“अखबार केवल सामूहिक प्रचारक और सामूहिक आंदोलनकर्ता की ही नहीं बल्कि एक सामूहिक संगठनकर्ता का भी काम करत है. इस दृष्टि से उसकी तुलना किसी बनती हुई इमारत के चारों ओर खड़े किए गए बल्लियों के ढांचे से की जा सकती है. इस ढांचे से इमारत की रूपरेखा स्पष्ट हो जाती है और और इमारत बनानेवालों को एक दूसरे के पास आने-जाने में सहायता मिलती है, जिससे वे काम का बंटवारा कर सकते हैं और अपने संगठित श्रम के संयुक्त परिणामों पर विचार-विनिमय कर सकते हैं. अखबार की मदद और उसके माध्यम से, स्वाभाविक रूप से, एक स्थायी संगठन खड़ा हो जायेगा जो न केवल स्थानीय गतिविधियों में, बल्कि नियमित आम कार्यों में भी हिस्सा लेगा, और अपने सदस्यों को इस बात की ट्रेनिंग देगा कि राजनीतिक घटनाओं का वे सावधानी से निरीक्षण करते रहें, उसके महत्व और आबादी के विभिन्न अंगों पर उनके प्रभाव का मूल्यांकन करें, और ऐसे कारगर उपाय निकालें जिनके द्वारा क्रांतिकारी पार्टी उन घटनाओं को प्रभावित करे.”
– लेनिन