भाकपा(माले) राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि पूरे राज्य में दलितों-गरीबों को उजाड़ने पर रोक लगाने के लिए पार्टी ने मुख्यमंत्री से अध्यादेश लाने की मांग की थी. हमने यह भी कहा था कि सरकार इस मामले में कोर्ट में हलफनामा दायर करे, लेकिन सरकार उसी दिन विधानसभा में बिहार नगरपालिका (संशोधन) विधेयक लेकर आ गई, जो अब कानून भी बन चुका है.
इस कानून के जरिए नगर प्रशासन को शहरी गरीबों को उजाड़ देने का पूरी तरह से लाइसेंस दे दिया गया है. इस कानून के तहत अब नगरपालिका पदाधिकारी या प्राधिकृत पदाधिकारी को 15 दिनों के नोटिस पर अतिक्रमण हटाने और साथ ही जुर्माना भी वसूलने तथा अस्थायी किस्म के अतिक्रमण या अवरोध को तो महज 24 घंटे के अंदर हटा देने का अधिकार दे दिया गया है. इसका मतलब है कि अतिक्रमण की आड़ में शहरी गरीबों पर बुलडोजर की मार और बढ़ा दी गई है. यह घोर जन विरोधी कदम है. इस कानून को वापस लिया जाना चाहिये.
उन्होंने यह भी कहा कि नए बने नगर पारिषद अथवा पंचायतों में बड़ी संख्या में गांवों को जोड़ दिया गया है. इसका मतलब है कि ऐसे गांवों के गरीबों के हाउसिंग अधिकारों को खत्म कर दिया गया है. सरकार को ऐसे विषयों पर गम्भीरता से विचार करना होगा