लोहरदगा के सेरेंगदाग गांव में अधेड़ उम्र (55 वर्ष) की एक महिला के साथ जो अपने मकई के खेत में घास काट रही थी, के साथ कैंप के दो जवानों द्वारा बलात्कार की इस घटना ने गांवों के आसपास बने पुलिस कैंपों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. गांव के लोगों के मन में यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि जब रक्षक ही भक्षक बन जायें तो न्याय की उम्मीद कहां से लगाई जायें? ये पुलिस कैंप वहां के लोगों की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं या फिर लोगों के सम्मान का हनन करने के लिए? ये सवाल कहीं से भी बेमानी नहीं हैं. ऐसे ही बहुतेरे सवालों को जन्म दे दिया है.
अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) की एक टीम ने पीड़ित महिला से मिलकर इस घटना और उससे पैदा हुए हालात की जानकारी लीऔर यह आश्वासन देने का प्रयास किया कि उनकी लड़ाई में वह उनके साथ रहेगी. ऐपवा टीम ने यह मांग किया है कि दोनों जवानों की पहचान पीड़ित महिला के द्वारा करवाई जाये ताकि उसे यह पता चले कि जो अपराधी पकड़े गए हैं, वे सच में अपराधी है या नहीं. ऐपवा टीम ने यह भी कहा कि अपराधियों को सिर्फ कड़ी से कड़ी सजा ही नहीं दी जाये बल्कि यह भी तय किया जाये कि वहां जो पुलिस कैंप है उसे अगर वहां बरकरार रखना है तो उसके लिए कौन सा अनुशासन होगा.
इसके साथ ही ऐपवा जांच टीम ने प्रशासन और सरकार से मांग किया है कि अपराधियों को जल्द से जल्द और कड़ी से कड़ी सजा दी जाये. इस टीम में शांति सेन, ऐती तिर्की व नंदिता भट्टाचार्य शामिल थीं.
लोहरदगा के सेरेंगदाग थाना क्षेत्र की इस महिला के साथ दुष्कर्म करने के आरोपी पुलिसकर्मी कमलकान्त तिवारी व अजय बाड़ा को गिरफ्तार किया गया है.