मोरबी पुल हादसा (जनसंहार) में मृतकों को पटना में श्रद्धांजलि
गुजरात के मोरबी पुल हादसे में मारे गए लोगों की स्मृति में 4 नवंबर 2022 को पटना के बुद्ध स्मृति पार्क के पास भाकपा(माले) की पटना महानगर कमिटी की ओर से श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. भाकपा(माले) कार्यकर्ताओं व आम नागरिकों ने एक मिनट का मौन रखकर और कैंडिल जलाकरसभी मृतकों को अपनी श्रद्धांजलि दी. कुछ दिनों पहले पटना के जाने-माने फोटोग्राफर एपी दुबे और उसी दिन दरभंगा में भाकपा(माले) के वरिष्ठ नेता कॉ. लक्ष्मी पासवान की भी मौत हो गई. कार्यकर्ताओं ने उन दोनों को भी अपनी श्रद्धांजलि दी.
श्रद्धांजलि सभा को भाकपा(माले) के वरिष्ठ नेता केडी यादव, किसान महासभा के नेता शिवसागर शर्मा, ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव और राज्य सह सचिव अनीता सिन्हा, भाकपा(माले) के मीडिया प्रभारी कुमार परवेज, जसम के अनिल अंशुमन आदि नेताओं ने संबोधित किया. कार्यक्रम का संचालन भाकपा(माले) राज्य कमिटी के सदस्य व एआइपीएफ के संयोजक कमलेश शर्मा ने किया.
मौके पर पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य अमर, पटना महानगर के सचिव अभ्युदय, वरिष्ठ नेता राजाराम, जितेंद्र कुमार, उमेश सिंह, राजेन्द्र पटेल, रामबलि प्रसाद, अशोक कुमार, शंभूनाथ मेहता, अनय मेहता, राखी मेहता, डॉ प्रकाश, पुनीत कुमार, विनय कुमार, संजय यादव सहित कई लोग उपस्थित थे.
वक्ताओं ने कहा कि मोरबी पुल हादसा भाजपा के तथाकथित विकास मॉडल की पोल खोलता है. गुजरात का बहुप्रचारित मॉडल विकास का नहीं बल्कि विनाश व जनसंहार का मॉडल है. आम लोगों की जिंदगी को भाजपाई खेल समझते हैं. आज पूरा भारत जानना चाहता है कि एक घड़ी बनाने वाली कंपनी को आखिर क्यों पुल को मरम्मत करने का ठेका दिया गया? गुजरात सरकार ने लगभग 200 लोगों को जान-बूझकर मौत के मुंह में ढकेलने का काम किया.
नेताओं ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री उस वक्त गुजरात में ही थे, लेकिन वे रैली को संबोधित करते रहे, एक दिन बाद घायलों से मिलने अस्पताल पहुंचे. उन अस्पतालों की हकीकत आज सबके सामने है. यह संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है.
कहा कि ऐसी संवेदनहीन व भ्रष्टाचार में लिप्त सरकार को देश अब एक पल भी बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है. आने वाले गुजरात चुनाव और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपाइयों की सरकार को सबक सिखाया जाएगा.
श्रद्धांजलि सभा से यह मांग की गयी कि सभी घायलों के उचित इलाज का प्रबंध सरकार द्वारा किया जाना चाहिए और भ्रष्टाचार में लिप्त व अव्वल दर्जे की लापरवाही बरतने वाले इस घटना के जिम्मेवार अधिकारियों और ओरेवा कंपनी पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.