भाकपा(माले) की उत्तर प्रदेश राज्य स्थायी समिति के सदस्य व सीतापुर जिले में हरगांव से निर्वाचित जिला पंचायत सदस्य कामरेड अर्जुनलाल साथियों सहित करीब पांच सप्ताह की कैद के बाद गत 19 सितंबर को सीतापुर जेल से रिहा हो गए.
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर गिरफ्तारी?
गत 14 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर जब देश आजादी की 75वीं सालगिरह का जश्न मना रहा था, का. अर्जुनलाल को आठ अन्य साथियों के साथ हरगांव के थानेदार ने हिरासत में ले लिया था. का. अर्जुनलाल अपने गांव रिक्खीपुरवा के दलितों पर बगल के गांव बकसोहिया के दबंग ठाकुरों के हमले की रिपोर्ट लिखाने थाने पहुंचे थे. हुआ यह था कि रिक्खीपुरवा गांव की दलित महिला प्रधान की सामंतों ने पिटाई की थी, क्योंकि उन्होंने योगी सरकार की योजना के तहत गौशाला बनाने के लिए ग्राम समाज की जमीन पर गैर कानूनी रूप से काबिज सामंतों को हटाया था. ग्राम प्रधान का साथ देने वाले दलित गांववासियों पर धारदार हथियार से हमला कर घायल कर दिया गया, जिसमें ग्राम प्रधान के भतीजे सहित आधा दर्जन दलित घायल हुए थे. इस घटना की एफआईआर दर्ज करवाने के लिए सैकड़ों दलित ग्रामवासी 14 अगस्त को हरगांव थाने गए थे. सूचना पाकर जिला पार्षद अर्जुनलाल भी थाने पहुंचे. उन्होंने थाने के बाहर जैसे ही अपनी मोटरसाइकिल खड़ी की, थानेदार बृजेश त्रिपाठी ने सिपाहियों को भेजकर कुर्ते का कालर पकड़वा कर खींचते हुए का. अर्जुनलाल को थाने के अंदर मंगवाया. लगता है कि थानेदार पहले से उनकी ताक में बैठा हुआ था. थाने में उनके साथ मारपीट की गई. इसके विरोध में ऐपवा जिलाध्यक्ष व का. अर्जुनलाल की जीवनसंगिनी कामरेड सरोजिनी कुछ लोगों के साथ थाने के निकट जब विरोध प्रदर्शन में उतरीं, तो पुलिस ने उनके हाथ से राष्ट्रीय झंडा छीन लिया, गिरफ्तार कर लिया और कहा कि तुम (दलित) इस झंडे को पकड़ने के लायक नहीं हो. शाम को महिला नेता को रिहा कर दिया गया. पुलिस ने एक फर्जी मुकदमा (एफआईआर 465/22) दर्ज किया, जिसमें 23 व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया. इनमें अधिकांश दलित गांववासी थे. सभी पर 7-सीएल एक्ट सहित सात आपराधिक धाराएं लगा दी गईं. अगली सुबह इसी मुकदमे में गिरफ्तारी दिखाकर पुलिस ने अर्जुनलाल को आठ साथियों सहित जेल भेज दिया. दूसरी तरफ, दलितों पर जानलेवा हमला करने वाले सामंतों को छुआ तक नहीं गया और एफआईआर (462/22) दर्ज होने के बावजूद हमलावरों को आजाद छोड़ दिया गया.
गौरतलब है कि इस घटना के पहले जुलाई के प्रथम सप्ताह में का. अर्जुनलाल एक अन्य मामले में एफआईआर दर्ज कराने के लिए हरगांव थाने पर धरना दिए थे, जिसपर एसओ ने उन्हें जातिसूचक शब्दों व गालियों के साथ खत्म कर देने (जान से मारडालने) की धमकियां दी थीं. इसके विरुद्ध भी उन्होंने जिला मुख्यालय पर धरना देकर एससी/एसटी एक्ट में एसओ के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. इस वजह से भी एसओ उनसे बदला लेने के मौके की तलाश में था.
गिरफ्तारी के खिलाफ जुझारू प्रतिवाद
भाकपा(माले) ने का. अर्जुनलाल व साथियों की अवैध गिरफ्तारी व सामंतों को दिए जा रहे संरक्षण के खिलाफ गिरफ्तारी के दिन 14 अगस्त की शाम से ही राज्य समिति सदस्य का. अनिल भारती के नेतृत्व में सीतापुर जिला मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन धरना शुरु कर दिया. 16 अगस्त को पार्टी ने राज्यव्यापी दमन-विरोधी दिवस मनाया. इस मौके पर सीतापुर जिला कलेक्ट्रेट में धरनास्थल पर भारी संख्या में जनभागीदारी के बीच जनसभा कर नेताओं की बिना शर्त रिहाई, फर्जी एफआईआर (465/22) की वापसी, सामंती हमलावरों को सलाखों के पीछे भेजने के अलावा हरगांव पुलिस की मनगढ़ंत कहानी की उच्च स्तरीय जांच और एसओ को बर्खास्त करने की मांग की. इन मांगों के साथ राज्य के अन्य जिलों से भी राज्यपाल को ज्ञापन भेजे गए. ज्ञापन में उक्त मांगों के साथ यह भी उल्लेख किया गया कि दलितों पर गांव से लेकर थाने तक में दमन की उक्त घटना आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर सीतापुर के पुलिस अधीक्षक श्री जी एस चंद्रभान के रहते हुई है, फिर भी उन्हें स्वतंत्रता दिवस पर डीजीपी के प्लेटिनम मेडल के लिए नामित किया गया है, जो शर्मनाक है. लिहाजा एसपी से इस मेडल को वापस लिया जाए.
बाबा साहेब भी बने सामंती नफरत का निशाना
भाकपा(माले) का धरना जिला मुख्यालय पर जारी था कि 18 अगस्त की रात्रि में रिक्खिपुरवा गांव में अंबेडकर पार्क में स्थित प्राइमरी पाठशाला में लगी बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की आदमकद प्रतिमा का सिर तोड़ कर धड़ से अलग कर देने की घटना हो गई. सुबह प्रतिमा स्थल पर ग्रामीण जमा होने लगे. वीडियो वायरल हुआ. मौके पर 8 बजते-बजते थानाध्यक्ष, हरगांव सीओ, एडिशनल एसपी और एसडीएम पहुंच गए. जनदबाव देखकर प्रशासन ने तत्काल निर्णय लेते हुए लखनऊ से प्रतिमा मंगाने का ऑर्डर दे दिया और 12.00 बजे तक मूर्ति मौके पर पहुंच गई. सिर कटी मूर्ति सावधानी से काटकर हटाई गई और काफी संजीदगी से नई प्रतिमा उसी फाउंडेशन पर लगा दी गई. दलित ग्राम प्रधान विमला ने थानाध्यक्ष को लिखित तहरीर दी, जिसमें शरारती तत्वों पर प्रतिमा तोड़कर दलितों की आस्था आहत करने और माहौल बिगाड़ने की साजिश करने की आशंका व्यक्त की गई. मौके पर जमा हुई महिलाएं चर्चा कर रही थीं कि आज बाबा साहब की मूर्ति का सिर धड़ से अलग किया गया है, कल हम दलितों का सिर कलम किया जाएगा. मूर्ति तोड़कर दबंग तत्व संदेश देना चाहते हैं कि दलित गरीब आजादी का सपना भूल जाएं. यह भी कहते हुए सुनाई दे रहा था कि यह सरकार सवर्णा और दबंगों की है. पुलिस प्रशासन उन्हीं को संरक्षण दे रही है, इसलिए उनको डर नहीं है और न उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई ही की गई है.
भाकपा(माले) ने पुलिस दमन और अम्बेडकर प्रतिमा तोड़ने की घटना के खिलाफ 26 अगस्त को आम जनता से बड़ी संख्या में जिला मुख्यालय पर पहुंचने की अपील की, जहां पहले से ही धरना जारी था. धरना जारी रहने के दौरान ही पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिले के पुलिस अधीक्षक से मुलाकात की.
26 अगस्त को सैकड़ों की संख्या में जनता ने का. सरोजनी के नेतृत्व में जिलाधिकारी कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया, जिसमें भारी संख्या में महिलाओं ने भी भागीदारी की. प्रदर्शन व सभा को एक्टू के प्रदेश अध्यक्ष का. विजय विद्रोही, माले की राज्य स्थाई समिति के सदस्य का. रमेश सेंगर, खेग्रामस के प्रदेश सचिव का. राजेश साहनी, ऐपवा की प्रदेश संयुक्त सचिव मीना, संगतिन किसान मजदूर संगठन की अध्यक्ष रिचा सिंह, स्कीम वर्कर्स फेडरेशन की नेता का. कमला गौतम, बलिया जिले के लक्ष्मण यादव, लखीमपुर के भाकपा(माले) नेता का. श्रीनाथ, पार्टी के जुझारू नेता का. कन्हैया कश्यप और किसान नेता का. संतराम ने सभा को सम्बोधित किया. किसान मंच के नेता शिवप्रकाश सिंह और किसान नेता सिद्ध सिंह ने आन्दोलन का समर्थन किया. अनिश्चितकालीन धरने को समाप्त कर आंदोलन को जारी रखने और 9 सितंबर को हरगांव में प्रतिवाद जनसभा करने की घोषणा की गई.
लड़ेंगे, जीतेंगे
इस बीच आंदोलन के दबाव में ही हरगांव के थानेदार और सीओ का तबादला हो गया. पुलिस 9 सितंबर को घोषित हरगांव की जनसभा को असफल करने के लिए ग्रामीणों को डराने-धमकाने लगी. प्रशासन द्वारा सभा की अनुमति न दिए जाने के बावजूद 9 सितंबर 2022 को हरगांव की जनसभा में सैकड़ों लोग जुटे. पुलिस की टोकाटाकी के बीच हुई सभा को पार्टी राज्य सचिव का. सुधाकर यादव, केंद्रीय समिति सदस्य कृष्णा अधिकारी, खेग्रामस नेता राजेश साहनी, ऐपवा नेता मीना, सरोजिनी बिष्ट (लखनऊ), सरोजिनी (सीतापुर) व अन्य वक्ताओं ने संबोधित किया. पुलिस और प्रशासन की तमाम अड़ंगेबाजियों के बावजूद अंततः 19 सितंबर को अर्जुनलाल और सभी साथी रिहा हुए. उनके विरुद्ध दर्ज फर्जी मुकदमा अभी वापस नहीं हुआ है. पार्टी ने फर्जी मुकदमा रद्द करने की मांग दोहराई है.
विगत 20 सितंबर 2022 को हरगांव में पिछले महीने दलितों पर दबंगों के हमले में न्याय की मांग करने पर योगी सरकार द्वारा जेल भेजे गए भाकपा(माले) के राज्य स्थायी समिति सदस्य व निर्वाचित जिला पार्षद कामरेड अर्जुनलाल और साथियों की सीतापुर जेल से रिहाई पर ग्रामीण जनता और पार्टी समर्थकों द्वारा जोरदार स्वागत हुआ.