों की एकता की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में नेपाल ने भी बड़ी भूमिका निभाई है. उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत में लोकतंत्र पर मंडराता हुआ संकट जरूर टलेगा और जो भी ताकतें तानाशाही थोपने का प्रयास कर रही हैं, उन्हें पीछे धकेल दिया जायेगा.
पल्लव सेन गुप्ता ने फासीवादी खतरे, पर्यावरण असंतुलन, दलित अधिकारों को खत्म करने साजिश, न्याय तंत्र पर मंडराते खतरे आदि की चर्चा करते हुए एक व्यापक एकता के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ने की बात की.
का. सलीम ने राष्ट्रीय संपदा की लूट, मोदी राज में आधारभूत संरचनाओं को ध्वस्त करने की जारी प्रक्रिया, सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण, बेरोजगारी, बुलडोजर राज, लव जिहाद, किसान आंदोलन आदि की चर्चा करते हुए वामपंथी एकता पर जोर दिया.
वरिष्ठतम भाकपा(माले) नेता का. स्वदेश भट्टाचार्य ने उम्मीद जतायी कि पांच दिनों तक चलने वाला महाधिवेशन फासीवादी ताकतों के खिलाफ व्यापक विपक्ष की एकता के निर्माण की दिशा में एक बड़ा पड़ाव साबित होगा.
मंच का संचालन भाकपा(माले) केंद्रीय कमेटी सदस्य व ऐपवा महासचिव का. मीना तिवारी ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन का. राजाराम सिंह ने. इस मौके पर स्वागत समिति की ओर से प्रो. भारती एस. कुमार, गालिब, प्रो. संतोष कुमार, प्रो. विद्यार्थी विकास सहित कई लोग उपस्थित थे. सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ सत्र की समाप्ति हुई.
17 फरवरी 2022: दूसरा दिन
11वें पार्टी महाधिवेशन के दूसरे दिन फासीवाद विरोधी और राष्ट्रीय परिस्थितियों के मसौदा प्रस्तावों पर गभीरतापूर्वक विचार और बहस-मुहाबसे के बाद प्रतिनिधियों ने दोनों प्रस्तावों को ध्वनिमत से पारित किया. कुल 36 प्रतिनिधियों ने मसौदा प्रस्तावों पर हुई बहस में हिस्सा लिया. भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने सदन की ओर से आए सुझावों के आलोक में बहस का समाहार किया. भारतीय इतिहास के इस मोड़ पर महाधिवेशन ने फासीवाद को आम लोगों और लोकतंत्र के लिए मुख्य खतरे के रूप में चिन्हित किया और कारपोरेट-सांप्रदायिक गठजोड़ के रूप में फासीवाद की अभिव्यति को भारतीय लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक बताया.
इसी सत्र में चर्चित लेखिका अरुंधति राय ने भी अपना वक्तव्य दिया. उन्होंने फासीवाद-विरोधी संघर्षों और भाकपा(माले) के महाधिवेशन के प्रति एकजुटता प्रकट की. उन्होंने कहा कि फासीवाद का विरोध करने के लिए जाति-विरोधी और पूंजीवाद-विरोधी संघर्षों को साथ आना होगा. उन्होंने फासीवाद विरोधी विपक्ष बनाने के लिए विभिन्न राजनीतिक समूहों के एक साथ आने का स्वागत किया.
अपने संबोधन की शुरूआत करते हुए उन्होंने कहा कि आज देश को चार लोग चला रहे हैं – दो खरीदते हैं, दो बेचते हैं और ये चारों गुजराती है. 5 फीसदी लोग देश की 60 फीसदी संपत्ति के मालिक हैं. उन्होंने आगे कहा कि किसानों से जमीन छीनने के लिए बने कृषि कानूनों के आने के पहले ही अडानी का गोदाम बन गया था. पहले मोदी अडानी के प्लेन से दिल्ली आते थे और आज अडानी मोदी के प्लेन से आते-जाते हैं. उन्होंने बीबीसी के दफ्तर पर पड़े छापों की चर्चा करते हुए कहा कि इस पर अमेरिका और इंग्लैंड दोनों चुप हैं. अडानी पर छापे नहीं पड़े लेकिन बीबीसी पर छापा पड़ रहा है क्योंकि गुजरात जनसंहार 2002 के सच को उसने एक बार फिर से उजागर किया है.
अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता सत्र में, वेनेजुएला, नेपाल, यूक्रेन, ऑस्ट्रेलिया, फिलिस्तीन और बांग्लादेश के विभिन्न बिरादराना संगठनों ने भारत में चल रहे लोगों के संघर्षों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की और न्यायपूर्ण और लोकतांत्रिक दुनिया के निर्माण में अपना सहयोग व समर्थन व्यक्त किया.
यूक्रेनी अंतरराष्ट्रीय एकजुटता के सदस्य, सोत्सियाल्नी रुख ने उल्लेख किया कि वे पुतिन के नेतृत्व वाले ‘महान रूसी अंधराष्ट्रवाद’ का विरोध करते हैं, जो यूक्रेन की संप्रभुता बढ़ाने की लेनिनवादी उसूलों के खिलाफ है. यूक्रेन के लोगों के साथ खड़े होने के लिए भाकपा(माले) को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि एक बेहतर दुनिया और शोषण से मुक्त यूक्रेन के लिए पूंजीवाद-विरोधी संघर्ष भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं.
नेपाल के सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट) के झालानाथ खनाल ने कहा कि 1970 के दशक से नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टियों और भाकपा(माले) के बीच संबंधों का एक लंबा इतिहास रहा है. कामरेड विनोद मिश्र ने नेपाल में संघर्षों को प्रेरित और निर्देशित किया और उनमें भाग भी लिया. उन्होंने कहा कि नेपाल बदलाव के दौर से गुजर रहा है, जहां भले ही कम्युनिस्ट पार्टियां एकजुट होकर चुनाव जीतने में सफल रही हैं, लेकिन दक्षिणपंथी तत्व समाज में घुसकर राजशाही को वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि दक्षिणपंथी तत्वों को हराने के लिए नेपाल में वाम सरकार और वामपंथी एकता अत्यंत महत्वपूर्ण है.
यूनिफाइड सोशलिस्ट पार्टी ऑफ वेनेजुएला (पीएसयूवी) के रेमन ऑगस्टो लोबो ने कमांडर ह्यूगो शावेज की भूमि से सभी प्रकार के उत्पीड़न के खात्मे और सबके विकास के लिए लोगों की एकता को बढ़ावा तथा शांति और न्याय की गारंटी देने वाली बहुध्रुवीय दुनिया के निर्माण में अपना दृढ़ विश्वास व्यक्त करते हुए अपनी एकजुटता व्यक्त की.
रिवोल्यूशनरी वर्कर्स पार्टी ऑफ बांग्लादेश के सैफुल हक, सोशलिस्ट पार्टी ऑफ बांग्लादेश के बाजलुर राशिद, सोशलिस्ट अलायंस, ऑस्ट्रेलिया के सैम वेनराइट, साउथ एशिया साॅलिडैरिटी ग्रुप (यूके) की सरबजीत जोहल और बाॅयकाॅट, डिवेस्टमेंट एंड एड की अपूर्व गौतम द्वारा एकजुटता संदेश पढ़े गए.
क्यूबा के राजदूत अलेजांद्रो सीमांकास मारिन, एमएलपीडी जर्मनी, स्वाजीलैंड की कम्युनिस्ट पार्टी, पार्टिडो कम्युनिस्टा इक्वाटोरियानो, पार्टिडो मंगगागावा (लेबर पार्टी फिलीपींस), साइप्रस यूनियन (साइप्रस), लाओ पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी (लाओस) ने पार्टी कांग्रेस को अपने एकजुटता संदेश भेजे थे, जिन्हें पढ़कर सुनाया गया.
अफगानिस्तान की लेफ्ट रैडिकल, ईरान की कम्युनिस्ट पार्टी, अर्जेंटीना की कम्युनिस्ट पार्टी और लैंडलेस पीपुल्स मूवमेंट (नामीबिया) सहित कई संगठनों ने भाकपा(माले) की 11वीं पार्टी कांग्रेस को बधाई दी.
फिलिस्तीन के बीडीएस आंदोलन के सह-संस्थापक उमर बरगौती, श्रीलंका के वकील और कार्यकर्ता स्वस्तिका अरेलिंगम, मलेशिया की सोशलिस्ट पार्टी के महासचिव शिवराजन अरुमुगन, कैटेलोनिया की कम्युनिस्ट पार्टी के अंतरराष्ट्रीय सचिव अरनू पिक तथा पाकिस्तान की अवामी वर्कर्स पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अख्तर हुसैन ने भाकपा(माले) के 11 वें महाधिवेशन के लिए वीडियो संदेश भेजा था.
18 फरवरी 2023: तीसरा दिन :
भाकपा(माले) के 11वें महाधिवेशन के अवसर पर आज पटना के श्री कृष्ण मेमोरियल हाॅल में ‘संविधान बचाओ-लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ’ राष्ट्रीय कन्वेंशन का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री श्री तेजस्वी प्रसाद यादव, पूर्व विदेश मंत्री व कांग्रेस नेता श्री सलमान खुर्शीद, संसद सदस्य और विदुथलाई चिरुथिगल काची (लिबरेशन पैंथर्स पार्टी, तमिलनाडु) के नेता थोल थिरुमावलवन सहित कई नेताओं ने हिस्सा लिया. भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने सभी अतिथियों का स्वागत किया.
कन्वेंशन के मंच पर माले राज्य सचिव कुणाल, ऐपवा की राष्ट्रीय अध्यक्ष रति राव, असम की चर्चित महिला नेत्री प्रतिमा इंगपी, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, कांग्रेस विधायक शकील अहमद, भाकपा(माले) विधायक दल के नेता महबूब आलम, सत्यदेव राम, विनोद सिंह, धीरेन्द्र झा, संदीप सौरभ आदि उपस्थित थे.
भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने राष्ट्रीय कन्वेंशन में आए सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए समाधान यात्रा की भागदौड़ के बीच समय निकालकर आने के लिए नीतीश कुमार का आभार जताया. कहा कि आज जब संविधान और लोकतंत्र की बुनियाद खतरे में है, हम सबको देश को बचाने के लिए एक बहुत निर्णायक लड़ाई लड़नी होगी और इसके लिए व्यापक एकजुटता कायम करनी होगी.
उन्होंने कहा कि पहले दौर का आपातकाल आज के आपातकाल के सामने कुछ भी नहीं था. आज का आपातकाल स्थाई आपातकाल है. आजादी के समय ही आरएसएस ने कहा था कि भारत का संविधान मनुस्मृति है. आज संविधान को सामने रखकर पूरे देश को तहस-नहस किया जा रहा है. हमारे सारे अधिकारों को हड़पा जा रहा है. नागरिकों की परिभाषा को बदलकर प्रजा में तब्दील किया जा रहा है.
उन्होंने आगे कहा कि हम सभी लोग अपने-अपने तरीके से कोशिश कर रहे है. उन्होंने नागरिकता आंदोलन का जिक्र किया और राजनीतिक बंदियों की रिहाई की मांग उठाई. उन्होंने कहा कि हम सबको मिलकर इस मुश्किल दौर का मुकाबला करना होगा. यह कन्वेंशन 2024 के लिए देश को एक बड़ा संदेश देगा.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाकपा(माले) के 11 वें महाधिवेशन में आमंत्रित किए जाने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया. उन्होंने दिवंगत जाॅर्ज फर्नांडिस के जमाने से भाकपा(माले) से अपने पुराने संबंधों की की भी चर्चा की और बताया कि साल भर पहले से ही उनकी पार्टी में भाजपा से अलग होने की बात चल रही थी और अंततः वे उनसे अलग हो गए. उन्होंने कहा कि वे अब अधिक से अधिक पार्टियों को एकजुट करके लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे ताकि देश को भाजपा से मुक्ति मिले.
उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई में भाजपा की कोई भूमिका नहीं थी, लेकिन आज वह आजादी की लड़ाई को भुनाने और नया इतिहास बनाने की कोशिश कर रही है. आजादी के बाद देश दो भागों में बंट गया लेकिन देश में विभिन्न धर्मों को मानने वालों में लंबे समय से एकता रही है. हम सबको इस एकता को और मजबूत करना है.
उन्होंने आगे कहा कि देश में व्यापक विपक्षी एकता का निर्माण हो, यह समय की मांग है. यदि हम सभी मिलकर चले तो भाजपा 100 के नीचे आ जाएगी.
उन्होंने देश में अधिक से अधिक पार्टियां एकजुट करने, देश को एकजुट करने और देश को अलग करने वाली ताकतों को खत्म करने का मंसूबा जाहिर करते हुए कहा कि हम पहले भी साथ चले थे और एक बार फिर साथ चल रहे हैं. महाधिवेशन के लिए पटना के चुनाव पर भाकपा(माले) को धन्यवाद देते हुए उन्होंने अपना वक्तव्य समाप्त किया.
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने अपने वक्तव्य की शुरूआत सम्मेलन में आए प्रतिनिधियों को लाल सलाम पेश करके की. कहा कि मोदी पर नहीं मुद्दे पर बातचीत होनी चाहिए. बीजेपी माइंड सेट की मीडिया मुद्दा भटकाने का प्रयास करते रहती है. भाजपा-आरएसएस नफरत फैलाने व देश को बांटने का ही काम करते हैं. जो भाजपा के साथ है, वह हरिश्चंद्र हो जाता है.
उन्होंने कार्यक्रम आयोजित करने के लिए भाकपा(माले) को धन्यवाद देते हुए कहा कि देश को बचाने की पहल के लिए श्री नीतीश कुमार बधाई के पात्र हैं. हम सभी को एकजुट होकर लड़ना है. अपने-अपने तरीके की लड़ाई को छोड़कर एक रोड मैप तैयार करके एकजुट होने का काम करना होगा. उन्होंने कहा कि बिहार की धरती ने भाजपा के साथ उसी तरह का खेल खेला जो वह दूसरे राज्यों में दूसरे दलों के साथ खेलती है. हमने उसे सत्ता से बाहर किया लेकिन हमारा रास्ता भाजपा वाला नहीं था. हमारे पास अंबानी-अडानी नहीं है कि विधायकों की खरीद-फरोख्त करेंगे. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि इस सम्मेलन से नई राहें निकलेंगी. उन्होंने राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लालू प्रसाद यादव की ओर से भी महाधिवेशन को शुभकामनाएं दीं.
‘लाली जो देखन मैं गई, मैं भी हो गई लाल’ पूर्व विदेश मंत्री व कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने इन पंक्तियों के साथ भाकपा(माले) की लाल लहर की शिनाख्त करते हुए अपने वक्तव्य की शुरूआत की. उन्होंने कहा कि बदलते वक्त और समाज की मांग के साथ भाकपा(माले) द्वारा संविधान व लोकतंत्र बचाने के लिए इस मुहिम की शुरूआत स्वागत योग्य है. कहा कि श्री नीतीश कुमार के बिहार माॅडल की चर्चा हर जगह होनी चाहिए. हम भी वही चाहते हैं जो आप चाहते हैं, मामला बस इतना है कि शुरूआत कौन करता है.
उन्होंने कहा कि फासिस्ट शक्तियों में दिलेरी नहीं है. बिहार के शेर जरा-सा दहाड़ेंगे तो ये अपनी बिलों में घुस जायेंगे. उन्होंने आश्वासन दिया कि वे एकता के संदेश को आगे बढ़ाएंगे. कांग्रेस भी विपक्षी एकता बनाने के लिए भी तैयार है.
झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन झारखंड में आज राज्यपाल के शपथ ग्रहण समारोह के कारण कन्वेंशन में नहीं आ सके लेकिन उन्होंने अपना संदेश कन्वेंशन में भेजा, जिसे विधायक विनोद सिंह ने पढ़ा.
कन्वेंशन में नहीं शामिल हो पाने पर खेद जताते हुए उन्होंने कहा कि केंद्रीय सरकार लगातार संघीय ढांचे पर प्रहार कर रही है. आरएसएस के लोग हिटलर की सारी योजनाओं को भारत में लागू करना चाहते हैं. देश का सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़कर लोकतंत्र को कमजोर किया जा रहा है. उन्होंने अडानी से मोदी सरकार की सांठगांठ की भी चर्चा करते हुए कहा कि 2024 में फासीवादी ताकतों को सत्ता में वापस लौटने नहीं दिया जाएगा.
विदुथलाई चिरुथिगल काची, तमिलनाडु से संसद सदस्य थिरुमावलवन ने कन्वेंशन को संबोधित करते हुए कहा कि हमें बिना समझौता किए कट्टरता का विरोध करते रहना होगा. फासीवाद भारतीय लोकतंत्र पर सुनामी की तरह प्रहार कर रहा है.
राष्ट्रीय कन्वेंशन की शुरूआत सांस्कृतिक टीम द्वारा मशहूर शायर फैज अहमद फैज की मशहूर नज्म ‘हम देखेंगे’ के गायन से हुई. ठीक उसी समय पहुंचे कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद नज्म के सम्मान में गलियारे में ही खड़े रहे. गीत की समाप्ति के उपरांत ही वे मंच पर चढ़े. कन्वेंशन के दौरान महागठबंधन जिंदाबाद, फासीवाद हो बर्बाद आदि नारे लगातार गुंजते रहे. सभी अतिथियों को महाधिवेशन का प्रतीक चिन्ह, स्मारिका और चादर देकर सम्मानित किया गया.
कन्वेंशन में बिहार में किसान आंदोलन के महान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती को उनके जन्म दिन पर याद किया गया. इसका संचालन भाकपा(माले) के पोलित ब्यूरो सदस्य का. राजाराम सिंह ने की.
19 फरवरी 2023: चौथा दिन
भाकपा-माले के 11 वें महाधिवेशन के चौथे दिन प्रतिनिधि सत्र में मजदूर वर्ग व अन्य कामकाजी तबकों, किसान, छात्र-युवा, महिला व अन्य मोर्चों पर पार्टी कामकाज के बारे में प्रस्तावित दस्तावेज पर गहरा विचार-विमर्श करने के बाद उसे स्वीकार किया गया.
देश के कई चर्चित पत्रकारों व समाजशास्त्रियों ने भी महाधिवेशन को संबोधित किया. इनमें हिन्दी के वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अनिल चमडिया व भाषा सिंह, समाजशास्त्री आदित्य निगम और एएनसिन्हा समाज अध्ययन संस्थान, पटना के प्रो. डाॅ. विद्यार्थी विकास आदि प्रमुख हैं.
वरिष्ठ हिंदी पत्रकार उर्मिलेश ने कहा कि भारत के वामपंथी आंदोलन में शामिल लोगों की समझदारी व कुर्बानी का कोई मुकाबला नहीं है। आजादी की लड़ाई के इतिहास के पन्ने भी इसकी गवाही देते हैं.
उन्होंने कहा कि भारत में उत्पीड़ित समाजों की समस्याएं सबसे अलग हैं। भाकपा(माले) ने न केवल इतिहास की व्याख्या में इस नजरिए को शामिल किया है बल्कि शुरुआत से ही इसके प्रति काफी संवेदनशील रही है.
उन्होंने कहा कि ऐसे वक्त में जब भाजपा व संघ परिवार सामाजिक न्याय की पूरी अवधारणा को ही खत्म करने पर तुली हुई है, और सामाजिक न्याय की परंपरागत पार्टियों के भीतर भी उसका स्पेस कम होता जा रहा है, भाकपा(माले) को अपनी यह भूमिका हर स्तर पर बढ़ानी होगी.
11वीं पार्टी कांग्रेस ने अंतर्राष्ट्रीय स्थिति पर मसौदा प्रस्ताव पास किया जिसमें भाकपा(माले) ने स्पष्ट रूप से यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की निंदा की, युद्ध समाप्त करने का आह्वान किया और नाटो को अमेरिकी साम्राज्यवाद का एक वाहक मानते हुए इसके विघटन की मांग की. कहा कि चीन अब चीनी विशेषताओं वाला एक पूंजीवादी राज्य है जिसने समाजवाद को बुनियादी कल्याणवाद तक सीमित कर दिया है. इसके बाद भाकपा(माले) महाधिवेशन में पहली बार लाये गये जलवायु परिवर्तन पर प्रस्ताव को भी ध्वनिमत से पारित किया गया.
20 फरवरी 2023: अंतिम दिन
पहले सत्र में पार्टी संगठन पर प्रस्तुत दस्तावेज पर व्यापक चर्चा के बाद उसे पारित करने और महाधिवेशन में शामिल प्रतिनिधियों का ‘क्रिडेंसियल रिपोर्ट’ पेश करने के बाद भाकपा(माले) की 76-सदस्यीय केंद्रीय कमेटी और 5-सदस्यीय कंट्रोल कमीशन का चुनाव संपन्न हुआ.
केन्द्रीय कमेटी में 5 नई महिला सदस्यों – का. फरहत बानू , राजस्थान; का. मंजू प्रकाश, बिहार, का. इंद्राणी दत्त, पश्चिम बंगाल, का. श्वेता राज दिल्ली और का. मैत्रोयी कृष्णन, कर्नाटक के शामिल किए जाने के साथ ही महिलाओं का औसत बढ़कर करीब 16 प्रतिशत हो गया है. केन्द्रीय कंट्रोल कमीशन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष का. राजा बहुगुणा भी केंद्रीय कमेटी में एसोसिएट सदस्य के बतौर शामिल हैं. नई केंद्रीय कमेटी में 13 नए सदस्य शामिल हैं.
महाधिवेशन में कुल 27 राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों से के कुल 265 जिलों से करीब 1700 निर्वाचित व मनोनीत प्रतिनिधि शामिल हुए थे. महाधिवेशन के प्रतिनिधित्व में महिलाओं की हिस्सेदारी भी बढ़कर 15% हो गई थी. प्रतिनिधियों में बड़ी संख्या (करीब 62%) पूर्णकालिक पार्टी कार्यकर्ताओं की रही.
समापन सत्र को संबोधित करते हुए पुनः निवार्चित महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि महाधिवेशन ने गुजरात माॅडल के मुकाबले बिहार माॅडल को – जहां एक ओर मजदूर-किसानों व अन्य मेहनतकश समूहों की संघर्षशील एकता के साथ खड़ा किए जाने वाले जमीनी व प्रभावी जनांदोलनों के आधार पर संघ-भाजपा व अडानी-अंबानी के कारपोरेट-सांप्रदायिक-फासीवादी नीतियों का प्रतिरोध करना, तो वहीं दूसरी ओर भाजपा के खिलाफ तमाम विपक्षी दलों व संगठनों की व्यापक विपक्षी एकता के आधार पर उसे चुनावों में शिकस्त देना शामिल है – मजबूती से पेश किया और इसे पूरे देश में फैला देने की जरूरत है.
अथक परिश्रम कर महाधिवेशन को सफल करनेवाले स्वयंसेवकों को सम्मानित करने के बाद सभागार को गुंजाते जोशीले नारों के साथ महाधिवेशन संपन्न हुआ.
11वें महाधिवेशन में देश के विभिन्न राज्यों और विभिन्न भाषाओं में सृजित प्रतिरोधी नृत्य-संगीत की झलक देखने को मिली. महाधिवेशन में प. बंगाल, असम व कार्बी, झारखंड, बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, उत्तराखंड, पंजाब, राजस्थान आदि राज्यों से आये प्रतिनिधियों, जनगायकों और कलाकारों ने गायन और नृत्य कीएकल व सामूहिक प्रस्तुतियां दीं.
पश्चिम बंग गण शिल्पी परिषद के कलाकारों ने नीतीश व बाबुनि दा की अगुआई में नक्सलबाड़ी विद्रोह के दौरान चर्चित गीत ‘मुक्त होगी प्रिय मातृभूमि’ पर आधारित सामूहिक नृत्य की प्रस्तुति की. झारखंड की प्रीति भास्कर ने महिला आजादी की आकांक्षा और संघर्ष को अपने नृत्य के जरिए मूर्त किया. झारखंड संस्कृति मंच के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत सामूहिक नृत्य में ‘जल, जंगल, जमीन’ के लिए चल रहे संघर्ष को तेज करने का आह्वान था. असम के प्रतिनिधियों ने चाय बगान में उचित मजदूरी के लिए हो रहे संघर्ष से संबंधित गीत सुनाये.
बिहार जसम के गायकों – कृष्ण कुमार निर्मोही राजन कुमार, अनिल अंशुमन, पुनीत कुमार, निर्मल नयन, राजू रंजन, कामता प्रसाद आदि ने कई गीतों की प्रस्तुति दी. हिरावल, पटना के संतोष झा के नेतृत्व में क्रांतिकारी वामपंथी धारा के प्रमुख कवि गोरख पांडेय को समर्पित कवि दिनेश शुक्ल की रचना ‘जाग मेरे मन मछंदर’, फैज़ अहमद फैज़ की मशहूर नज्म ‘हम देखेंगे’ और क्रांतिकारी कवि-गीतकार महेश्वर के गीत ‘सृष्टि बीज का नाश न हो’ की शानदार प्रस्तुतियां हुईं. कोरस, पटना के कलाकारों ने भी क्रांतिकारी गीत गाये. आंध्र प्रदेश, असम व कार्बी, पंजाब, तमिलनाडु और केरल के प्रतिनिधियों ने भी कई जोशीले गीत-नृत्यों की प्रस्तुति दी. उत्तराखंड के मदनमोहन चमोली व इंद्रेश मैखुरी ने ‘चिपको आंदोलन’ के दौर का एक गीत ‘लड़ना है भाई, अभी लंबी लड़ाई है’ के समूह गान के जरिए आंदोलन को जीवंत कर दिया.