वर्ष - 31
अंक - 45
05-11-2022

उत्तर प्रदेश के निवासियों को देश में सबसे अधिक महंगी बिजली दी जाती है. फिर भी बिजली वितरण कंपनियों ने लगभग 100 करोड़ रूपए उपभोक्ताओं से लॉग बुक में तय रेट से अधिक की वसूली कर लूट लिया है. राज्य का विद्युत नियामक बोर्ड इस राशि को उपभोक्ताओं को वापस लौटाने हेतु निजी कंपनियों के निदेशकों को बार-बार आदेश दे रहा है, लेकिन ये कंपनियां इतनी ताकतवर हैं कि विद्युत नियामक बोर्ड के आदेश पर भी वे टस से मस नहीं हो रही हैं. उल्टे सबके बाद भी बिजली विभाग पुलिस को साथ में लेकर गरीबों के घरों और गरीब बस्तियों की बिजली काटने का अभियान चला रहा है.

प्रदेश में कहीं भी नियमित बिजली बिल नहीं भेजा जाता है. साल-छह महीने में अचानक 1 लाख या 50 हजार रूपये का बिल भेज कर गरीबों को भारी सदमा पहुंचाया जाता है. फिर दलालों के माध्यम से जिसमें हर गांव में विभाग द्वारा रखे गए विद्युत मित्र भी शामिल हैं, उपभोक्ताओं से भारी वसूली का सिलसिला शुरू किया जाता है.

भाजपा सरकार ने जोर-शोर से सौभाग्य योजना के तहत गरीबों को फ्री कनेक्शन देने का प्रचार किया था. गरीबों को यह झांसा दिया गया कि उनको मुफ्त बिजली दी जा रही है. इस नाम पर उनको पहले फंसाया गया और अब, सात-आठ सालों बाद लाखों रूपये का बिल भेज कर प्रताड़ित किया जा रहा है.

खेग्रामस के सदस्यता अभियान के दौरान गरीबों के बीच से यह सवाला पुरजोर उभरा था. उनके साथ बातचीत कर इसे मुद्दा बनाया गया और 9 अक्टूबर 2022 को गाजीपुर में संपन्न हुए खेग्रामस (खेत मजदूर सभा) के पांचवी राज्य सम्मेलन से यह आह्वान किया गया था कि 3 नवंबर 2022 को राज्य भर में बिजली विभाग के केंद्रों एवं कार्यालयों पर धरना-प्रदर्शन कर अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा. इस कार्यक्रम के तहत उस दिन 19 जिलों के कुल 30 विद्युत केंद्रों पर धरना-प्रदर्शन किया गया.

धरना-प्रदर्शन के ज्ञापन में गरीबों एवं गरीब बस्तियों की बिजली काट देने पर तत्काल रोक लगाने, 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने, बिजली विभाग के निजीकरण पर रोक लगाने तथा बिजली बिल संशोधन 2022 को वापस लेने की मुख्य मांग की गई है. इस प्रदर्शन एवं धरना में 300 लेगों तक की भागीदारी रही. इस ज्वलंत मुद्दे पर आगे भी आंदोलन जारी रखने का निर्णय लिया गया है.

विद्युत विभाग द्वारा पूरे प्रदेश में की जा रही धांधली के खिलाफ आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम के तहत बलिया के मनियर और सोनवानी विधुत केन्द्र पर भाकपा(माले), खेग्रामस और किसान महासभा की तरफ से धरना-प्रदर्शन किया गया. धरना के माध्यम से विभाग के अधिकारी के जरिये मुख्यमंत्री को 9 सूत्रीय मांगपत्र सौंपा गया.

महाराजगंज जिले के सिसवा स्टेट चौराहे से भाकपा(माले) व खेग्रामस नेताओं-कार्यकर्ताओं ने क्षेत्र की जनता को संगठित कर मार्च निकाला. यह मार्च बिजली बिल माफी के सवाल को उठाते और नारा लगाते हुए बिजली उपकेंद्र, सिसवा पहुंचा जहां मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश के नाम 9 सूत्री मांगों का ज्ञापन बिजली विभाग के द्वारा एसडीओ को दिया गया और बिजली उपकेंद्र पर पहुंच कर वहां सभा आयोजित की गई. सभा को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) के सिसवा प्रखंड सचिव का. संजय निषाद ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पूजीपतिं मित्रों के कई लाख करोड़ रुपये के कर्ज माफ कर दे रहे हैं और जब गरीब आदमी अपनी बिजली बिल माफ करने की बात कर रहा है तो कह रहे है खजाने में पैसा ही नहीं है. सभा को भाकपा(माले) जिला सचिव का. हरीश ने भी संबोधित किया.

कार्यक्रम में बख्शीश अली, रामपाल विश्वकर्मा, अनिल गुप्ता, रामपाल धमिया, दमवंती विश्वकर्मा, मोहन गुप्ता, रामायण विश्वकर्मा, इन्द्रावती विश्वकर्मा, शेषनाथ निषाद, गणेश निषाद, कुसुम भारतीय, वीरेंद्र रावत, मैमूल निशा, आदि महिला-पुरूष कार्यकर्ता भी मौजूद रहे.

बलिया जिले के सोनवानी में भाकपा(माले), अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा और अखिल भारतीय किसान महासभा के संयुक्त बैनर के तहत विद्युत उपकेन्द्र के समक्ष धरना के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया गया. मनियर में भी यह कार्यक्रम आयोजित हुआ.

आजमगढ़ में जिला मुख्यालय पर किसान महासभा व खेग्रामस के कार्यकर्ताओं ने मार्च निकाला और जिला प्रशासन के समक्ष प्रदर्शन कर गरीबों पर थोपी गई मनमाना विजली बिलों को रद्द करने, संसद में प्रस्तुत विजली संशोधन बिल 2022 को वापस लेने सहित कई अन्य सवालों को लेकर राष्ट्रपति व मुख्यमंत्री के नाम संबोधित दो अलग-अलग मांगपत्र सौंपा. यह मार्च प्राइवेट बस स्टैंड से प्रारंभ होकर सिविल लाइंस होते हुए जिला मुख्यालय पहुंचा. मार्च व प्रदर्शन में ‘फ्री कनेक्शन के नाम पर धोखाधड़ी बंद करो’, ‘गरीबों पर थोपी गई मनमाना बिल रद्द करा’, ‘निजीकरण – नहीं चलेगा, नहीं चलेगा’, ‘किसानों से वादाखिलाफी बंद करो’, ‘विजली संशोधन बिल 2022 वापस लो’ आदि नारे लग रहे थे. मार्च व प्रदर्शन का नेतृत्व किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष जयप्रकाश नारायण, जिला संयोजक विनोद सिंह, खेग्रामस के जिला संयोजक सुदर्शन राम व भाकपा(माले) के जिला प्रभारी ओमप्रकाश सिंह ने किया.

इस अवसर पर नेताओं ने कहा कि निजीकरण की नीतियों पर अंधाधुंध चल रही मोदी सरकार ने किसान विरोधी-जन विरोधी विजली संशोधन बिल 2022 संसद में प्रस्तुत कर किसानों के साथ विश्वासघात किया है तो योगी सरकार ने मुफ्त बिजली देने के नाम पर गरीबों के साथ धोखाधड़ी. उन्होंने कहा कि हम सरकारी तंत्र द्वारा लोगों पर थोपे जा रहे उपरोक्त संकटों को चुपचाप सहन नहीं करेंगे व दमनकारी जन विरोधी सरकार के विरुद्ध संगठित संघर्ष में उतरेंगे.

मांगपत्र के माध्यम से ग्रामीणों पर थोपी गई मनमाना विजली बिल रद्द करने, बकाया बिल वसूली के नाम पर हो रहे उत्पीड़न पर रोक लगाने और विद्युत संशोधन बिल 2022 वापस लेने के साथ ही दियारा के बाढ़ प्रभावितों को सुरक्षित जगहों पर आवासीय व कृषि पट्टा देकर आबाद करने, मंदुरी में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने के बहाने हजारों परिवारों को उजाड़ने की कार्रवाई पर रोक लगाने सहित कई अन्य मांगें राष्ट्रपति एवं मुख्यमंत्री से की गईं.

प्रदर्शन में रामजीत प्रजापति, हवलदार, कालिका प्रसाद, रामकृष्ण यादव, हरिचरन राम, हरिश्चंद्र राजभर, प्रदीप यादव, परविंद यादव, राकेश वनवासी, राजकुमार वनवासी, श्यामनरायन सहित कई लोग शामिल रहे.

चंदौली जिले के चकिया में कार्यकर्ताओं ने उप खंड अधिकारी कार्यालय के समक्ष धरना देकर मुख्यमंत्री को संबोधित 9 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा तथा सभा आयोजित की.

सभा को संबोधित करते हुए भाकपा(माले) के जिला सचिव का. अनिल पासवान ने कहा कि भाजपा की योगी-मोदी सरकार एक-एक कर सरकारी संस्थाओं को निजी हाथों में बेच रही है और इसी कड़ी में अब बिजली विभाग भी निजी हाथों में बेचने की तैयारी शुरू कर दी गई है. यह योगी-मोदी सरकार की मजदूर किसान विरोधी चरित्र को उजागर करता है.

उनहोंने कहा कि लोग बिजली विभाग को निजी हाथों में बेचने की सरकारी साजिश को समझ रहे हैं और गांव में इसके खिलाफ गरीबों की गोलबंदी बढ़ रही है. अगर सरकार बिजली विभाग का निजीकरण नहीं रोकती है और बिजली बिल 2022 वापस नहीं लेती हो तो पूरे प्रदेश में आंदोलन और तेज होगा.

अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा के जिला संयोजक कामरेड रामायण राम ने कहा कि अचानक से हजारों-लाखों रुपए का बिल भेजने की वजह से उसकी भरपाई करना गरीबों के लिए मुश्किल हो जाता है. जर्जर तार व बिजली के खंभों की वजह से जो दुर्घटनाएं होती हैं उसपर सरकार का कोई ध्यान नहीं है.

सभा को भाकपा(माले) शहाबगंज प्रखंड सचिव चंद्रिका यादव, चकिया प्रखंड सचिव विजयी राम, खेग्रामस नेता परमहंस राम, रामवचन पासवान, किसान महासभा के नेता रामकिशुन पाल, राम वचन वनवासी सहित कई वक्ताओं ने संबोधित किया अध्यक्षता भाकपा(माले) जिला कमेटी सदस्य तथा खेग्रामस नेता धर्मपाल राम तथा संचालन खेग्रामस जिला संयोजक रामायण राम ने किया. जिले के सकलडीहा, चहनिया व नौगढ़ स्थत विद्युत केन्द्रों पर भी धरना-प्रदर्शन किया गया.

जालौन के ग्राम खाखरी, उरई व अखवारा, देवरिया के भाटपार रानी, बनारस के पिंडरा चोलापुर, सीतापुर के हरगांव, पीलीभीत में पूरनपुर, लखीमपुर में पलिया व निघासन, कुशीनगर में सेवरही, गाजीपुर में जमानिया, जखनिया, सैदपुर, सदर और करण्डा, जालौन के उरई व अखबारा विद्युत उपकेंद्रो; मिर्जापुर, सोनभद्र, भदोही, मऊ, आजमगढ़ व रायबरेली में जिला विद्युत कार्यालयों तथा गोरखपुर में मुख्य अभियंता विद्युत वितरण कार्यालय सहित कुल 30 विद्युत केंद्रों पर धरना-प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा गया.

धरना-प्रदर्शन की मुख्य मांगें

1. बिजली बिल 2022 वापस लो.
2. बिजली का निजीकरण बंद करो.
3. पंजाब की तरह कृषि कार्य के लिए मुफ्त और सभी के लिए हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली दो.
4. बकाया वसूलने में प्रताड़ना और कनेक्शन कट करना बंद करो.
5. गरीबों को मुफ्त बिजली का झांसा देकर भारी और फर्जी बिल देना बंद करो.
6. रसूखदारों और सरकारी संस्थाओं के लाखों के बकाया की गरीबों से वसूली कर भरपाई करने पर रोक लगाओ.
7. कनेक्शन, मीटर और जोड़ने के लिए 2850 रूपए ऐंठना बंद करो.
8. क्षेत्र के तमाम गांवों में बस्तियों एवं घरों से गुजर रहे तारों एवं खम्भों को हटाने की गारंटी करो.
9. सभी गरीबों की बिजली बिल माफ करो और मुफ्त बिजली दो.

rigging of electricity bills

 

privatization of electricity

 

Movement against privatization

 

electricity bills in Uttar Pradesh