विगत 4 दिसंबर, 2022 को बिहार की राजधानी पटना स्थित भारतीय नृत्य कला मंदिर में भाकपा(माले) के बैनर तले एक राज्यस्तरीय कार्यकर्ता कन्वेंशन आयोजित किया गया जिसमें अगले साल 15-20 फरवरी 2023 को स्थानीय श्रीकृष्ण मेमोरियल हाॅल में आयोजित हानेवाले पार्टी के 11वें महाधिवेशन और इस अवसर पर ऐतिहासिक गांधी मैदान मं आयोजित होनेवाली ‘लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ’ रैली की तैयारियों पर विस्तार से चर्चा की गई.
इस राज्यस्तरीय कार्यकर्ता कन्वेंशन में भाकपा(माले) महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य और पोलित ब्यूरो के वरिष्ठ सदस्य का. स्वदेश भट्टाचार्य सहित बिहार में भाकपा(माले) के सभी वरिष्ठ नेताओं – पोलित ब्यूरो, केन्द्रीय कमेटी व राज्य कमेटी सदस्यों, जिला सचिवों व जिला प्रभारियों समेत सभी जिलों के जिला कमेटी सदस्यों, सभी जनसंगठनों के राज्य नेताओं व बिहार के कोने-कोने से आये सैकड़ों पार्टी कार्यकर्ताओं व कुछेक समर्थकों ने भी उत्साहपूर्ण भागीदारी की.
इस मौके पर भाकपा(माले) के पोलित ब्यूरो सदस्य और केन्द्रीय मुख्यालय के प्रभारी का. प्रभात कुमार चौधरी, केन्द्रीय कमेटी के सदस्य का. संजय शर्मा (दिल्ली), का. क्लिफ्टन डी रोजेरियो (कर्नाटक) और का. कंवलजीत (चंडीगढ़) जो पार्टी की केन्द्रीय कमेटी की बैठक (1-3 दिसंबर, मुजफ्फरपुर) में शामिल होने के दौरान बिहार पहुंचे थे, भी मौजूद रहे.
कार्यकर्ता कन्वेंशन की अध्यक्षता पूर्व सांसद का. रामेश्वर प्रसाद, सिकटा के विधायक का. बीरेंद्र प्रसाद गुप्ता, का. नैमुद्दीन अंसारी, ऐपवा महासचिव का. मीना तिवारी व फुलवारी विधायक का. गोपाल रविदास ने की. कन्वेंशन का संचालन भाकपा(माले) पोलित ब्यूरो सदस्य और अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के राष्ट्रीय महासचिव का. धीरेन्द्र झा ने की.
पिछले दिनों शहीद व दिवंगत हुए पार्टी नेताओं को एक मिनट की मौन श्रद्धांजलि देने और जन संस्कृति मंच के कलाकारों द्वारा शहीद गीत की प्रस्तुति के बाद कन्वेंशन की शुरूआत हुई. भाकपा(माले) राज्य सचिव कुणाल ने कन्वेंशन की महाधिवेशन व रैली से संबंधित सभी कार्यभारों पर न केवल विस्तार से चर्चा की, बल्कि इसके महत्व को रेखांकित करते हुए एक समयबद्ध कार्यसूची व योजना भी पेश की.
इसके बाद भोजपुर, सिवान, रोहतास, दरभंगा, पटना, नालन्दा समेत राज्य के दो दर्जन से भी अधिक जिलों के सचिवों व प्रभारियों ने कार्यकर्ता कन्वेंशन को संबोधित करते हुए अपने यहां गांव-शहर स्तर पर चल रही तैयारियों की संक्षिप्त रिपोर्ट पेश की.
===
कन्वेंशन को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि मोदी राज में हमारे देश का लोकतंत्र व संविधान आखिरी सांस ले रहा है. 1992 में बाबरी मस्जिद के ध्वंस से जो सिलसिला शुरू हुआ और 2002 के गुजरात दंगों से जो परवान चढ़ा, उसे भाकपा(माले) ने ही सबसे पहले ‘सांप्रदायिक फासीवाद’ के बतौर चिन्हित किया था और आज भी इन ताकतों के खिलाफ लगातार मजबूती से खड़ी है.
उन्होंने कहा कि कारपोरेट, खासकर अडानी-अंबानी देश में फासीवादी मुहिम का नेतृत्व करनेवाली ताकतों - आरएसएस व भाजपा के साथ मजबूती से खड़े हैं. वे भाजपा को सरकार में बनाये रखने के लिए पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं और बदले में भाजपा देश की नीतियों में बदलाव लाकर और संस्थाओं पर दबाव डालकर कीमती प्राकृतिक संसाधनों समेत सार्वजनिक क्षेत्र की तमाम संस्थाओं को उनके हाथों गिरवी रख रही है. भाजपा देश के लिए सचमुच एक विपदा बनकर सामने आई है.
उन्होंने कहा कि आज हिमाचल में मोदी अपने चेहरे पर वोट मांग रहे हैं. गुजरात में अमित शाह 2002 को याद दिलाते हुए ‘स्थायी शांति’ कायम करने की धमकी दे रहे हैं. परेश रावल कह रहे हैं कि गुजराती महंगाई-बेरोजगारी को तो झेल सकते हैं लेकिन अपने पड़ोस में किसी मुसलमान को नहीं. वे महंगाई का मुकाबला नफरत से करने की बात करते हैं. हमें महंगाई से भी लड़ना है और इस नफरत से भी.
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में बाबरी ध्वंस को अपराध माना गया था, पर इस पर अब कोई चर्चा नहीं होती. इससे हौसला पाकर संघ परिवार श्काशी-मथुरा और देश के अनेक धरोहरों को निशाना बना रहा है और सुप्रीम कोर्ट भी उसे हवा दे रहा है. भाजपा चुनाव आयोग को भी कब्जाना चाहती है. सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग में नियुक्तियों का मामला विचाराधीन है लेकिन इसी बीच वहां एक अधिकारी को सेवा निवृति देकर बैठा दिया गया है.
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में आरक्षण नहीं है, यह भी एक बड़ा सवाल है. लेकिन सरकार की परेशानी कुछ दूसरी है. वह काॅलेजियम से परेशान है और इसको बदल देना चाहती है. उसको भी अपने जेब में रख लेना चाहती है. अभी जो अघोषित आपातकाल है, वह स्थायी है. अगला 2024 का चुनाव इससे मुक्ति के लिए है और यही देश की जनता की आकांक्षा है.
उन्होंने कहा कि पूरे देश की निगाह बिहार पर लगी है क्योंकि बिहार ने एक नया रास्ता दिखाया है. बिहार के इस माॅडल की चर्चा पूरे बिहार में है. लोग यह भी कह रहे हैं कि अगर बिहार में भाकपा(माले) को और सीटें मिली होतीं तो बिहार की तस्वीर कुछ और होती.
उन्होंने कहा कि वामपंथी हैं जो आज सांप्रदायिक फासीवाद के खिलाफ खड़े हैं. हमें पूरी दुनिया में यह संदेश देना है कि भारत में फासीवाद के खिलाफ लड़नेवाली ताकतें मौजूद हैं. रैली व महाधिवेशन में हमें नया रिकार्ड बनाना होगा. इसके लिये हमें जनता के ज्वलंत सवालों – महंगाई व बेरोजगारी के खिलाफ सम्मानजनक रोजगार तथा एमएसपी की मांग व बटाईदारों के अधिकार के सवाल को प्रमुखता से उठाना होगा. हमें अपने महाधिवेशन को जनान्दोलनों के उत्सव में बदल देना है. उत्साह के बिना उत्सव पूरा नहीं हो सकता, इसलिए पार्टी कतारों में उत्साह का संचार होना चाहिये.
उन्होंने कहा कि 15 फरवरी की ‘लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ’ रैली जब सब लोगों की रैली बन जाएगी तभी बिहार में महागठबंधन की नीतीश सरकार भी भाजपाई तर्ज पर चलना बन्द कर देगी और वैकल्पिक रास्ता चुनने को मजबूर होगी. नौजवानों, महिलाओं, स्कीम वर्करों की भारी तादाद को पार्टी कतारों में शामिल कर हमें अपनी पार्टी की ताकत को बढाना होगा. केवल तभी हम भाजपाई साम्प्रदायिक फासीवाद का मुकाबला कर सकते हैं. इसी बीच हमें पार्टी की सदस्यता भर्ती व रैली कोष के संग्रह का बड़ा लक्ष्य पूरा कर लेना है.
उन्होंने यह भी कहा कि हमें पार्टी महाधिवेशन की तैयारी, इसके व्यापक प्रचार और इसके लिए धन संग्रह के काम को भी एक नये जुनून से लैस होकर करना होगा, तभी हम अपने दिवंगत नेताओं – कामरेड विनोद मिश्र और कामरेड रामनरेश के सपनों को पूरा कर पाएंगे.
===