वर्ष - 31
अंक - 45
05-11-2022
Live Comrade Laxmi Paswan

दरभंगा जिले में भाकपा(माले) के वरिष्ठ नेता और खेग्रामस के राज्य उपाध्यक्ष कामरेड लक्ष्मी पासवान (उम्र लगभग 70 वर्ष) का विगत 4 नवंबर 2022 की दोपहर समस्तीपुर के एक निजी अस्पताल में देहांत हो गया. वे पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे.

कामरेड लक्ष्मी पासवान की राजनीतिक यात्रा 74’आंदोलन से शुरू हुई थी. दरभंगा जिले में वे इस आंदोलन का एक लोकप्रिय चेहरा थे. वे आपातकाल में जेल भी गए. लेकिन नेताओं के आचरण और दोहरेपन से उनका मोहभंग हो गया. वे कामरेड उमाधर सिंह के नेतृत्व वाली सीपीआइ(एमएल) पीसीसी से जुड़ गए. उनके नेतृत्व में कई सफल भूमि संघर्ष हुए. आज भी अनेक परिवार दरभंगा के अगल-बगल इसी भूमि पर बसे हुए हैं. 1980 में जब जिले में भाकपा(माले) लिबरेशन की गतिविधियां तेज हुई तो वे इससे जुड़े और इसके स्थापित नेता के बतौर उभरे. वे लगातार आइपीएफ के जिला अध्यक्ष रहे और दरभंगा जिले में पार्टी को स्थापित-विस्तारित करने में उनकी अहम भूमिका थी.

दरभंगा जिले के दलितों-गरीबों के बीच दशकों से स्थापित नेता का चले जाना पार्टी और जनता के लिये बड़ी क्षति है. वे सम्पूर्ण मिथिलांचल में क्रांतिकारी सामाजिक न्याय का चेहरा थे. 5 दशकों के अपने राजनीतिक जीवन के दौरान वे 5 साल से ज्यादा दिनों तक जेल में रहे और सामंती-कुलक हिंसा का लगातार शिकार रहे. चुनाव नहीं लड़ने देने की साजिश के तहत जमींदारों की मिलीभगत से उन्हें दर्जनभर साथियों के साथ हत्या के झूठे मुकदमा में फंसाया गया. इस मामले में आजीवन कारावास की सजा हुई थी जिसमें वे जमानत पर थे. दर्जनों मुकदमों और हमलों को झेलते हुए वे आजीवन दलित-गरीबों के संघर्षों की मशाल बने हुए थे. उनकी सामाजिक पहचान भी भाजपा-आरएसएस की राजनीति व सिद्धान्त के कट्टर विरोधी के बतौर थी और उसके प्रति थोड़ी-सी नरमी भी वे बर्दाश्त नहीं करते थे. उनके निधान से हमने एक स्थापित, अनुभवी और वरिष्ठ नेता खो दिया है.

का. लक्ष्मी पासवान को लाल सलाम!