भाजपा विरोधी वोटों के बिखराब को रोकने पर महागठबंधन गंभीरतापूर्वक विचार करे

भाकपा(माले) ने कुढ़नी उपचुनाव परिणाम को अप्रत्याशित बताते हुए कहा कि महागठबंधन को खुशफहमी से बचना चाहिए. भाजपा गहरी साजिश रचने वाली पार्टी है, उसे किसी भी सूरत में हलके में नहीं लेना चाहिए. राज्य में भाजपा विरोधी राजनीतिक व सामाजिक आधार के बिखराब को रोकने के लिए गंभीर कोशिश चलाने की जरूरत है.

राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि उपचुनाव का परिणाम दिखलाता है कि अब भी भाजपा विरोधी वोटों में बिखराव है. विकासशील इंसान पार्टी, एमआईएम और अन्य कुछ स्वतंत्र उम्मीदवारों को मिले तकरीबन 26 हजार वोट जदयू उम्मीदवार के हार का बड़ा कारण बना.

कारपोरेट पक्षधर वन संरक्षण नियम 2022 की प्रतियां जलायें! 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती मनायें!

भारत सरकार वनों और वन भूमि को बड़े कारपोरेट्स और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को सौंपने के लिए वन भूमि के विशाल क्षेत्रों से आदिवासियों और अन्य वन्यजीवी समुदायों को उखाड़ फेंकने और विस्थापित करने के लिए एक और हिंसक हमला शुरू करने की तैयारी कर रही है. इसके लिए उसने वन संरक्षण नियम 2022 को संसद के सामने रखा है. यह संभावना है कि ये बजट सत्र 2023 के दौरान अनुमोदित हो जाएंगे.

नियमित संवाद की व्यवस्था करें, संभावित तीसरी लहर से मुकाबले की तैयारी शुरू करें


[ बिहार विधान सभा अध्यक्ष को माले विधायक दल का स्मारपत्र (29.05.2021)]

महाशय,

कोविड महामारी की अप्रत्याशित कठिन स्थितियों में विधायकों से बातचीत की पहल के लिए हम आपका आभार प्रकट करते हैं. विधान सभा के विगत सत्र में चरम अपमान झेलने के बावजूद कोविड महामारी के दौर में जनहित में आपके बुलावे पर बैठक में शामिल होना हमलोगों ने जरूरी समझा.

मजदूरों के मौत की जांच हो

 

भाकपा(माले) विधायकों ने खगड़िया में सरकारी स्कूल की चारदीवारी गिरने से 6 मजदूरों की दर्दनाक मौत को हादसा बताकर बिहार सरकार द्वारा उसकी लीपापोती करने की कड़ी निंदा की है. विधयक दल की बैठक के बाद भाकपा(माले) विधायक दल नेता कामरेड महबूब आलम ने कहा कि यह हादसा नहीं, बल्कि घोर लापरवाही का नतीजा है. मुख्यमंत्री मृतकों के परिजनों को 4 लाख रुपये का मुआवजा देकर सच्चाई पर पर्दा नहीं डाल सकते. हम विधानसभा से गठित कमिटी की तरफ से पूरे मामले की जांच कराने की मांग करते हैं.

एक अपील


‘समकालीन लोकयुद्ध’ के सभी वार्षिक ग्राहकों से खेद सहित कहना है कि लाॅकडाउन की वजह से हम बीते साल में कई अंकों का प्रकाशन नहीं कर पाए. इस वजह से ग्राहकों को उनसे वंचित होना पड़ा. बीते साल में हम इसके कुल 38 अंक प्रकाशित का पाए. हम उनसे पुनः नये वार्षिक ग्राहक बनने / बनाने का अभियान तेज करने और प्रकाशन के 30वें वर्ष में पहुंच चुके ‘समकालीन लोकयुद्ध’ को अपना बहुमूल्य सहयोग देते रहने की अपील करते हैं. – सं.