महिला सशक्तिकरण को लेकर केंद्र और राज्य सरकार की तमाम योजनाएं है जो फाइलों में कैद हैं. सरकारी योजनाओं के संबंध में ऐपवा ने पिछले दिनों बनारस की तीन बस्तियो का सर्वे किया था. सर्वे में इन योजनाओं की हकीकत सामने आई जो सिर्फ कागजो में ही कैद थीं. ऐपवा ने इन सवालों पर इन बस्तियों की महिलाओं को एकजुट किया, वहां कमेटियों का निर्माण किया और विगत 17 अगस्त को कचहरी पर महिलाओं के मन की बात कार्यक्रम किया.
इसी क्रम में अपनी मांगों को लेकर विगत 29 सितंबर को तीन बस्तियों (छोटा सीरगोवर्धन, सुसवाही-बैजनाथ कालोनी, कंदवा-गनेशपुर) से ऐपवा कमेटी की प्रतिनिधि महिलाओं ने अपनी मांगों को लेकर विकास अधिकारी के साथ मुलाकात की थी. महिलाओं के समक्ष तथ्य भी सामने आये कि इन योजनाओं का मकसद लाभार्थियों को लाभ पहुंचाना नहीं, बल्कि विकास अधिकारियों और स्वयंसेवी संगठनों के बीच सांठगांठ से पैसे की लूट है.
इस दौरान पाया गया कि महिलाएं अपने अधिकारों को लेकर एकजुट होने के लिए तैयार हैं और सरकार के खिलाफ उनका गुस्सा भी फूट रहा है. ये महिलायें उन गरीब दलित और अति पिछड़ी जातियों के बीच से आती हैं जिसके एक हिस्से ने पिछले चुनावों में भाजपा को वोट दिया था.