आजादी की 75वीं और 1942 की जनक्रांति की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर 11 अगस्त 2022 को पूरे बिहार मे तिरंगे झंडे के साथ ‘आजादी मार्च’ का आयोजन किया गया. राजधानी पटना में बुद्ध स्मृति पार्क से यह मार्च निकला जो स्टेशन गोलबंर, जीपीओ गोलबंर होते हुए विधानसभा स्थित शहीद स्मारक पहुंचा और वहां पर 1942 में आज ही के दिन सचिवालय पर देश का झंडा फहराने के क्रम में शहीद हुए 7 नौजवानों – उमाकांत प्रसाद सिन्हा, देवीपद चौधरी, रामानन्द सिंह, सतीश प्रसाद झा, जगपति कुमार, राजेन्द्र सिंह व रामगोविंद सिंह – की मूर्ति पर फूल चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. आज आजादी के आंदोलन के महान क्रांतिकारी खुदीराम बोस का भी शहादत दिवस है. उन्हें भी श्रद्धांजलि दी गई.
आजादी मार्च में मुख्य रूप से भाकपा(माले) के पोलित ब्यूरो सदस्य व खेग्रामस महासचिव धीरेन्द्र झा, पोलित ब्यूरो सदस्य व किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह, पोलित ब्यूरो सदस्य अमर, वरिष्ठ पार्टी नेता केडी यादव, बिहार विधानसभा में विधायक दल के उपनेता सत्यदेव राम, सचेतक अरुण सिंह, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव, पटना महानगर के पार्टी सचिव अभ्युदय, एआइपीएक के संयोजक कमलेश शर्मा, विधायक गोपाल रविदास, रामबली सिंह यादव, वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, भाकपा(माले) के राज्य कार्यालय सचिव प्रकाश कुमार, ऐक्टू नेता जितेन्द्र कुमार, डा. अलीम अख्तर, अनय मेहता, ऐक्टू के राज्य महासचिव आरएन ठाकुर, रणविजय कुमार, पन्नालाल, मुर्तजा अली, ‘कोरस’ की समता राय, इंसाफ मंच के नसीम अंसारी, मुश्ताक राहत व आसमा खां, आफ्शा जबीं, आइसा के कुमार दिव्यम, आदित्य रंजन, अनिमेषय, संस्कृतिकर्मी अनिल अंशुमन, संजय यादव, आरवाईए नेता विनय कुमार, ऐपवा नेता अनुराधा सिंह सहित कई लोग शामिल थे. मार्च में संस्कृतिकर्मी विनोद जी भी शामिल थे.
शहीद स्मारक पर आजादी मार्च में सभी भागीदारों ने सबसे पहले सातों शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि दी और फिर ‘कोरस’ टीम ने आजादी का गीत ‘हम हैं इसके मालिक’ का गान किया. कार्यक्रम का संचालन ‘आजादी 75 साल : जन अभियान’ के कुमार परवेज ने किया.
शहीदों की मूर्ति पर माल्यार्पण के बाद शहीद स्मारक पर आयोजित संक्षिप्त सभा को संबोधित करते हुए धीरेन्द्र झा ने कहा कि 11 अगस्त 1942 को इसी स्थान पर सात छात्रों ने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी. लेकिन दुर्भाग्य से जिन ताकतों का देश की आजादी आंदोलन में कोई स्थान नहीं, आज वे देश की गद्दी में हैं और हर रोज शहीदों के सपनों के साथ मजाक कर रहे हैं. हामरे शहीदों ने एक संप्रभु, लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष व समाजवादी भारत के निर्माण के लिए शहादत थी, लेकिन आज उन तमाम मूल्यों पर हमले हो रहे हैं और देश में तानाशाही का विस्तार हो रहा है. हम आज के दिन अपने शहीदों के भारत के निर्माण के संघर्ष को तेज करने का आह्वान करते हैं.
राजाराम सिंह ने कहा कि हम आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर भारत को ब्रिटिश उपनिवेशवाद के पंजे से आजाद कराने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देने वाले शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों को पूर्ण सम्मान देते हुए अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं और अपने गणतंत्र की संवैधानिक नींव एवं ढांचे पर, भारत की साझा संस्कृति एवं सामाजिक तानेबाने पर, आम जनता के जीवन एवं आजीविका पर और असहमति व्यक्त करने वाले नागरिकों की स्वतंत्रता पर जारी अभूतपूर्व हमले के खिलाफ संघर्ष तेज करने का संकल्प लेते हैं.
बिहार के मुजफ्फरपुर, अरवल, भोजपुर, वैशाली, पचिम चंपारण, नालंदा, गया, बेगूसराय, भागलपुर समेत अन्य तमाम जिलों में भी में आज ‘आजादी के 75 साल : जन अभियान’ की ओर से जगह-जगह 1942 के सात शहीदों सहित स्वतंत्रता संग्राम के सभी शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई और ‘आजादी मार्च’ का आयोजन किया गया.