पटना के फुटपाथ दुकानदारों पर बुलडोजर कहर बरपा रहा है. न्यू मार्केट, विधायक आवास के पास लगने वाली दुकानों, नाला रोड, लोदीपुर, बेउर, दीघा, जगदेव पथ, राजा बाजार – हर जगह एक ही नजारा देखने को मिल रहा है. पुलिस की गाड़ी आती है, कहीं सब्जी उठा ले जाती है तो कहीं फलों का टोकरी. ठेलों व चाय के स्टाॅलों को उठा-पटक कर देती है. विगत 14 नवंबर से अतिक्रमण के नाम पर पुलिस द्वारा उजाड़ने की यह प्रक्रिया जारी है. लोग डरे-सहमे हैं, क्योंकि उनके पास रोजगार का कोई अन्य साधन नहीं. अकबर जी विगत 35 सालो से विधायक आवास के पास कपड़े की एक छोटी-सी दुकान के सहारे अपना जीवन यापन कर रहे हैं. इसी के भरोसे उनका परिवार चलता है. न गांव में कोई जमीन है न शहर में. किराए पर पटना में रहते हैं. कहते हैं – समझ में नहीं आता सरकार हमसे कौन सा बैर निकाल रही है. अब तो सरकार में भाजपा नहीं है, फिर ऐसा क्यों हो रहा है? उम्मीद थी कि नई सरकार हम गरीबों-दुकानदारों के लिए कुछ नया करेगी, अपने वादों को निभाएगी, हमारे लिए वैकल्पिक व्यवस्था करेगी; लेकिन सबकुछ उलटा हो रहा है. वे आगे कहते हैं – कई बार फाइन भर चुके हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. इस बार भाकपा(माले) के विधायक हमारे बीच पहुंचे हैं. उम्मीद करते हैं कि सरकार हमारी बातों को सुनेगी और हमारे रोजगार की हिफाजत करेगी.
पुलिस की हल्ला गाड़ी न केवल दुकानों को तोड़ती है बल्कि उलटे जुर्माना भी वसूल करती है. सामानों को जब्त कर लेती है. यह पूरे पटना शहर की हालत है. फिलहाल राजधानी पटना में लाखों की संख्या में फुटपाथी दुकानदार हैं. कोरोना काल के बाद रोजगार के घटते अवसरों के कारण इनकी संख्या में लगातार वृद्धि ही हुई है. कई परिवार भुखमरी के कगार पर है. कर्ज लेकर किसी प्रकार अपना गुजर-बसर कर रहे हैं. सरकार को इस तबके के प्रति संजीदा रूख अपनाना चाहिए था, लेकिन न जाने क्यों वह इनके रोजगार को मिटाने पर ही तुल गई है. स्ट्रीट वेंडर्स के रोजगार की सुरक्षा के लिए देशस्तर पर कानून बने हुए हैं. बिहार में भी उनकी बेदखली रोकने के लिए बिहार स्ट्रीट वेंडर्स 2017 का कानून है. इन कानूनों के तहत फुटपाथ दुकानदारों के लिए विशेष वेंडिंग जोन बनाए जाने पर बल दिया गया है, लेकिन इस दिशा में बिहार में शायद ही कोई काम हुआ हो. विगत कई सालों से नगर विकास विभाग भाजपा के कब्जे में रहा है. भाजपा तो बुलडोजर पार्टी ही है. स्मार्ट सिटी परियोजना के नाम पर उसके मंत्रियों के ही दौर में एक तरफ फुटपाथी दुकानदारों को जगह-जगह से उजाड़ दिया गया और दूसरी ओर, कानून की धज्जियां उड़ाते हुए बड़े-बड़े माॅल खड़े कर दिए गए. लेकिन अब जब महागठबंधन की सरकार है और वह भी पुराना राग ही आलाप रही है, यह उनके लिए बेहद तकलीफदेह है.
14 नवंबर से जारी इस उजाड़ो अभियान के खिलाफ फुटपाथी दुकानदारों ने बैठक की और 5 दिसंबर को प्रदर्शन करने का निर्णय लिया. इसमें भाकपा(माले) के कई विधायक शामिल हुए. बुलडोजर पर तत्काल रोक लगाने की मांग के साथ-साथ उन्होंने अपनी 8-सूत्री मांगों पर जीपीओ गोलबंर से बुद्ध स्मृति पार्क तक मार्च निकाला और फिर एक बड़ी सभा आयोजित की. सभा के माध्यम से सरकार को चेतावनी दी गई कि वह फुटपाथी दुकानदारों के रोजगार पर हमला बंद करे. भाकपा(माले) विधायकों ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए पटना डीएम व कमिश्नर से फोन पर बातचीत की. आश्चर्यजनक यह कि प्रशासन का हर अधिकारी पल्ला झाड़ने में लगा रहता है. यह बुलडोजर की कार्रवाई किसके कहने पर हो रही है, न डीएम स्पष्ट जवाब देते हैं न ही कमिश्नर. लेकिन इससे कौन इंकार कर सकता है कि सब कुछ सरकार की नीतियों के अनुरूप ही हो रहा है.
5 दिसंबर के बड़े प्रदर्शन के बाद भी प्रशासन की कार्रवाई रूकी नहीं. 6 दिसंबर को एक बार फिर हल्ला गाड़ी ने दुकानदारों को धमकाया. न्यू मार्केट के पास फलों का कारोबार करने वाले मो. शमशेर के पूरे ठेले को उलट दिया गया. सब्जी का ठेला भी पलट दिया गया. सरकार की नाक के ठीक नीचे यह सब चलता रहे और उन्हें पता न हो ऐसा हो नहीं सकता.
मामले को सदन के अंदर उठायेंगे माले विधायक
प्रदर्शन में भाकपा-माले विधायक दल के नेता और बलरामपुर विधायक महबूब आलम, उपनेता और दरौली विधायक सत्यदेव राम, फुलवारी शरीफ विधायक गोपाल रविदास के अलावा पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेंद्र झा, पटना महानगर के सचिव अभ्युदय, राज्य कमिटी सदस्य जितेंद्र कुमार, किसान महासभा नेता राजेंद्र पटेल, शहजादे जी, अकबर जी, मो. सुलतान आदि भी शामिल थे.
विरोध सभा में महबूब आलम ने कहा कि भाजपा को सत्ता से दूर रखने के सवाल पर हम महागठबंधन के साथ हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सरकार गरीबों पर पिछली सरकार की तरह जोर जुल्म ढाती रहे. फुटपाथी दुकानदारों की सुरक्षा के सवाल को हम आगामी विधानसभा के सत्र में मुद्दा बनायेंगे. सरकार को अपनी कार्रवाई रोकनी होगी और फुटपाथी दुकानदारों के लिए विशेष वेंडिंग जोन बनाना होगा. सत्यदेव राम ने कहा कि पटना को स्मार्ट सिटी बनाने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इसके नाम पर दलित-गरीबों, फुटपाथी दुकानदारों पर कोई हमला होता है, तो उसके विरोध में हम सबसे अगली कतार में खड़े रहेंगे. सरकार को नया सर्वे कराकर सभी फुटपाथी दुकानदारों के लिए पहले वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी.
फुटपाथी दुकानदारों की मांगें हैं: