मार्क्सवादी शिक्षक और भाकपा(माले) नेता कामरेड युगल किशोर शर्मा का विगत 20 नवंबर, 2022 को अपराह्न गया जिले के खिजरसराय स्थित उनके आवास पर निधन हो गया. विगत साल दिसंबर महीने में लकवा का अटैक झेलने के बाद उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा था लेकिन 18 नवंबर को एक बार फिर यह अटैक आया और इस बार बचा पाना संभव नहीं हो सका.
उनका जन्म 7 जुलाई 1948 को गया जिले के रौनिया गांव में हुआ था. स्कूली जमाने में वे एक अत्यंत मेधावी छात्र थे. हायर सेकेंडरी पास करने के बाद उन्होंने बिहार इंजीनियरिंग काॅलेज, पटना में दाखिला लिया लेकिन पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और गया काॅलेज, गया से अर्थशास्त्र में नामांकन करवाया और 1971 में वहीं से स्नातक की डिग्री हासिल की. वे 1967 के छात्र आंदोलन में शामिल रहे और एआईएसएफ के गया जिला सचिव बनाये गये.
भाकपा की राष्ट्रीय परिषद ने 1971 में ही उन्हें मार्क्सवाद की उच्च शिक्षा लेने हेतु सोवियत यूनियन भेजा जहां लर्गभग 1 साल तक रहने के बाद वे मार्क्सवादी राजनीतिक अर्थशास्त्र के एक मेधावी शिक्षक के बतौर देश लौटे और के बाद भाकपा में काम करने लगे. एक मार्क्सवादी शिक्षक के बतौर उन्होंने काफी अच्छा काम किया. इमरजेंसी के दौरान भाकपा की कांग्रेस समर्थक नीतियों की वजह से उनका मोहभंग हुआ और वे माकपा में चले गए. वहां 1980 से लेकर 1990 तक उन्होंने विभिन्न मोर्चों पर काम किया. 1990 के बाद माकपा से भी उनका मोहभंग हुआ. वे गणित के एक शिक्षक के बतौर बच्चों को पढ़ाने लगे और काफी लोकप्रिय रहे. अंत-अंत तक बच्चों को गणित पढ़ाते रहे.
1990 के बाद सीपीएम से अलग होने के बाद भी वे गतिविधियों में लगातार शामिल रहते थे. 2004 में उन्होंने अपने अथक प्रयास से खिजरसराय में भगत सिंह की मूर्ति की स्थापना करवाईउसी समय वे भाकपा(माले) के भी संपर्क में आए और फिर सदस्यता भी ली. तब से वे पार्टी की गतिविधियों में लगातार शामिल रहेवे पार्टी के कोलकाता और मानसा महाधिवेशन के प्रतिनिधि रहे. वे पार्टी की राज्य शिक्षा विभाग के भी सदस्य रहे.
का. युगल किशोर शर्मा ने जीवन भर कम्युनिस्ट उसूलों का पालन किया और हमेशा गलत चीजों के खिलाफ तनकर खड़े रहे. गरीबों के पक्ष में खड़ा होने के कारण उन्हें कई बार बेघर-बार होना पड़ा, लेकिन उनकी ऊर्जा और उत्साह में कोई कमी नहीं आई. उनका निधन कम्युनिस्ट आंदोलन और भाकपा(माले) के लिए एक बड़ा नुकसान है.