12 दिसंबर 2022 को दिल्ली में आइसा व अन्य छात्र संगठनों से जुड़े छात्रों ने मौलाना आजाद फेलोशिप बंद करने के विरोध में प्रदर्शन किया. दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारी छात्रों पर दमनात्मक कार्रवाई करते हुए उनके विरोध प्रदर्शन को रोक दियास और उन्हें पकड़कर थाने ले गयी.
आइसा नेताओं ने कहा कि भाजपा ने उनके शिक्षा अधिकार पर हमला अल्पसंख्यक समुदाय पर यह नया प्रहार किया है. हम इस फेलोशिप को फिर से बहाल करने की मांग करते हैं और शिक्षा व अल्पसंख्यक समुदाय पर इस हमले के खिलाफ संघर्ष का आह्वान करते हैं.
स्मृति इरानी ने संसद में यह घोषणा की थी कि भाजपा सरकार ने मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप को बंद कर दिया है. मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों को उच्च शिक्षा हासिल करने में वित्तीय सुरक्षा व सहायता प्रदान करने के लिए था. 2006 में आयी सच्चर कमेटी की अनुशंसाओं के मुताबिक सरकार को तीन मुख्य मुस्लिम समूहों को कई तरह की सुविधायें प्रदान करने की सलाह दी गई थी. मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप को 2009 में मुस्लिम समुदाय के छात्रों को शिक्षा में पहुंच बढ़ाने के लिए शुरू किया गया था. स्मृति इरानी ने अपने वक्तव्य में कहा था कि पिछले कुछ वर्षों से इसे हासिल करने के इच्छुक छात्रों की संख्या घटती जा रही है.
आइसा ने स्मृति इरानी से यह पूछा है कि जब जून महीने में इस फेलोशिप को हासिल करने वाले कुछ छात्रों ने जब इसके मिलने में हो रही देरी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था तेा सरकार क्यों चुप्पी साधे रही. इसकी जटिलताओं और इसको लागू करने में विफलता पर बात करने के बजाय इसको खत्म करने का ही निर्णय क्यों लिया गया?
मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप बंद किए जाने के विरोध में देशव्यापी प्रतिरोध दिवस के आवाहन पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भी आइसा ने नरेंद्र मोदी व अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी का पुतला फूंक कर विरोध दर्ज किया. लखनऊ विश्वविद्यालय में भी आइसा के नेतृत्व में छात्रों ने इस सवाल पर विरोध प्रदर्शन किया.