‘दिल्ली-पटना की सरकार, मजदूरों की सुनो पुकार’
15 अक्टूबर 2022 को ही बिहार राज्य निर्माण मजदूर यूनियन (एआईसीसीटीयू व एआईसीडब्ल्यूएफ से सम्बद्ध) का 6ठा राज्य सम्मेलन भी वैशाली के हाजीपुर स्थित बुवना स्मृति भवन में ही सम्पन्न हुआ. सम्मेलन में 16 जिलों के कुल 92 प्रतिनिधि शामिल हुए जिसमें 13 महिलाएं थी.
‘दिल्ली-पटना की सरकार, मजदूरों की सुनो पुकार’ के आह्वान के साथ महंगाई-बेकारी, सामाजिक सुरक्षा व सम्मान, लेबर कोड को रद्द करने, मजदूर अधिकारों में कटौती पर रोक, बेहतर मजदूरी-नियमित काम, सांप्रदायिक भेदभाव का खात्मा आदि के नारों के साथ आयोजित हुआ.
सम्मेलन की शुरुआत झंडोत्तोलन, शहीद वेदी पर पुष्पार्पण और शहीद व दिवंगत साथियों की याद में दो मिनट की मौन श्रद्धांजलि देने से हुई. सम्मेलन की अध्यक्षता एसके शर्मा, संगीता देवी व शिवशंकर प्रसाद की तीन सदस्यीय अध्यक्ष मंडल और संचालन मुकेश मुक्त, मनोज कुमार यादव व अरविंद शर्मा ने किया.
ऐक्टू के राष्ट्रीय महासचिव राजीव डिमरी ने सम्मेलन का उदघाटन करते हुए विनाशकारी मोदी सरकार की मजदूर विरोधी-देश विरोधी नीतियों – कारपोरेट परस्त एजेंडे को आक्रामक तरीके से लागू करने, दमनकारी कानूनों का क्रूरतापूर्वक इस्तेमाल, असहमति और विरोध की आवाज को कुचल की आतुरता और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बहुत ही योजनावद्ध तरीके से आगे बढ़ाने और सार्वजनिक क्षेत्र की तमाम इकाइयों और सरकारी विभागों के अंधाधुंध निजीकरण की मुहिम को धड़ल्ले से अंजाम देने की चर्चा की. उन्होंने कहा कि देश बेचने वाली मोदी सरकार की यह समूची नीति न केवल मेहनतकश जनता के कई दशकों की हाड़ तोड़ मेहनत से निर्मित बुनियादी ढांचे का विनाश कर रही है, बल्कि आम मेहनतकश आवाम के जीवन और जीविका को भी बर्बाद कर रही है.
उन्होंने निर्माण मजदूरों पर श्रम कोड के कुप्रभाव की चर्चा करते हुए कहा कि बुनियादी सुविधाओं के वैधानिक अधिकारों को मोदी सरकार ने खत्म कर दिया है. कार्य स्थल पर दुर्घटनाओं को रोकने के सारे व्यवहारिक उपायों से नियोक्ताओं (मालिकों) को मुक्त कर दिया गया है. लेबर कोड में 50 लाख रुपये से कम के आवासीय निर्माण को भवन व अन्य सन्निर्माण कार्य में शामिल नहीं किया गया है. कल्याण कोष में अनिवार्य योगदान और पहचान पत्र प्रदान करने के नियम को लेबर कोड में समाप्त कर दिया गया है जिसका व्यापक प्रभाव निर्माण मजदूरों के निबंधन पर पड़ेगा. अब केन्द्र सरकार की अनुमति के बगैर राज्य सरकारें कल्याणकारी उपायों और सुविधाओं का प्रावधान व उसमें सुधार नहीं कर सकेगी. यह सरकार अपने कारपोरेट आकाओं की सेवा के लिए कामगार आवाम के खिलाफ खुला युद्ध चला रही है. निर्माण सहित तमाम मजदूर वर्ग के लिए यह सरकार खतरा बनी हुई है. देश भर के मजदूर-किसान इसके खिलाफ है और इससे मुक्ति की लड़ाई लड़ रहे हैं. हमें हर हाल में इसका मुकाबला करना ही होगा. सम्मेलन के उदघाटन सत्र को ऐक्टू के बिहार राज्य सचिव सुरेंद्र प्रसाद सिंह व बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ की राज्य महासचिव सरोज चौबे आदि ने संबोधित किया.
सम्मेलन के प्रतिनिधि सत्र में यूनियन के राज्य महासचिव कामरेड आरएन ठाकुर द्वारा कामकाज की रिपोर्ट को प्रतिनिधियों के सकारात्मक सलाह-सुझाव को स्वीकारने और उनके द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देने के बाद सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया.
सम्मेलन ने अपनी मांगों को हासिल करने के लिए बड़ी गोलबंदी के साथ जिला से राज्य स्तर तक संघर्ष करने; इस वर्ष के अंत तक पटना, भागलपुर, बेतिया, सहरसा, सुपौल और दरभंगा जिलों में जिला सम्मेलन सम्पन्न करने और अगले वर्ष ऐक्टू के राष्ट्रीय सम्मेलन के पूर्व 9 अन्य जिलों में सम्मेलन कर कुल 20 जिलों में जिला कमिटी का गठन करने; अगले वर्ष तक 50 हजार सदस्यता का लक्ष्य हासिल करनेऋ बड़ी संख्या में कैडर निर्माण व उसका राजनीतिकरण कर मजदूर वर्ग की राजनीतिक चेतना से लैश करने और इसके लिए राज्य व जिला स्तर पर नियमित कार्यशाला-प्रशिक्षण शिविर का आयोजन करने और प्रखंड स्तर तक सांगठनिक ढांचा का निर्माण करने का कार्यभार लिया.
सम्मेलन के पर्यवेक्षक ऐक्टू के राज्य अध्यक्ष श्यामलाल प्रसाद की देखरेख में सर्वसम्मति से 23 सदस्यीय कार्यकारिणी और 9 सदस्यीय राज्य पदाधिकारियों का चुनाव किया. कामरेड एसके शर्मा को अध्यक्ष, कामरेड आरएन ठाकुर को महासचिव, कामरेड संगीता देवी, शिवशंकर प्रसाद व बालमुकुंद चौधरी को उपाध्यक्ष तथा कामरेड सुरेंद्र प्रसाद सिंह, मुकेश मुक्त व रणविजय कुमार को सचिव तथा राजकुमार (पप्पू शर्मा) को कोषाध्यक्ष चुना गया है.
पर्यवेक्षक के संबोधन और अध्यक्षमंडल की ओर से धन्यवाद ज्ञापन के बाद कम्युनिस्ट इंटरनेशनल के सामुहिक गान के साथ सम्मेलन सम्पन्न हुआ.