वर्ष - 33
अंक - 11
09-03-2024

रानियां मिट गयीं
जंग लगे टिन जितनी कीमत भी 
नहीं रह गयी उनकी याद की
रानियां मिट गयीं
लेकिन क्षितिज तक फसल काट रही
औरतें
फसल काट रही हैं.
(बू्रनों की बेटियां, आलोक धन्वा)

पिछले दिनों भोजपुर जिले के बड़गांव में 8 साल पहले राजपूत जाति के एक लंपट जयप्रकाश सिंह की कथित हत्या के आरोप में भाकपा(माले) के 23 समर्थको – कार्यकर्ताओं व नेताओं को व्यवहार न्यायालय, आरा ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई. यह सजा पानेवालों में भाकपा(माले) केन्द्रीय कमेटी के सदस्य और अगिआंव क्षेत्र के लोकप्रिय युवा विधायक कामरेड मनोज मंजिल का नाम भी शामिल है. उन्होंने विधानसभा चुनाव 2020 में न केवल क्षेत्र के 62 प्रतिशत से ज्यादा मतदाताओं का मत पाया था बल्कि अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी से करीब 45 हजार से भी अधिक मत हासिल किए थे. लेकिन इसी सजा के आधार पर उनकी विधानसभा सदस्यता भी ले ली गई है.

7 मार्च 2024 की सुबह हम इस गांव में पहुंचे और आजीवन कारावास की सजा पाये गरीबों – खेत मजदूरों व छोटे किसानों की जीवन संगिनियों से रूबरू हुए. इस दौरान चर्चित कवि आलोक धन्वा की यह बहुचर्चित कविता ‘ब्रूनों की बेटियां’ हमारे दिलोदिमाग पर छाई रही.

अगले दिन जब हमने इस भेंट-मुलाकात का ब्यौरा लिपिबद्ध किया तो पाया कि आज तो अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस भी है.

1. रामसावती देवी (58 वर्ष) : ये का. चीना राम की पत्नी हैं. इनका मायका भोजपुर जिले के ही नगरी गांव (प्रखंड -चरपोखरी) में है. ये अपने पिता रामअनेक राम और मां मुअनी देवी की दूसरी संतान हैं. इनसे बड़ी एक बहन हैं – राजकुमारी देवी.

11 नवंबर 1998 को नगरी गांव में रणवीर सेना के द्वारा 10 दलित-पिछड़ों के जनसंहार को अंजाम दिया गया था. इस जनसंहार के सभी अभियुक्तों को मार्च 2013 में पटना हाईकोर्ट ने बरी कर दिया. रामसावती देवी बताती हैं कि उनकी शादी इस जनसंहार से कुछ ही साल पहले हुई थी. बड़े बेटे अमरेन्द्र कुमार का जन्म भी हो चुका था. अधिकांश मृतक अपने ही टोले-मुहल्ले के थे.उनके पिता समेत मायके के कई लोग भाकपा(माले) से जुड़े हुए थे. कई पार्टी नेताओं का धर में आना-जाना था.

का. चीना राम बड़गांव में पार्टी के एक प्रमुख स्तंभ हैं. वे भाकपा(माले) की प्रखंड कमेटी के भी सदस्य रह चुके हैं. रामसावती देवी भी पार्टी सदस्य हैं. उन्होंने 2011 में मुखिया का चुनाव भी लड़ा लेकिन जीत नहीं पाईं. ये पार्टी के हर कार्यक्रम में शरीक होती रही हैं और दिल्ली-पटना में होनेवाली कई रैलियों में शामिल रही हैं.

ससुराल में इनका पूरा परिवार पार्टी से जुड़ा हुआ है. पति चीना राम पर संघर्ष के दौरान कई मुकदमें दर्ज हुए हैं और वे 2020 से ही जेल में हैं. इस नये मामले में उनके पति और दो देवर – की रारम और भरत राम को भी सजा सुनाई गयी है.
वे बताती हैं कि शहीद कामरेड सतीश यादव हमेशा उनके घर आया करते थे. उनकी पत्नी मुखिया चुनाव प्रचार में साथ घूमती थीं. 20 अगस्त 2015 को जिस वक्त गांव में आयोजित सभा से लौटते हुए का. सतीश यादव की हत्या हुई, वह सभा में झंडा-बैनर समेट रही थीं.

ये पहले गांव में ही जहां परिवार का पुश्तैनी संयुक्त मकान है, रहती थीं. लेकिन अब वहां जगह की कमी हो गई है इसलिए पोखरा की जमीन पर बस गई हैं.

दोनों बेटे कुंवारे हैं. बड़े बेटे अमरेन्द्र कुमार की शादी तय हो चुकी है. इन्हें उम्मीद है कि शादी के वक्त तक उनके पति को जमानत पर रिहा हो जायेंगे.

अपने पति और उनके साथियों के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को वह फर्जी और साजिशपूर्ण बताती हैं और इस साजिश के खिलाफ हर तरह से आवाज उठाने को हमेशा तैयार हैं.

2. प्रमिला देवी (45 वर्ष) : इनके पति जयकुमार यादव भाकपा(माले) की अगिआंव प्रखंड कमेटी के सदस्य हैं.

इनका मायका रोहतास जिले के मलपुरा गांव (प्रखंड काराकाट) गांव में है. पिता चंद्रदेव सिंह भी भाकपा(माले) के समर्थक हैं और सजा मिलने की खबर सुन दौड़े-भागे पहुंचे. अपने दो भाईयों व बहनों में सबसे छोटी प्रमिला ने पांचवी तक की पढ़ाई की है.

इन्होंने 2016 में पासवां पंचायत से मुखिया प्रत्याशी के बतौर चुनाव लड़कर जीत हासिल की. 2021 में हुए चुनाव में उनके पति प्रत्याशी बने और मामूली मतों से चुनाव हार गये.

मुखिया रहते हुए उन्होंने गरीबों मुहल्लों में नाली व गली बनाने को प्राथमिकता दी. इंदिरा आवस और राशन कार्ड बनवाने की पहल की.

इनपर अपने पति के संयुक्त परिवार जिसमें उनके दिवंगत बड़े भाई की पत्नी और बेटी, सास-ससुर, अपनी तीन संतानों और छोटे भाई नंद कुमार यादव (इसी मामले में उनको भी सजा हुई है) को संभालने की कठिन चुनौती है.

बुलंद हौसलों वाली प्रमिला देवी इन सारी चुनौतियों का सामना बहादुरी से करेंगी. वे कहती हैं कि न्याय के लिए चलनेवाले हर संघर्ष का वे न केवल शामिल रहेंगी बल्कि अगर जरूरत पड़ी तो आगे बढ़कर उसका नेतृत्व भी करेंगी.

3. हेमंती देवी (40 वर्ष) : हेमंती देवी रविन्द्र चौधरी की पत्नी हैं और रामाधर चौधरी की पतोहू. इनके पति और ससुर दोनों सजायाफ्ता हैं.

हेमंती का मायका भोजपुर जिले के ही हरनाटांड़ गांव (जगदीशपुर प्रखंड) में हैं. रविन्द्र चौधरी के साथ करीब 25 साल पहले इनकी शादी हुई थी. इनके पिता बिहारी चौधरी की मृत्यु हो चूकी है. इनसे छोटे एक भाई हैं – छठू चौधरी. पति और ससुर को सजा मिलने की खबर पाकर मायके से लोग मिलने भी आये थे.

ये भाकपा(माले) की सदस्य हैं. इनका परिवार भूमिहीन है. खेती-किसानी में मजदूरी करती हैं. दो बेटों की शादी हो चुकी है. लेकिन इनको अपनी दो बेटियों – प्रतिमा कुमारी और नेहा कुमारी और छोटे बेटे करण कुमार (10 वर्ष) की पढ़ाई और शादी की चिंता घेरे हुए है.

वे इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने को तैयार हैं. कहती हैं, ‘पार्टी की ओर से आंदोलन का जो भी कार्यक्रम बनेगा उसमें शामिल रहूंगी और अगर जरूरत पड़ी तो गांव-घर से बाहर भी जाऊंगी.’

4. फूलपातो देवी (60 वर्ष) : इनके पति रामाधर चौधरी और बड़े बेटे रविन्द्र चौधरी दोनों को आजीवन कारावास की सजा हुई है. अरवल जिले के माली गांव (करपी प्रखंड) में इनका मायका है. वहां दो भाईयों – जयमंगल और मुन्ना का परिवार रहता है.

ये अब भी खेती में मजदूरी करती हैं. इनका पूरा परिवार ही पार्टी का दृढ़ समर्थक है. इनके पति रामाधर चौधरी ने पार्टी की ओर से पंचायत समिति सदस्य पद पर चुनाव लड़ा था. ये पार्टी के हर जूलूस-प्रदर्शन में हिस्सा लेती रही हैं. जन विश्वास रैली में भी पटना आयी थीं.

दोनों बेटियों की शादी हो चुकी है. लेकिन बड़े बेटे रविन्द्र चौधरी की बेटी की शादी की चिंता है. इस उम्र में भी इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए गांव-गांव जाने को तैयार हैं.

5. दौलातो देवी (52 वर्ष) : इनके पति नंद कुमार चौधरी को सजा हुई है. बक्सर जिले के नवडीहा में मायका है जहां तीन भाईयों – दिवंगत पिंटू चौधरी, सुदामा चौधरी और जगदंबा चौधरी का परिवार है. सजा की खबर सुन इनकी भाभी मिलने आयी थीं.

नंद कुमार चौधरी भाकपा(माले) के पुराने सदस्य हैं और अभी पार्टी की पंचायत कमेटी के सदस्य हैं. दौलातो देवी भी पार्टी सदस्य हैं. इन्होंने 2016 में पंच पद का चुनाव भी जीता और 2021 तक पंच रहीं. चार बेटियों की शादी हो चुकी है. तीनों बेटे प्रवासी मजदूर हैं.

वे इस सजा को घेर अन्याय बताती हैं और सवाल को लेकर समाज के लोगों के बीच जाना और उनको पूरी बात बताना चाहती हैं.

6. राजकुमारी देवी (50 वर्ष) : इनके ससुर रामानंद प्रसाद को सजा हुई है जिनकी उम्र 90 वर्ष के करीब है. बीमार पड़ी हुईं सास सुवचन देवी (उम्र 87 वर्ष) अपने बेटों शिवजी प्रसाद व दयानंद प्रसाद के साथ दिल्ली में हैं.

राजकुमारी के पति कृष्णानंद प्रसाद की 55 वर्ष की अवस्था में कोरोना से मृत्यु हो गई. इनके चार बेटे हैं. सबकी शादी हो चुकी है. सभी प्राइवेट नौकरी है.

राजकुमारी आंगनबाड़ी सेविका हैं. गांव में इनका पक्का घर है लेकिन वे वहां नहीं रहतीं. बेटे-पतोहू भी वहां नहीं जाते. बताती हैं – ‘घर राजपूत टोली में है. वे लोग घर में घुस आते हैं.’ इनका परिवार विस्थापित है और किसी तरह से सरकार जमीन पर आबाद है.

वे भी इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना चाहती हैं.

7. तेतरी देवी (50 वष) : तेतरी देवी के पति त्रिलोकी राम अपने दो भाईयों – चीना राम और भरत राम के साथ जेल में हैं.

तेतरी देवी का मायका भोजपुर जिले के ही अम्हरूआं गांव (प्रखंड सहार) में है जो बहुचर्चित एकवारी गांव के पड़ोस में है. मायके में उनके भाई मदन राम और उनके दो बेटों का परिवार रहता है. मायके के लोग भी पार्टी से जुड़े हुए थे. टोले में कई पार्टी नेताओं का आना-जाना रहता था.

परिवार के पास खेती की जमीन नहीं है. इनके पति त्रिलोकी राम निर्माण मजदूर हैं. ये भी खेतों में मजदूरी करती हैं. बड़े बेटा उपेन्द्र कुमार रेलवे की नौकरी में है. अन्य तीन बेटे और इकलौती बेटी कुसुम कुमारी कॉलेज छात्रा हैं. तेतरी देवी को इनकी पढ़ाई और शादी-ब्याह की चिंता है. पूरा परिवार ही इस न्यायिक जनसंहार की पीड़ा झेल रहा है और इसके खिलाफ हर तरह के प्रतिवाद व आंदोलन के साथ खड़ा है.

8. बेबी देवी (35 वर्ष) : इनके पति गब्बर चौधरी, जिनको सजा हुई है, ईंट भट्ठा मजदूर हैं. इनका मायका बगल के गांव पोसवां में हैं. मायके में एक भाई सुनील चौधरी अपने परिवार के साथ रहते हैं. तीन बहनों में सभी शादीशुदा हैं.

बेबी देवी और उनकी सास पतसिया देवी दोनों ही खेतों में रोपनी-सोहनी करती हैं. बड़ा बेटा योगेन्द्र कुमार भी मजदूरी करता है. अन्य दो बेटे स्कूल जाते हैं. तीन बेटियां हैं जिनमें से केवल एक की ही शादी हुई है. अन्य दोनों बेटियों और बेटों की शादी की चिंता है.

वे कहती हैं – ‘मेरा पूरा परिवार भाकपा(माले) का समर्थक है. हमेशा पार्टी के साथ रहे हैं और आगे भी पीछे नहीं हटनेवाले हैं.’

9. प्रभावती देवी (52 वर्ष) : इनके पति का नाम है शिवबलि चौधरी.पति-पत्नी दोनों ही खेत मजदूर हैं. इनके बेटे सुनील चौधरी, अनिल चौधरी और आजाद चौधरी भी मजदूरी करते हैं. चार बेटियों में से तीन की शादी हो चुकी है. सबसे छोटी तिलमुनि कुमारी की शादी नहीं हुई है.

इनका मायका कुनई (प्रखंड जगदीशपुर) में हैं. वहां पार्टी नेताओं का आना-जाना रहता था. कामरेड जिउत (तोतामन पासवान) और कामरेड सहतू की शहादत भी वहीं हुई थी. तब इनकी शादी नहीं हुई थी. पिता कोदई चौधरी अब नहीं रहे. चार भाई हैं शिवराति चौधरी, बलि चौधरी, कमलेश और अवध कुमार. कुल तीन बहनें हैं.

एक विधवा बेटी और उसके दो बच्चे इनके साथ ही रहते हैं. उनके पालन-पोषण और देखरेख की जिम्मेवारी भी है. पूछती हैं कि उनके पति जेल से कब बाहर आयेंगे? इस सवाल पर लोगों के बीच जाना चाहती हैं.

10. चिंता देवी (38 वर्ष) : इनके पति का नाम है पवन चौधरी. देवराढ़ (जगदीशपुर प्रखंड) में इनका मायका है. कुल 5 बेटियों में से दो की शादी हो चुकी है. एक ही बेटा है जो मैट्रिक की परीक्षा दे चुका है.

पति वाहन चलाते थे और ये स्वयं खेतों में मजदूरी करती हैं. तीसरी बेटीं संगीता कुमारी की शादी की चिंता है.

मायके से भाई, भैजाई और ननद मिलने आयी थीं. दोनों दामाद भी आये थे.

11. कलावती देवी (55 वर्ष) : पति टनमन चौधरी जो भाकपा(माले) की पंचायत कमेटी के सदस्य हैं.

डिलियां टोला (जगदीशपुर) में इनका मायका है. इनके पास रहने की जमीन भी नहीं है. सरकारी जमीन पर बसी हैं. खेत-खलिहान में मजदूरी करती हैं. चारों बेटे भी मजदूरी करते हैं. कहती हैं – कोई कमाई-धमाई नहीं. अब मेरी देखरेख कौन करेगा? बच्चे अपने परिवार का खर्चा भी मुश्किल से जुटा पाते हैं.

12. फूलपातो देवी (54 वर्ष) : इनके पति का नाम है रामबलि चौधरी. इनका मायका भी कुनई (जगदीशपुर प्रखंड) में है. बउल चौधरी और रामधनी दो भाई हैं और तीन बहनें.

अपनी जमीन नहीं है. पति बटाई पर खेती करते थे. ये खेती में मजदूरी करती थीं. कहती हैं ‘अब किसके भरोसे खेती करूंगी.’ छोटी बेटी अंजलि कुमारी आठवें में पढ़ रही है. उसकी शादी भी करनी है.

13. बिंदा देवी (50 वर्ष) : पति प्रेम राम जो अब जेल में हैं, भाकपा(माले) की पंचायत कमेटी के सदस्य हैं. 
इनका मायका अगिआंव प्रखंड के ही सिकरियां गांव में है. पिता मगन राम अब नहीं रहे. दो बहनें हैं. इनके गांव व परिवार में भाकपा(माले) नेताओं का आना-जाना था. इनके तीनों बेटे खेत मजदूर हैं और शादी के बाद अपने परिवार के साथ अलग रहते हैं.

बिंदा देवी खेत मजदूर हैं. परिवार भूमिहीन है और सरकारी जमीन पर बसा हुआ है. छोटी बेटी काजल कुमारी जिसने अभी मैट्रिक की परीक्षा दी है, साथ ही रहती है. उसकी शादी की चिंता है. कहती हैं ‘बहुत दिक्कत है. कमाने वाला जेल में हैं. बेटे भी अलग रहते हैं.’

14. फूला देवी (40 वर्ष) : इनके पति का नाम है मनोज चौधरी. इनका मायका अरवल जिले के गुलजारबाग (करपी प्रखंड) में है जहां दो भाईयों बैजनाथ और बैजू का परिवार आबाद है. ये चार बहनें है, सबकी शादी हो चुकी है. सजा की खबर सुन इनके बाबू और भईया मिलने भी आये थे.

इनके तीन बेटे हैं अखिलेश और उपेन्द्र की शादी हो चुकी है और रदोनों परिवार के साथ अलग रहते हैं. साथ रहती हैं तीन बेटियां – मानता, सरिता और अमृता (ये दोनों जुड़वां हैं) और सबसे छोटा बेटा जीतू (4 साल). मानता सयानी हो चुकी है, उसकी शादी करने की चिंता है. फूला देवी और उनके पति दोनों खेती में मजदूरी करते थे. परिवार के पास केवल बसने भर जमीन है.