भाकपा(माले) की पांच सदस्यीय टीम ने अंबेडकर नगर के बेवाना गांव का विगत 2 दिसंबर 2022 को दौरा किया और पुलिस की पिटाई से मृत दलित युवक के परिजनों से भेंट की. युवक की मौत 30 नवंबर को हुई थी. जांच टीम ने मृतक की बहन, माता-पिता व गांव वालों से मिलकर घटना के बारे में विस्तृत जानकारी ली और न्याय के लिए संघर्ष करने का भरोसा दिलाया.
भाकपा(माले) ने इस घटना के खिलाफ विगत 7 दिसंबर को अम्बेडकर नगर जिला मुख्यालय पर धरना भी दिया.
जांचदल को मृतक युवक प्रवेश (20 वर्ष) की बहन ने बताया कि 30 नवंबर को रात्रि नौ बजे के आसपास गांव के ही दो पक्षों में आपसी रंजिश के चलते विवाद हो रहा था. उसी दौरान थाना बेवाना पुलिस गांव पहुंची. विवाद स्थल के कुछ दूरी पर गली में खड़े प्रवेश को पुलिस पकड़कर पीटने लगी. प्रवेश अपनी बहन के घर आया था. पुलिस ने बूटों से युवक के सीने तथा जननांगों पर प्रहार किया. युवक के चिल्लाने पर उसकी बहन कलावती, जीजा के बड़े भाई राजकुमार व अन्य लोग वहां पहुंचे. पुलिस ने युवक की बहन को भी धक्का मारा जिससे वह गिर पड़ी. पुलिस की पिटाई से युवक बेहोश हो गया. वहां पर मौजूद लोगों ने युवक को जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां डाॅक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
घटना को लेकर स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश व्याप्त हो गया और सैकड़ों लोग इकट्ठा होकर विरोध करने लगे. जनाक्रोश को शांत करने पहुंचे प्रशासन के अधिकारियों को उचित कार्यवाही का आश्वासन देना पड़ा.
जांचदल ने मृतक के गांव सोनगांव मजरा जमालपुर जाकर पीड़ित परिवार व ग्रामीणें से भी मुलाकात की. घटना स्थल और मृतक के गांव दोनों जगहों पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है, जिससे लोगों में भय व आशंका व्याप्त है.
रिपोर्ट लिखे जाने तक घटना में शामिल दो पुलिस कर्मियों पर धारा 302 व एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा पंजीकृत हुआ है, लेकिन अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है. मृतक के परिजनों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि उसमें भी पिटाई से मौत की पुष्टि हुई है.
जांच दल ने दोषी पुलिस कर्मियों की अविलंब गिरफ्तारी व कड़ी सजा, मृतक के परिवार को पर्याप्त आर्थिक सहायता तथा एक सदस्य को नौकरी दिए जाने की मांग की.
जांच टीम का नेतृत्व भाकपा(माले) की राज्य कमेटी सदस्य रामभरोस ने किया. जांच टीम में जिला प्रभारी हीरालाल, मेंहदी हसन, मिनता देवी और मीना शामिल थीं.
भाकपा(माले) राज्य सचिव का. सुधाकर यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी के शासन में प्रदेश में पुलिस राज चल रहा है. जिस तरह पुलिस को अधिकार सौंपे जा रहे हैं, उससे वह बेलगाम होती जा रही है और इसका खामियाजा निर्दाेष नागरिकों विशेष रुप से दलितों व कमजोर वर्गों को भुगतना पड़ रहा है. यह नागरिक अधिकारों और लोकतंत्र के लिए अस्वीकार्य है.