वर्ष - 31
अंक - 50
03-12-2022

केंद्र सरकार द्वारा कक्षा 1 से 8 तक के लिए प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति खत्म करने के खिलाफ आइसा ने झारखंड राज्यव्यापी विरोध आयोजित किया.

केंद्र सरकार 1से 8 वीं कक्षा तक के एसटी, एससी, ओबीसी, मइनोरिटी  छात्रों को मिलने वाली छात्रवृति को खत्म करने का फरमान सुनाई है. छात्रवृत्ति के पैसे से बच्चे कांपी, कलम व किताब की सुविधा हासिल कर रहे थे व होम ट्यूशन कर बुनियादी शिक्षा ले पा रहे थे.

आइसा ने केंद्र सरकार से पूछा है कि आरटीई का हवाला देकर सरकार स्कॉलरशिप छीन तो रही है लेकिन आरटीई के अनुसार इस देश में स्कूल भी तो नहीं चल रहे हैं. आरटीई के अनुसार 30 बच्चो पर एक शिक्षक होना चाहिए. लेकिन झारखंड में 77% शिक्षकों के पद खाली हैं. 62000 स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक है.

केंद्र सरकार और एजेंसियों का छात्रवृति खत्म करने के पीछे तर्क है कि आरटीई केअनुसार सभी छात्रों को फ्री और अनिवार्य शिक्षा मिलती है तो छात्रवृति देने की क्या जरूरत है? यह प्राथमिक शिक्षा पर सरकार का हमला है. राज्य में पहले से ही  ड्राॅप आउट रेट चरम पर है और इस तरह का फैसला आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को शिक्षा से वंचित करेगा. आइसा ने कहा है कि सरकार प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को इस तरीके से कमजोर और खत्म करके सस्ते मजदूर पैदा करना चाहती  हैं.

प्राथमिक और माध्यमिक बुनियादी शिक्षा की नीव होती हैं. लेकिन शिक्षा व्यवस्था को बरबाद किया जा रहा है. झारखंड में शिक्षा की बुनियाद और भी जर्जर हैं. शिक्षकों के लाखों पद खाली हैं, स्कूल भवन में कमरों को कमी है और समय पर किताब और साइकिल नही मिलना इसके प्रमुख कारण हैं. छात्रों को सिर्फ खिचड़ी के बहाने स्कूल बुलाया जाता रहा है. सरकार स्कूल चलाने के नाम पर महज खाना पूर्ति कर रही है. शिक्षा की यह व्यवस्था क्या छात्रों के बेहतर भविष्य को सुनिश्चित कर सकतीहै? इसका उत्तर होगा, बिलकुल नहीं!

आइसा ने केंद्र सरकार का छात्रवृति खत्म करने के फरमान को तुगलकी करार देंते हुए इसे वापस लेने की मांग की है और सस्ती गुणवतपूर्ण शिक्षा के लिए संघर्ष जारी रखने का ऐलान किया है. आइसा के राज्यव्यापी आह्वान पर रांची, पलामू, रामगढ़ जामताड़ा, गिरिडीह सहित अन्य जिलों में विरोध कार्यक्रम आयोजित हुए.