मजदूर वर्ग के खिलाफ भगवा कारपोरेट जंग

– वी. शंकर   

नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली संघ-भाजपा सरकार ने देश के श्रमजीवी तबके के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है. टेलीविज़न पर हालिया प्रसारित राष्ट्र के नाम अपने सन्देश में मोदी ने लोगों को ‘साहसिक सुधारों’ के लिए तैयार रहने को कहा था. उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और गुजरात की भाजपाई सरकारों ने पहले ही श्रम कानूनों को या तो रद्द कर दिया है अथवा उन्हें भोंथरा बना दिया है. केंद्र की भाजपा सरकार बड़ी चतुराई से कोविड-19 आपदा का इस्तेमाल अपनी जन-विरोधी नीतियां लागू करने के लिए कर रही है.

लाॅकडाउन ने भारत के प्रवासी मजदूरों की दबाई गई सामाजिक सच्चाई की पोल खोल दी है

वश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हमें कोरोनावायरस की आपातकालीन चेतावनी दिये जाने के बाद से अब लगभग चार महीने गुजर गये हैं, और भारत सरकार द्वारा समूचे देश में लाॅकडाउन घोषित किये जाने के बाद भी दो महीने पार हो चुके हैं. इस वायरस का उद्गम स्थल और साथ ही साथ इससे निपटने के लिये लाॅकडाउन की रणनीति का प्रणेता देश चीन है. इसी रणनीति को दुनिया भर में, जरूर काफी हद तक भिन्नताओं के साथ, अपनाया गया. खुद चीन तथा अन्य कुछेक देशों ने इस महामारी से कमोबेश छुटकारा पा लिया है.

हरियाणा की डायरी : ओलावृष्टि से किसानों व तुगलकी फरमानों से जनता को भारी नुकसान

हरियाणा में 2 मई की शाम हुई ओलावृष्टि ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. सुबह जब किसान खेतों में पहुंचे तो अपनी आंखों के सामने बर्बाद हुई फसलों को देखकर उसके माथे पर चिंता की लकीरें खींच गईं. सरसों व गेहूं इस क्षेत्र की प्रमुख फसले हैं. जिले में इस समय 65 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में सरसों तथा 52 हजार हेक्टयेर में गेहूं की फसलें पकने को थीं. लेकिन ओलावृष्टि के कारण जहां खोल खंड के लगभग 100 गांवों में सरसों की फसलें शत-प्रतिशत खराब हो गईं, बावल व कोसली खंडों में भी ओलावृष्टि से काफी नुकसान हो गया है.

लाॅकडाउन की चुनौतियां और हमारी पहलकदमियां

चंदौली जिला (उप्र) की चिट्ठी

19 मार्च को लखनऊ में भाकपा(माले) की राज्य स्थाई समिति की बैठक हुई. उसके बाद 22 मार्च को प्रधानमंत्री द्वारा जनता कर्फ्यू लागू करने का ऐलान हुआ. फर 24-25 मार्च की आधी रात से 21 दिन के लिए लाॅकडाउन की घोषणा हुई. बीच में 23 मार्च को शहीदे आजम भगत सिंह का शहादत दिवस पार्टी कार्यालय मुगलसराय में इंकलाबी नौजवान सभा की जिला संयोजन समिति की बैठक, पार्टी राज्य सचिव कामरेड सुधाकर यादव की उपस्थिति में शहीदे आजम भगत सिंह के चित्र पर माल्यार्पण और ‘मैं नास्तिक क्यों हूं’ लेख का पठन-पाठन कर मनाया गया.

लाॅकडाउन में फंसे मजदूरों को भाकपा(माले) ने पहुंचाया राहत

तमिलनाडु

भाकपा(माले) और ऐक्टू ने पहलकदमी लेते हुए एक टास्क फोर्स का गठन किया है. सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हुए अधिकारियों को अर्जियां भेजी हैं और विभिन्न समुदाय के श्रमिकों को राहत देने के लिए प्रशासन पर दबाव बनाया. भाकपा(माले) और ऐक्टू तमिलनाडु में फंसे प्रवासी मजदूरों के साथ भी व्यापक संपर्क बना रहे हैं.

भाजपा के अविवेकपूर्ण फैसलों, लोकतंत्र विरोधी कदमों और अंधविश्वास का भंडाफोड़ करें! सांप्रदायिक साजिश और सामंती हमलों का प्रतिकार करें!

– कुणाल, बिहार राज्य सचिव, भाकपा(माले)

आज हम बड़ी चुनौतियों के बीच हैं. कोरोना महामारी से उत्पन्न परिस्थितियों से पूरा देश, खासकर, मेहनतकश समुदाय कराह रहा है. इससे निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा दर्शाए गए रुख ने चीजों को और कठिन बना दिया है.

उत्तर प्रदेश में गांव के गरीबों तक राहत पहुंचाने की सरकारी घोषणाएं हवा-हवाई

भाकपा(माले) ने उत्तर प्रदेश में लाॅकडाउन लागू होने के बाद विभिन्न जिलों की जमीनी स्थिति का जायजा लेकर बताया कि गांव के गरीबों तक राहत पहुंचाने की सरकारी घोषणाएं हवा-हवाई साबित हो रही हैं। पार्टी ने आजमगढ़ में गरीब और मुसहर बस्तियों में रहने वाले परिवारों से संपर्क साध कर बताया है कि उनके बीच राशन, भोजन के पैकेट, दवा, साबुन, सेनेटाइजर आदि अत्यावश्यक सामग्री से लेकर जीवन निर्वाह के लिए धनराशि भी नहीं पहुंच रही है. काम-धाम बंद होने से कई गांवों में भुखमरी जैसी स्थिति है.

रोजगार वर्ष में रोजगार कैसे-कैसे !

उत्तराखंड सरकार ने वर्ष 2019-20 को रोजगार वर्ष घोषित किया था. रोजगार वर्ष की अवधि मार्च 2019 से शुरू हुई. इस तरह इस मार्च के महीने के समाप्त होने के साथ रोजगार वर्ष भी निपट जाएगा. कितने नेक इरादे थे सरकार के! एक पूरे साल को कह दिया – जा तू रोजगार का साल है. पड़ोसी राज्य वाले यदि शहरों का नाम बदल कर सुर्खियां बटोर रहे हैं तो उन्नीस हमारे वाले भी नहीं हैं. वे शहरों के नाम बदलने वालों से चार हाथ आगे बढ़ गए और एक पूरे साल का ही नामकरण कर डाला – रोजगार वर्ष.

योगी राज की निर्लज्जता की कोई इंतिहा नही

सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों से वसूली

लखनऊ प्रशासन ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान को रिकवरी के लिए 13 लोगों को रिकवरी सर्टिफिकेट और डिमांड नोटिस जारी किए हैं. सभी लोगों को एक सप्ताह के भीतर अतिरिक्त जुर्माना भरने को कहा गया है.